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अपनी तुलना दूसरों से करने से रोकना कठिन है लेकिन इसे दूर किया जा सकता है। आजकल हर किसी को परफ़ेक्ट बनना है। यदि हम अपनी उपलब्धियों और दक्षता को जाँचना शुरू कर देते हैं, तो हम सच में आगे बढ़ सकते हैं। अपनी तुलना दूसरों के साथ करना, बहुत आम बात है और इनसे जलन का अनुभव होना भी सामान्य गुण है।
लेकिन जब आप अपनी क्षमताओं के बारे में सोचे बिना सिर्फ़ अपनी कमियों को सोच कर परेशान होते हैं, तो आप ग़लत रास्ते पर जा रहे हैं। यह आप की एक कमज़ोरी हो सकती है, और यहाँ तक कि यह आप को अपने जीवन के कुछ अनमोल पहलुओं का आनंद लेने से भी रोक देती है। दूसरे लोगों के साथ निरंतर की जा रही तुलना आप के आत्म-सम्मान को कम कर देती है, और इस से आप आप को अपने ही बारे में बुरा लगने लगता है। खुद को अपनी नज़रों से देख कर ही आप अपनी तुलना करने की लत से छुटकारा पा सकते हैं। हमेशा यह सोचे कि आप में वह सभी क्षमता है जो एक इंसान में होनी चाहिए । अपने आत्मविश्वास को हमेशा उँचा रखें। आज हम आपको एक कहानी के माध्यम से इसे समझाने की कोशिश करेंगे। यह कहानी जरूर आपके जीवन में बदलाव लाएगी।
एक बार की बात है एक विद्वान योगी जंगल से निकल रहे थे, तो बीच में एक पेड़ आया और पेड़ से पानी की एक बूँद उनके ऊपर गिरी जैसे ही उन्होंने ऊपर देखा तो उनको एक कौआ दिखाई दिया । वह रो रहा था । साधु ने उससे पूछा की तुम रो क्यों रहे हो ? तो कौआ ने जवाब दिया कि मैं अपनी जिंदगी से परेशान हूं। उसने कहाँ ये भी कोई जिंदगी है,मैं कितना काला हूं। मैं किसी के काम नही आ सकता सिर्फ लोग मुझे श्राद्ध में ही याद करते है।
योगी ने कहा बोल तुझे किसके जैसा बनना है तो वो बोला मुझे हंस जैसा बनना है । योगी जी बोले लेकिन उससे पहले तुम एक बार हंस से तो मिल लो । अब वो कौआ हंस को ढूंढने निकला। काफी मशक्कत के बाद जब वो हंस के पास पहुंचा तो देखकर बोला वाह -वाह क्या जिंदगी है । तुम पानी मैं चलते हो जिसका पता भी नही लगता, मुझे भी तेरे जैसा बनना है भाई । लाइफ तो तुम ही जी रहे हो।
अब हंस ने कहा क्या खाख लाइफ है, ये सफेद रंग । साला लोग मरने के बाद पहनना पसन्द करते है,ये भी कोई जिंदगी है ।
दोनों साधु के पास आ गए ।
अब साधु ने पूछा कि तू भी परेशान है तो बता किसके जैसा बनना चाहता है।
तो हंस बोला मुझे तोते जैसा बनना है, अब तोते के पास आ पहुंचे दोनों।
उन्होंने तोते से कहा कि क्या जिंदगी है तेरी वाह ,
लोग काजू बादाम तक देते है तुझे
बेहद आलीशान लाइफ जीता है रे तू तोता भाई ।अब तोता बोला साला ये भी कोई लाइफ है।
हरे में हरा ये भी कोई कलर है ।
तेरा कितना सुंदर कलर है ,सफेद। साला कोई पिंजरे में बंद कर ले तो पिंजरे के कैदी हो जाते है ।खुले आसमान में घूमने की आजादी छीन जाती है ।
अब तीनो साधु के पास आ गए ।
साधु ने कहा तोता तुम खुश हो ?
तोता बोला नही ।
साधू ने कहा तो अब तू भी बता की तू किस जैसा बनना चाहता है? तोता बोला मुझे मोर जैसा बनना है ।
भागे- भागे तीनो मोर के पास गए
मोर भाई मोर भाई….!!
क्या जिंदगी है तेरी क्या लाइफ जीता है रे तू…..!
कितने सुंदर सुंदर पंख है तेरे
लोग मरते है तेरे फ़ोटो खींचने के लिए…
तो वो बोला साला ये भी कोई जिंदगी है ।जहाँ अगले पल का पता ना हो
वो कुछ नही समझे
मोर बोला सुनो???
टक टक टक………
बोला शिकारी आ रहा है। मेरी
माँ को नोच डाला बच्चो को मार डाला ।
हर पल जिंदगी का खतरा मंडराता रहता है, नही चाहिए
ऐसी जिंदगी ..।
चारो लौट के साधु के पास आ गए
साधु ने उससे भी पूछ लिया कि तुझे किस जैसा बनना है ।
मोर ने बड़ी ही शालीनतापूर्वक जवाब दिया
मुझे कौआ बनना है ।
कौआ की आंखे फ़टी की फटी रह गयी बोला ये क्या बोल रहा है
आगे मोर ने बोला कि
सबसे सुरक्षित जीवन कौआ जीता है ।
इसकी जिंदगी में कोई खतरा नही है। साल में एक बार श्राद्ध के महीने में काम आता है,लोगो के, बाकी अपनी मस्ती में जीता है
आज का इंसान इतना क्रूर हो चुका चुका है कि
किसी भी जानवर को नही छोड़ता
सिवाए कौआ के आपने सुना होगा चिकन बिरयानी मटन बिरयानी लेकिन कभी सुना है कौआ बिरयानी । मोर की बात सुनकर कौआ की आंखे खुल गई। वह समझ चुका था कि हर कोई अपने आप मे अच्छा होता है।
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि कभी भी अपने आप को कम नही आंकना चाहिए। आप खुद में एक अव्वल इंसान है । बस जरूरत है उस इंसान को पहचानने की।