वैसे तो इंसान का जानवर से प्यार करना कोई नई बात नहीं है। युगों से इंसान पशुओं से प्यार करता रहा है । दुनिया में कई सारे लोग हैं, जो जानवरों से बेहद प्यार करते हैं। कुछ लोग ऐसे भी है जो जानवरों से ऐसे प्यार करते है जैसे उनके परिवार का ही सदस्य हो । कहते हैं प्यार-मोहब्बत, लगाव जैसी भावनाएं सिर्फ इंसानों में होती है, जानवर इमोशनलेस होते हैं। पर ऐसा नहीं है, जानवरों में भी भावनाएं होती हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताएंगे जिन्हें जानवरों से बेहद प्यार है। वह रोज जानवरों को खाना खिलाती है । बीते लॉकडाउन में भी उन्होंने जानवरों के प्रति अपने प्रेम को दिखाया है। आइये जानते है उनके बारे में।
रूह चौधरी का परिचय ।

रूह चौधरी लुधियाना की रहने वाली है। वह 42 वर्ष की है।रूह को जानवरों से बहुत लगाव है। वह रोज लगभग 75 बेजुबान जानवरों को खाना खिलाती है । यह काम रूह काफी दिनों से करती आ रही है ।बीते लॉकडाउन में जब लोग घर में अपना समय बीता रहे थे तब रूह जानवरों के लिए खाने का प्रबंध करती थी। वह लॉकडाउन में प्रतिदिन 500 बेसहारा कुत्तों को खाना खिलाया करती थी।
बचपन से जानवरों से लगाव।
रूह को अपने बचपन से जानवरों से लगाव है। वह अपने पापा से जानवरों की देखभाल करना सीखी हैं। रूह को बचपन में कोई भी जानवर घायल दिखता था तो वह तुरंत उसे सही इलाज दिलाना और हर रोज उसे खाना खिलाती थी। वह बेजुबानों का दर्द बचपन से समझती आई है। उनका कहना है कि इन बेजुबानों का दर्द इंसान नही समझेंगे तो कौन समझेगा। ये जानवर भी हमारे पृथ्वी के अभिन्न अंग है। इनकी देखभाल करना इंसानों का कर्तव्य है। जानवरों से ही पृथ्वी का संतुलन कायम है। इस धरती पर इन्हें भी रहने का अधिकार है।
अपनी कमाई से करती है जानवरों की सेवा।

रूह चौधरी रोजाना जानवरों को खाना देती है । यह काम वह अपने बेटे के साथ मिलकर करती हैं । सुबह-शाम दोनों वक्त वह घूम-घूम कर सेवा देती है। रूह काफी समय से बेकिंग कर रही थी और साथ ही, खाना बनाने का भी उन्हें शौक था । उन्होंने तय किया कि वह घर से ही एक छोटी-सी पहल करें और उन्होंने वीकेंड पर बतौर ‘होम शेफ’ काम करना शुरू किया। वह “बेकिंग के कुछ ऑर्डर मैं पहले भी लेती थी। लेकिन यह नियमित नहीं था । लेकिन पिछले साल लॉकडाउन से उन्होंने नियमित वीकेंड पर खाने के ऑर्डर लेना शुरू किया। उनके इन ऑर्डर से जो भी पैसे आते हैं, वह उनसे इन बेसहारा जानवरों के खाने और इलाज आदि की व्यवस्था करती हैं। वह जितना कमाती है वह जानवरों की सेवा में लगाती हैं।
पर्यावरण के लिए भी सोचती है रूह।

रूह चौधरी को जितना जानवरों से प्यार है उतना ही वह पर्यावरण के लिए भी सोचती हैं। उनके घर से किसी भी तरह का कचरा बाहर नही फेंका जाता है । वह अपने घर पर ही कचरे से जैविक खाद तैयार करती हैं । वह अपने रसोई के कचरे से जैविक खाद बनाती हैं, जिनका उपयोग वह अपने बेटे के साथ बागबानी करने में करती हैं। वह प्लास्टिक की कोई भी सामग्री नहीं खरीदती हैं और सभी तरह की खरीदारी के लिए कपडे का बैग लेकर जाती हैं। वह हमेशा यह सोचती है कि उनके कारण पर्यावरण को किसी भी प्रकार का नुकसान नही हो।

उनकी सभी डिशेज भी उनके ग्राहकों तक पर्यावरण के अनुकूल तरीकों से पैक होकर पहुंचाई जाती हैं। अपनी डिशेज को पैक करने के लिए वह मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करती हैं।
रूह चौधरी के जानवरों और पर्यावरण के प्रति इतना समर्पण सचमुच अद्भुत है। रूह आज सभी लोगों के लिए प्रेरणाश्रोत है। हमें भी जानवरों और पर्यावरण से प्यार करना चाहिए। हमारा आने वाले भविष्य के लिए यह दोनों बहुत ही जरूरी है। पृथ्वी को संतुलित रखने में भी यह जरूरी है। हमें अपने जीवन में इन सभी पहलुओं को अपनाकर अपने अंदर बदलाव लाने की जरूरत है।
अगर आप रूह चौधरी से संपर्क करना चाहते हैं तो उन्हें फेसबुक पर संपर्क कर सकते हैं।
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