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Pravin Tambe Biography in Hindi

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Pravin Tambe (प्रवीन ताम्बे) – Kaun Pravin Tambe

41 साल की उम्र में IPL के RR के लिए उनके योगदान के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है !
“ सपने तभी पूरे होते है ”
जब उन्हें पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत की जाए। वरना सपने तो बंद आंखों से भी देखे जाते हैं आज हम आपको ऐसी ही संघर्ष भरी कहानी बताएंगे। जिसने अपने सपनो को पूरा करने के लिए हर वो नामुमकिन कोशिश को मुमकिन किया। अक्सर जिंदगी में सपने तो हर कोई देखता हैं। लेकिन उन सपनो को पूरा करने का मौका बेहद ही कम लोगो को मिलता हैं। आज एक ऐसे ही व्यक्ति की कहानी। जिसमे उनके पास हर जगह से असफलता होने के बावजूद भी उसको अवसर में बदलकर सफलता हासिल की।

आइए जानते है कौन है वे व्यक्ति (Pravin Tambe)

आज हम जिनकी बात कर रहे है उनका नाम प्रवीण तांबे ( Pravin Tambe) है जो एक सामान्य मराठी परिवार से तालुक रखते हैं। जिनका जन्म 8 अक्टूबर 1971, में मुंबई (Mumbai) में हुआ था। इनके परिवार में इनके पिता विजय तांबे (Vijay Tambe) वे उनकी माता ज्योति तांबे (jyoti Tambe) जो की हाउस वाइफ और उनके बड़े भाई प्रशांत (Prashant) जो पेशे से एक इंजीनियर है और जॉब करते है। प्रवीण तांबे जिन्होंने अपने स्कूल समय से ही रणजी ट्रॉफी के खेलने के लिए सपना देखा था। क्युकी प्रवीण पढ़ाई तो किया करते थे लेकिन उनकी क्रिकेट में ज्यादा रुचि होने के कारण वे हर वक्त क्रिकेट के बारे में ही सोचा करते थे। लेकिन क्रिकेट के साथ साथ वे टेनिस टूर्नामेंट भी खेला करते थे।

अभी भी था इंतजार अपने सपने को पूरा करने का ।
प्रवीण तांबे (Pravin Tambe) जो वक्त के साथ–साथ बड़े हो रहे थे। जिसके चलते उनका सपना को साकार होने में अभी भी वक्त था। लेकिन परिवार वाले उनकी उम्र को बढ़ता देख। उनकी शादी की चिंता कर उनकी ओर उनके बड़े भाई की शादी कर दी। जिसके बाद भी प्रवीण ने अपने सपने को छोड़ा नहीं । उनकी लगन और मेहनत अपने सपने को लेकर और भी मजबूत होने लगी। जिसके बाद रणजी ट्रॉफी के लिए लगातार ट्रायल देने लगे, पर एक वक्त ऐसा आया जब उन्हें मजबूरन नौकरी का दबाव आने लगा।
जब उन्हें नौकरी के दबाव में नौकरी ढूंढी तो उन्हे उस वक्त एक टूर्नामेंट खेलने का मौका मिला। लेकिन, वह टूर्नामेंट सिर्फ वही लोग खेल सकते थे। जो उस कंपनी के साथ काम करते थे। उस वक्त प्रवीण काफी निराश हो गए थे। लेकिन, कहते है न जब इंसान के पास कुछ न हो तो उसका टैलेंट काम आता हैं। ठीक इसी तरह प्रवीण के प्रदर्शन से एक कंपनी के टीम हेड को प्रवीण का टैलेंट देख उसे खेलने का मौका दिया और वह जीत गए। अच्छे प्रदर्शन से सामने वाली टीम को प्रवीण पर उंगली उठाई । जिस वजह से टीम हेड ने प्रवीण का पुरानी डेट पर ज्वाइनिंग लेटर दिखाया और वही प्रवीण को अपने साथ अपनी कंपनी में काम करने का मौका दिया।

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Pravin Tambe ने रणजी ट्राफी के लिए बनाया खुद को काबिल….

जब Pravin Tambe को कंपनी के साथ काम करने का मौका मिला तो उन्होंने इनकार न करते हुए उसे ज्वाइन कर लिया। जिसके बाद भी उनका सपना रणजी ट्रॉफी को खेलने का था। धीरे–धीरे समय बीतता जा रहा था एक दिन कंपनी में रणजी ट्रॉफी के लिए कोच को बुलाया गया। जो प्रवीण का प्रदर्शन देख उनसे खुश हो गए। लेकिन कोच का मानना था की प्रवीण राइट आर्म लेग ब्रेक बॉलर बने। जो प्रवीण को पसंद नही था जिसके बाद प्रवीण ने कोच से बहस की और उनकी बात को अनसुना किया और टूर्नामेंट खेलने के लिए चले गए। जिसमे उनके हाथ असफलता मिली।

असफलता को बदला सफलता में
….
प्रवीण जिन्होंने अपने सपने के लिए काफी संघर्षों का सामना किया और उनसे लड़कर आगे की और बढ़ते गए। लेकिन अपने कोच की बात न सुनने पर उन्हें टूर्नामेंट में असफलता का सामना करना पड़ा। जिसके बाद उन्हें कही परिस्थितियों का सामना कर । फिर से क्रिकेट के टूर्नामेंट खेलने की शुरुवात की और इस बार कोच की बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने लास्ट ओवर में राइट आर्म लेग का इस्तेमाल करते हुए सफलता को हासिल किया।

संघर्ष का सफर हुआ खत्म…..
टूर्नामेंट में सफलता हासिल करने के बाद । प्रवीण दिन रात क्रिकेट की प्रैक्टिस करते थे। क्युकी उन्हे अभी भी रणजी ट्रॉफी के लिए खेलने की उम्मीद थी। ऐसे में एक दिन राजस्थान रॉयल्स के कोच राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) जो की एक प्रसिद्ध क्रिकेटर है इन्होंने जब प्रवीण का प्रदर्शन देखा तो उन्होंने प्रवीण को अपने टीम के लिए खेलने का अवसर दिया। आपको बता दे, की इस वक्त प्रवीण तांबे (Pravin Tambe) की उम्र 41 साल हो गई थी। 41 साल की उम्र में प्रवीण की करियर की शुरुवात शुरू हुई। जब उन्होंने महाराष्ट्र की तरफ से पहली बार रणजी ट्रॉफी के लिए खुद को मैदान में उतारा।
आज प्रवीण तांबे को हर बच्चा बच्चा क्रिकेटर के रूप में जानता है। वर्तमान में प्रवीण की उम्र 50 वर्ष हो चुकी। जिस उम्र में लोग खेलना– कूदना छोड़ देते है उस उम्र में भी प्रवीण के अंदर अभी भी वही जुनून और वही मेहनत दिखाई देती हैं।

प्रेरणा :- किसी ने सच ही कहा हैं। की अगर सपने को हासिल करने की मेहनत और लगन हो तो कोई भी उम्र में सपने को पूरा किया जा सकता है। ठीक इसी तरह प्रवीण तांबे की कहानी हर उम्र के लोगो को जागरूक करती हैं।

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