Neem Karoli Baba
भारत में कई ऐसे संत गुरु हैं जिन्होंने अपने चमत्कारों से बहुत सी प्रसिद्धि हासिल की हैं, एक संत गुरु का सबसे बड़ा उद्देश्य यही होता हैं की वो अपना सारा सुख संसार व घर परिवार त्याग कर एक ऐसे सत्य के रास्ते पर चले जिससे वो लोगो पर आए कष्ठो को दूर कर सके । आप लोगो ने बहुत से संत गुरु के बारे में सुना और उनके द्वारा किए गए चमत्कारों को देखा भी होगा । और आज हम आपको उन्ही सभी में से एक ऐसे संत गुरु की जीवनी बताएंगे, जिसे हर बड़े नामी व्यक्ति भी मानते हैं व उनके मार्गदर्शन पर चलते आ रहे हैं।

संत गुरु के जीवन की गाथा (Neem Karoli Baba)
आज हम जिन गुरु की बात कर रहे है उन्होंने काफी सालों पहले ही प्रसिद्धि को हासिल कर लिया था। जिसके चलते आज भी लोग उन्हे सच्चे दिल से मानते हैं जी, हां हम बात कर रहे है लक्ष्मी नारायण शर्मा (Laxami Narayan Sharama), जो की आज नीम करोली बाबा ( Neem Karoli Baba) के नाम से जाने जाते है। जिनका जन्म 1900 वर्ष में फिरोजाबाद (Firozabad) के छोटे जिले अकबरपुर (Akbarpur) में हुआ। इनके पिता दुर्गा प्रसाद शर्मा (Durga parsad sharma) जो एक पंडित थे। आपको बता दे, की 11 वर्ष में ही इनके पिता ने बाबा जी की शादी कर दी थी, इनकी पत्नी राम बेटी (Ram Beti) व वर्तमान की बात की जाए तो, इनके दो पुत्र और एक पुत्री हैं। नीम करोली बाबा जी ने छोटी सी उम्र में ही काफी अलौकिक ज्ञान की सिद्धि हासिल कर ली थी।
घर त्याग शुरू किया संत जीवन
छोटी उम्र में शादी हो जाने के बाद वे अपनी गृहस्थ जीवन से काफी विचलित रहने लगे। जिसके बाद उन्होंने घर गृहस्थी को त्यागना ही बेहतर समझा और घर छोड़ वहा से चल पड़े, शुरुवाती दिनों में बाबा जी ने कई जगहो पर तपस्या और साधना की, जहां उन्होंने कई तरह की सिद्धियां हासिल की । व अलग अलग जगह पर तपस्या के कारण उनका अलग अलग नाम से वर्णन होने लगा। बाबा नीम करोली को हनुमान जी की भक्ति करना बेहद प्रिय था जिसके चलते लोगो को उनमें हनुमान जी का अवतार दिखाई देता था।
कई अद्भुत चमत्कारों से प्रसिद्ध होने लगी उनकी बाते
आपको बता दे, की वर्तमान में नीम करोली बाबा ( Neem Karoli baba) तो नही है लेकिन उनके द्वारा किए गए कही ऐसे चमत्कार जिनकी चर्चा आज भी देश भर में होती हैं। एक बार की बात है जब बाबा जी मां गंगा मैया के दर्शन के लिए ट्रेन में प्रथम श्रेणी के डिब्बे में सवार हुए, रास्ते में जब टीटी ने आकर उनसे टिकट पूछा। तो टिकट न होने के कारण टीटी ने बाबा जी को अपमानित कर ट्रेन से नीचे उतार दिया। जिसके बाद बाबा जी वही नीम के पेड़ के नीच अपना डंडा गाड़ तपस्या करने लगे। लेकिन रोचक की बात तो यह है की जब बाबा जी को ट्रेन से नीचे उतारा और ट्रेन जब चलने के लिएं तैयार हुई तो ट्रेन वहा से नहीं चल पाई।
काफी कोशिश करने के बाद ट्रेन चलने में नाकामयाब रही। जिसके बाद टीटी को अपनी गलती का पछतावा हुआ और माफी के साथ बाबा जी को ट्रेन पर बैठ यात्रा करने के लिए कहा। जिसके बाद बाबा जी ने 2 शर्ते रख ट्रेन पे चढ़े। पहली की उस जगह पे स्टेशन का निर्माण किया जाए व दूसरी की तुम कभी भी किसी साधु संत का ऐसे अपमान नही करोगे। जिसके बाद उनके बैठते ही ट्रेन चल पड़ी, ऐसे ही कई बाबा जी के चमत्कार जो देश नही विदेश में भी चर्चित हैं। जो आज भी लोगो को नीम करोली बाबा जी को भगवान मानने के लिए मजबूर करती हैं। क्योकि ऐसी चमत्कारी चीजे एक साधारण व्यक्ति नहीं कर बल्कि कोई अलौकिक व्यक्ति ही कर सकता है।
पवित्र कैंची धाम का निर्माण
नीम करोली बाबा जिनका जीवन छोटी उम्र से ही भगवान की तपस्या में रहा है। व अपना जीवन अनेको जगह पर जा कर तपस्या करने में लगाया हैं, और इसी दौरान बाबा उतराखंड में स्थित हिमालय में भ्रमण के लिए जा पहुंचे। जहाँ उन्होंने 1961 में कैंची धाम का निर्माण किया। जहां उन्होंने भंडारा आयोजित कर एक पवित्र कैंची धाम का नाम दिया। जहा श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर अपनी इच्छा को पूरा करने आते हैं। और कहा जाता है की ये जगह नीम करोली बाबा जी को बेहद प्रिय थी जहा उन्होंने अपने मित्र पूर्णानंद के साथ आश्रम का निर्माण किया।
फेसबुक और एप्पल के मालिक भी कर चुके है दर्शन
अक्सर हर किसी की जिंदगी में एक ऐसा समय भी आता है जब उसे कोई न कोई व्यक्ति का आसरा चाहिए होता। जिसे वह अपनी जिंदगी सुधार सके। ठीक ऐसे ही एक समय था जब एप्पल के फाउंडर (Founder of apple) स्टीव जॉब्स (Steve jobs) और फेसबुक के फाउंडर मार्क ज़ुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) का कारोबार बिलकुल ख़तम होने पे था जिस वक्त वे नीम करोली बाबा के कंची धाम माथा टेकने के लिए व उनका आशीर्वाद लेने आए, उनके धाम माथा टेकने के बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई और इनके अलावा भी कई ऐसे कही बड़े–बड़े सितारे हैं जिन्होंने नीम करोली बाबा के दरबार में माथा टेकते नजर आते है । ऐसी बहुत सी रोचक बाते जो नीम करोली बाबा की मान्यता लोगो में बढ़ावा देती हैं। बाबा अपने आप को एक ऐसा सन्यासी कहते थे, जो लोगो की समस्या का हल बता, जीवन में शांति देते थे, लेकिन लोग उन्हे एक साधारण इंसान नही उन्हे भगवान के रूप में पूजते थे।

10 वर्षो बाद वापिस आए अपने गांव
नीम करोली बाबा जी की चर्चा हर जगह फैलने लगी। जिसे लोगो के मन में उनसे मिलने वे उन्हे देखने की इच्छा जागरूक होने लगी। इस तरह नीम करोली बाबा जी की चमत्कारी बाते उनके गांव भी पहुंची। जिसके बाद उनके पिता चाहते थे की वह नीम करोली बाबा जी से मिल कर अपने पुत्र के बारे में पूछेंगे, लेकिन वह यह नहीं जानते थे की नीम करोली बाबा जी ही उनके बेटे है, जैसे ही जब उनके पिता नीम करोली बाबा जी के पास पहुंचे तो, वह उन्हे देख काफी अचंभित हुए, जिसके बाद उन्होंने अपने पुत्र को वापिस घर गृहस्थी में लोटने के लिए कहा। अपने पिता के काफी बार कहने पर वह 10 वर्ष बाद अपने गांव लोटे । लेकिन उन्होंने अपने पिता को घर–गृहस्थी में वापिस लोटने के लिए मना कर दिया। क्योकि उनका कहना था की वो अब सांसारिक सुख छोड़, सन्यास के रास्ते पे निकल चुके है।
त्याग दिया अपना जीवन
नीम करोली बाबा जी, जो अब अपने जीवन को त्यागना चाहते थे। जिन्होंने पूरा जीवन अपनी सच्ची लगन से धामों में तपस्या कर बिताया था। उनके कई ऐसे धाम थे लेकिन सब धामों में से उनका सबसे प्रिय धाम कैंची धाम था। जहां वह तपस्या करतें थे और अपने शिष्य को शिक्षा देते थे। लेकिन अंत में 9 सितंबर 1973 में उन्होंने अपना कैंची धाम भी त्याग दिया और वृंदावन के लिए रवाना हो गए। लेकिन उनका एक बेहद प्रिय शिष्य व मित्र पूर्णानंद, जो हर वक्त उनके साथ रहता था । लेकिन वृंदावन की यात्रा में वह उन्हे अपने साथ नही लेकर गए और रवि खन्ना को साथ ले गए और काठगोदाम से आगरा के लिए रवाना हुए। आगरा आने से पहले ही बाबा आधे रास्ते से ही ट्रेन से उतर गए। जहा उन्होंने बताया की वह अपना जीवन त्यागने जा रहे, जिसके बाद उनका दाह संस्कार पूर्णानंद के द्वारा वृंदावन में ही किया जायेगा।
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