Manikaran Sahib – भारत बहुत से ऐतिहासिक रहस्यों को समेटे हुए है, बहुत सी पौराणिक कथाओं के मुताबिक भारत में आज भी कई ऐसे पवित्र स्थान हैं। जहां करोड़ों की संख्या में लोगो यहाँ दर्शन करने आते है और ऐसे ही एक पवित्र तीर्थ स्थान के बारे में जानेगे जहाँ कई वर्षो तक शिव और पार्वती ने तपस्या की जिसके पश्चात् वहां गुरु नानक देव जी ने कदम रखा और विश्राम किया था ।

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कहाँ है मणिकरण साहिब
एक ऐसा पवित्र स्थान जो हिमाचल की वादियों में बसा हुआ है। हिमाचल प्रदेश में स्थित कुल्लू जिले के भुंतर से उत्तर-पश्चिम में पार्वती घाटी में ब्यास और पार्वती नदियों के मध्य बसा हुआ एक बहुत ही सुंदर व पवित्र स्थल हैं। यह समुद्र तल से 1760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और कुल्लू से इसकी दूरी लगभग 45 कि.मी. और मनाली से करीब 80 किलोमीटर है। हवाई मार्ग से यहां पहुंचने के लिए भुंतर में छोटे विमानों के लिए हवाई अड्डा भी है l
मणिकरण साहिब का इतिहास – Manikaran Sahib
हर ऐतिहासिक स्थान के पीछे कोई न कोई रहस्य अवश्य होता है। इसी प्रकार इस तीर्थ स्थान के पीछे भी एक ऐसा रहस्य है जिस कारण इसका नाम मणिकरण रखा गया। जैसे की हम सब जानते है पौराणिक कथा के अनुसार इस वादियों में भगवान शिव और पार्वती माता ने 1100 वर्षो तक एक साथ तपस्या की थी। कहा जाता है की भगवान शिव और पार्वती माता इन वादियों के सुंदरता से काफी मोहित हो गए थे।
और एक बार माता पार्वती को अपनी कान की बाली जो काफी प्रिय थी वह नहाने के दौरान उस बाली में से एक मणि जाकर पानी में गिर गई। जब यह बात माता पार्वती ने शिव जी को बताई। तो उन्होंने अपने दूतो को वह मणि ढूंढने का आदेश दिया। काफी कोशिश करने पर भी वह मणि नहीं ढूंढ पाए। जिसके बाद शिव भगवान काफी क्रोधित हो गए। और उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोल दिया। जिस दौरान वहा पर एक नैना देवी प्रकट हुई। जिसने उन्हें मणि के बारे में बताया।
प्रकट हुई नैना देवी ने शिव जी को बताया की वह मणि पाताल लोक में शेषनाग के पास है। जिसके बाद भगवान जी के दूतो ने शेषनाग से काफी विनती की। काफी विनती के बाद वह मणि शेषनाग ने वापिस तो कर दी। लेकिन वह इस बात से काफी क्रोधित हुए। और उनके क्रोध से एक गर्म पानी की धारा फूट पड़ी। जिस कारण उस जगह का नाम मणिकरण रखा गया।
ठंड में भी एक तरफ बहता है गरम पानी
एक तरफ तो भगवान शिव और मां पार्वती की रोचक कथा है। दूसरी तरफ मणिकरण साहिब गुरुद्वारे में गरम पानी आता है। जहाँ आज भी गुरुद्वारे का लंगर उसी पानी में बनाया जाता हैं। पौराणिक कथा के मुताबिक इस जगह पर गुरु नानक जी अपने पांच प्यारे के साथ आए थे यह उनका पहला स्थान था जहा वह रुके थे। इसी दौरान उनके प्यारो को भूख लगी। जिसके बाद गुरु नानक जी ने मर्दाने को खाना बनाने के लिए कहा।
लेकिन खाना न होने के कारण उन्होंने संगत से आटा इक्ट्ठा किया। जिसके बाद वहा कई चीज़ों की उपस्थिति न होने के कारण खाना नही बन पाया। जिसके बाद गुरु नानक जी ने मर्दाने को वहा बैठे एक पत्थर हटाने को कहा। जिसको हटाने के बाद वहा से गरम पानी की नदी बहने लगी। जो आज भी इतनी कड़क ठंड में भी गर्म ही बहती है। और सिवाए रोटी के पूरे गुरुद्वारे का लंगर उसी गरम पानी से बनता है।
काफी प्रसिद्ध है मणिकरण साहिब
मणिकरण साहिब जो आज बेहद प्रसिद्ध हैं। जहाँ देश के साथ साथ विदेश पर्यटक भी इस गुरुद्वारे के दर्शन करने आते है। क्योंकि यह गुरुद्वारा कई चमत्कारों पर आधारित है और यही सब चमत्कारों को देखने के लिए पर्यटक काफी दूर दूर से आते थे, साथ ही यह मान्यता भी है की जो भी लोग चरम रोग, गठिया या विशेष चर्म रोग से बीमार रहते है। वह अगर कुछ दिन इस गरम पानी में स्नान करते हैं। तो उनके रोग में पहले से काफी राहत मिलती हैं।
यहाँ स्थित है कई और भी पर्यटक स्थल भी
आपने मणिकरण साहिब के बारे में बहुत कुछ सुना भी है और जाना भी है जहाँ लाखों की संख्या में पर्यटक घूमने आते है। और वहा के अलौकिक दृश्य से मोहित हो जाते हैं। तो ऐसे में मणिकरण के साथ कई और ऐसे पर्यटक स्थान स्थित हैं जो कोई न कोई रोचक तथ्य पर निर्धारित है जैसे की–
- खीरगंगा।
यह एक पर्यटक स्थल है जो मणिकरण साहिब से 22 किलोमीटर की दूरी पर है। खीरगंगा वादियों में आकर्षित स्थान है जो आए पर्यटकों के एडवेंचर के लिए बेहद खास हैं। जैसे माउंटेन क्लाइंबिंग, नेचर वॉकिंग आदि।
- तीर्थन घटी।
यह भी एक काफी शांत स्थान है। जहाँ लोग शांति को तलाशते हुए आते है। कहा जाता है की इस स्थान पर बेहद शांति है और वहा की बहती नदियां आए हुए पर्यटकों को अपनी और काफी आकर्षित करती हैं।
- महादेव मंदिर।
यह पवित्र स्थान के साथ पर्यटक स्थान भी है। यह मंदिर जो काफी प्रसिद्ध और पहाड़ों पर स्थित इस मंदिर की चमत्कारी शक्तियों के चलते यहाँ आए पर्यटक काफी आकर्षित होते हैं।
- भृगु झील।
यह झील जो काफी मोहित है। कहा जाता है की इस झील का नाम ऋषि मुनि पर आधारित है। जो इस झील के पास तपस्या करते थे। इस झील को पूल ऑफ गॉड्स के नाम से भी जाना जाता है।
मणिकरण साहिब का खाना
अपको बता दे की मणिकरण साहिब में कुछ ज्यादा रेस्टुरेंट और भोजनालय नहीं है। तो ज्यादा भोजनालय न होने के कारण यहां पर आए पर्यटक गुरुद्वारे द्वारा बनाया गया लंगर खाकर ही अपने भोजन की भूख को शांत करते है। साथ ही पहाड़ी में स्थित गुरुद्वारे में ज्यादातर कोई चटपटी चीज नहीं होती। लेकिन जो भी भोजन बनाया जाता है वह काफी हाइजेनिक और स्वादिष्ट होता हैं।
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