सूर्य को भारत में भगवान का दर्जा दिया गया है, और प्राचीन समय से ही सूर्य भगवान की पूजा – अर्चना होती आयी है , पुरे भारत में सूर्य भगवन के जगह जगह मंदिर बने हुए है जो प्राचीन समय में ऋषियों और महाराजाओ द्वारा बनाये गए थे , इन मंदिरों में आज भी श्रद्धालु अपनी पूरी श्रदा से दर्शन करने और अपनी मनोकामना पूरी करने जाते है |
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कोणार्क सूर्य मंदिर कहाँ है ?
कोणार्क सूर्य मंदिर (Konark Sun Temple) ओडिशा (Odisha) के राज्य में पूरी जिले के कोणार्क कस्बे में स्थापित है। यह मंदिर को सूर्य देवता को समर्पित किया गया हैं। इस मंदिर का नाम कोणार्क जो दो शब्दो कोणा+अर्क से मिल कर बना हुआ है जहा कोणा का अर्थ है “कोना” और अर्क का अर्थ है “सूर्य”। और इन्ही दोनो अर्थों के आधार पर इसे कोणार्क मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर की सबसे अद्भुत बात यह है की यह मंदिर रथ के आकार में बना हुआ हैं जिसको बाहर से देखने पर इस मंदिर का आकार अपनी तरफ आकर्षित करता है।
कोणार्क मंदिर का इतिहास – History of Konark Sun Temple
इस मंदिर का निर्माण गंगा राजवंश के प्रसिद्ध शासक राजा नरसिम्हादेव ने 1243-1255 ईसवी के बीच करीब 1200 मजदूरों की सहायता से करवाया था, इस मंदिर की अद्भुत खूबसूरती और इस मंदिर में की गई नकाशि जो लोगो को काफी आकर्षित करती है। इस मंदिर के निर्माण के पीछे कई रहस्यमय रोचक बाते जुड़ी हुई हैं। जी हा कहा जाता है की अफगान शासक मोहमद गोरी और 13 वी शताब्दी में जब मुस्लिम शासकों ने कई राज्य में लड़ाई करके अपनी जीत हासिल की थी, तब लोगो को डर था की ओडिशा में भी मुस्लिम राज्य हिंदू राज्य को खत्म कर जीत हासिल करेगा।
लेकिन उस समय मुस्लिम राज्य ओडिशा में असफल रहे और गंगा राजवंश और राजा नरसिम्हादेव ने अपने हिंदू धर्म के लिए लड़ाई की और अपनी जीत हासिल की। जिसके बाद उन्होंने अपनी खुशी जाहिर करने के लिए कोणार्क मंदिर की स्थापना की, अपको बता दे की,गंगा राजवंश सूर्य देव के बहुत बड़े भक्त थे। जिसकी वजह से उन्होंने अपनी खुशी के चलते मंदिर का निर्माण किया।
कोणार्क मंदिर को लेकर काफी रोचक बाते
जैसे की हमने आपको बताया की कोणार्क मंदिर भारत में काफी प्रसिद्ध मंदिर हैं जहा लाखों की संख्या में लोग दर्शन करने जाते हैं। यह भारत के साथ साथ कई विदेशी लोग भी कोणार्क मंदिर से आकर्षित होकर उनके दर्शन के लिए आते हैं। ऐसे में कोणार्क मंदिर की कई ऐसी रोचक बाते, जिसे जानने के बाद आप लोग भी इस मंदिर में एक बार अवश्य जानना चाहेंगे।
अपको बता दे की, इस मंदिर का निर्माण एक रथ के आकार में किया गया है जिसमे 7 घोड़े और 24 पहिए है। कहा जाता है की यह सात घोड़े सप्ताह के दिन को बताते है और वही 24 पहिए है जो समय का विवरण करते है। जिन्हे धूपघड़ी भी कहा गया है। साथ ही साथ इस मंदिर की प्रसिद्धि के चलते इसे यूनेस्को (UNESCO) वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया है । जो ओडिशा के लिए काफी सम्मान और गर्व की बात थी।

इसके अलावा कोणार्क मंदिर में लोगो को एक अच्छी जिंदगी जीने की शिक्षा दी जाती हैं। जैसे की हम सब देखते आ रहे हैं की हर कोई रिश्ते छोड़ पैसों के पीछे भाग रहा हैं। ठीक इसी मंदिर में जब हम प्रवेश करते है तो वहा दो शेर बनाए गए, जिसमे शेर हाथी का विनाश करते हुए नजर आ रहे है, ऐसा चित्र इसलिए बनाया गया है, की एक इंसान के अंदर भी हाथी ही होता है,
जिसके चलते शेर को गर्व के रूप में दिखाया गया है और हाथी को पैसों के रूप में बताया गया है। और इस मंदिर के अंदर भारी चुंबक को लगाया गया है। और दीवार पर लोहे की प्लेट भी लगाई गई है, जिसकी वजह से चुंबक हवा में दिखाई देती है। जो लोगो को आकर्षित करती है।
कला पगोड़ा नाम से भी जाना जाता है
यह मंदिर अपने अंदर कही अद्भुत और रोचक बातो को समेटे हुआ है। और ऐसे में इस मंदिर को कोणार्क मंदिर के साथ कला पोगोडा नाम से भी जाना जाता है और यह नाम इसलिए रखा गया की मंदिर के ऊपर की जगह दूर से देखने में काली दिखाई देती है, जिस वजह से इसका नाम कला पोगोड़ा रखा गया।
पौराणिक कथा द्वारा कैसे शुरू हुई सूर्य की पूजा
पौराणिक कथा के मुताबिक सूर्य भगवान की पूजा अर्चना श्री कृष्ण जी के पुत्र साम्बा ने शुरू की थी। जैसे की हम सब जानते हैं की सूर्य भगवान कई रोगों के निवारक है जिसके चलते लोग उनकी अर्चना कर उन्हे प्रसन्न कर अपनी मनोकामना पूरी करते हैं। ऐसे में प्राचीन वर्ष के मुताबिक कहा जाता है की श्री कृष्ण जी के पुत्र साम्बा को श्राप द्वारा कोढ़ का रोग हो गया था। जिसका निवारण सूर्य देव ने कर उन्हे उस रोग से मुक्ति दिलाई थी। जिसके बाद उनकी सूर्य देव में भक्ति बेहद बड़ गई थी। और उसी के बाद उन्होंने सूर्य देव की पूजा याचना शुरू की थी।
कब जा सकते है कोणार्क सूर्य मंदिर
कोणार्क सूर्य मंदिर में लोगो को अपने मन में चल रहे क प्रश्नों के उतर मिलते है, और यह तक माता पिता को अपने बच्चो को कोणार्क मंदिर में दर्शन अवश्य करवाने चाहिए। ऐसे में बात आती है की किन मौसम में जाना सही रहेगा। तो हम आपको बता दे की कोणार्क मंदिर में जाने का सबसे अच्छा समय सितंबर और मार्च के बीच का है इस दौरान हम गर्मी से बच कर मंदिर के दृश्य को अच्छे से देख सकते हैं।
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