Biography of Legend of Indian Music Industry – Kishore Kumar
हमारे भारतीय सिनेमा ने हमे कई ऐसे सितारे दिए हैं। जिनको आज भी उनके टैलेंट से याद किया जाता हैं। भारतीय सिनेमा एक ऐसा मंच है, जहाँ लोगो ने अपने टैलेंट को दिखा कर कामयाबी को हासिल किया हैं। आज हम एक ऐसे ही गायक की बात करेंगे जिनके गानों ने भारत को दुनिया भर में एक नए आयाम तक पहुचाया । उनके द्वारा गाए हुए गाने हमेशा सुपरहिट होते थे। जो लोगों को बेहद पसंद भी आते थे। आज हम एक प्रसिद्ध कलाकार की बात कर रहे है जो आज संगीतकार के साथ अभिनेता, लेखक, निर्देशक भी रहे हैं। आइए जानते है एक ऐसे व्यक्ति के बारे में जिनके गानों को आज भी लोगो द्वारा याद किया जाता हैं।

जीवन परिचय Kishore Kumar
आज हम जिस अभिनेता और संगीतकार की बात कर रहे है। उनका नाम आभास कुमार (Abhas Kumar) था। लेकिन सिनेमा दुनिया में जब उन्होंने कदम रखा था, तब उन्होंने अपना नाम किशोर कुमार उर्फ किशोर दा (Kishore Da) रख लिया। इनका जन्म 04 अगस्त 1929 को भारत के मध्य प्रदेश (Madhay Pradesh) के खंडवा (Khandava) गांव में हुआ था। जो एक सामान्य बंगाली परिवार से तालुक रखते थे।
उनके पिता का नाम कुंजलाल गंगोली (Kunjlal Ganguli) है जो पेशे से एक वकील थे । उनकी माता का नाम गौरी देवी (Gauri Devi) था। जो पेशे से एक गृहणी थी। उनके दो भाई भी थे जो प्रसिद्ध अभिनेता थे जिनका नाम अशोक कुमार (Ashok Kumar) और दूसरे भाई का नाम अनूप कुमार (Anup Kumar) था। उनकी एक बहन थी जिनका नाम सती देवी (Sati devi) था।
कैसे शुरुवात हुई फ़िल्मी कैरियर की
किशोर कुमार के भाई अशोक कुमार जो उस समय काफी प्रसिद्धि हासिल कर, एक कामयाब अभिनेता बन चुके थे जिसके चलते उनके अधिकतर काम मुंबई में होते थे। और इस के कारण उन्हें कई बार अपने कामों को लेकर अपने परिवार के साथ मुंबई आना पड़ता था। और इसी के चलते किशोर कुमार जी ने अपनी रुचि भी अभिनेता और संगीत में दिखाई। जिसमे आज उनका कैरियर आसमान छू रहा है।
अपको बता दे की, किशोर कुमार का अधिकतर ध्यान संगीत में रहता था। उनके संगीतकार बनने की शुरुवात उनके द्वारा की गई पहली फिल्म “बॉम्बे टाकीज” से शुरू की, जिसमे उन्होंने बैकग्राउंड म्यूजिक दिया था। ऐसे करते हुए। किशोर कुमार का कैरियर संगीत के साथ अभिनेता के भूमिका में भी हुआ, उन्होंने अपनी द्वारा की गई पहली फिल्म “शिकारी” में अभिनेता की भूमिका का दर्शन किया। जिसके बाद उनके टैलेंट को लोगो ने और कलाकारों ने प्रोत्साहित किया।
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बहुत सी फिल्मों में दिखाया अपनी कला जा जादू
किशोर कुमार (Kishore Kumar) आज एक ऐसे अभिनेता और संगीतार थे, जिनको लोगो का इतना प्यार मिला की उनकी मृत्यु हो जाने के बाद भी वह लोगो के दिल में हमेशा के लिए जिंदा हैं, और आज भी लोग उनके गाने सुनना और उनके द्वारा की गई फिल्मों को देखना पसंद करतें हैं। अगर भूतकाल की बात की जाए तो किशोर कुमार जी ने बहुत सी फिल्मों में अपनी कला की छाप छोड़ी थी। जैसे की 1954 में बिमल राय की “नौकरी” में एक बेरोजगार युवक की भूमिका प्रदर्शित की थी।
1955 में बनी “बाप रे बाप”, 1956 में “नई दिल्ली”, 1957 में “मि. मेरी” और “आशा”, और 1958 में बनी “चलती का नाम गाड़ी” जिसमें किशोर कुमार ने अपने दोनों भाइयों अशोक कुमार और अनूप कुमार के साथ काम किया। ऐसी कई फिल्मों में किशोर कुमार ने अपनी कला से फिल्मों में जलवा बिखेरा था। एक बात अपको बता दे की, किशोर कुमार जी ने अपनी जिंदगी में संगीत की कोई शिक्षा नही ली थी।

मंच पर करते थे खुद को अलग तरह से प्रदर्शित
किशोर कुमार (Kishore Kumar) को अपने जन्मस्थान से काफी लगाव था, वे अपने गांव खंडवा से काफी जुड़े हुए थे उनका कहना है की उन्होंने जब– जब खुद प्रदर्शित किया है, तब तब उन्होंने अपने गांव खंडवा को बेहद याद किया है। और अपने गांव के प्रति ऐसा लगवा हमे बहुत कम लोगो के अंदर देखने को मिलता था। लेकिन किशोर कुमार जी ने अपनी हर कामयाबी में खंडवा गांव का नाम लिया। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जब वो मंच पे अपनी कामयाबी के पुरस्कार के लिए चढ़ते थे। तो वो खुद को किशोर कुमार खंडवा वाला कहते थे। ऐसा करता देख उनको पहचान से लोग काफी प्रोत्साहित होते थे।
अपको बता दे, की किशोर कुमार काफी मेहनती और अपनी कामयाबी में विश्वास रखते थे। क्योंकि उनका कहना था की उन्होंने पैसे और अपना नाम कमाने में काफी लगन से मेहनत की है जिसकी बदौलत आज उनका इतना बड़ा नाम हैं।

किशोर कुमार जी का सांसारिक जीवन
किशोर कुमार का जीवन कैरियर के मामले में तो काफी अच्छा था, जिसमे उन्होंने काफी ऊंचाई को अपने नाम किया, अगर इनके सांसारिक जीवन यानी शादी शुदा जीवन की बात की जाए तो इसमें उनका लक ज्यादा अच्छा नही था। क्योंकि जानकारी के मुताबिक किशोर कुमार की 4 शादी हुई थी। इनकी पहली शादी बंगाली गायिका और अभिनेत्री रूमा गुहा ठाकुरता उर्फ रूमा घोष से हुई थी । यह शादी 1950 से 1958 तक चली !
उनकी दूसरी पत्नी अभिनेत्री मधुबाला थी, मधुबाला के साथ उन्होंने होम प्रोडक्शन ‘चलती का नाम गाड़ी’ (1958) और झुमरू (1961) सहित कई फिल्मों में काम किया था। जब किशोर कुमार ने उनसे शादी करने का प्रस्ताव किया , मधुबाला बीमार थी और इलाज के लिए लंदन के लिए जाने की योजना बना रही थी, क्योकि उनके दिल में छेद था उनकी रोमा से शादी हो चुकी थी ! उनसे तलाक के बाद, 1960 में किशोर कुमार इस्लाम में परिवर्तित होकर अपना नाम करीम अब्दुल रखकर मधुबाला से शादी की ।
इस्लामिक कबूल के बाद उनके पिता उनसे नाराज हो गए थे जिस कारण उन्होंने फिर हिंदू रिवाज से शादी की, लेकिन उनके माता पिता ने कभी भी उनकी दूसरी पत्नी को उनकी पत्नी का दर्जा नहीं दिया और ये शादी तब खत्म हुई। जब उनकी दूसरी पत्नी की मौत हो गई। जिसके बाद उन्होंने तीसरी शादी योगिता बाली से की , जो 1976 से 1978 तक चली। किशोर ने 1980 में लीना चंदावरकर से शादी की थी। जो किशोर कुमार की मृत्यु 13 October 1987 तक चली। उनके दो बेटे, रूमा के साथ अमित कुमार और लीना चंदावरकर के साथ सुमित कुमार हैं ।
काफी पुरस्कारों को किया अपने नाम (Kishore Kumar)
किशोर कुमार की कामयाबी आज एक ऐसी मुकाम तक हैं जहा उन्होंने कही मंच को अपने नाम किया और इसी कामयाबी की बदौलत उन्हे कई पुरस्कारों से नवाजा गया। जैसे –
Table of Contents
- नेशनल फ़िल्म अवार्ड (National Film Award):
- 1984: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “कोई होता जिसको आप” (हुम कोई होते जोगे) के लिए !
- फ़िल्मफेयर अवार्ड (Filmfare Award):
- 1971: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “रोता हैं दिल मेरा” (मेरे जीवन साथी) के लिए !
- 1972: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “डिली वाला डिली पे मत ले यार” (शेर दिल) के लिए !
- 1974: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “ख़ामोश सा आँचल” (लिंगा रामा रेड्डी) के लिए !
- 1975: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “दिल आज शायर हैं” (गम्मा की रात) के लिए !
- 1980: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “हमें तुमसे प्यार कितना” (कुदरत) के लिए !
- 1983: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “अगर तुम ना होते” (अगर तुम ना होते) के लिए !
- फ़िल्मफेयर अवार्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट (Filmfare Lifetime Achievement Award):
- 1995: उनकी मान्यता और योगदान के लिए !
- फ़िल्म वर्ल्ड (Film World) अवार्ड:
- 1969: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “रूप तेरा मस्ताना” (आराधना) के लिए !
- 1971: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “दिल दीवाना” (दिल दीवाना) के लिए !
- बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट्स’ असोसिएशन (BFJA) अवार्ड:
- 1962: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “एक लड़की बहुत याद आती हैं” (ग़रीबी) के लिए !
- पद्मश्री:
- 1999: संगीत क्षेत्र में उनके योगदान के लिए !
जीवन के अंतिम पल
किशोर कुमार की मृत्यु 13 अक्टूबर 1987 को दिल का दौरा पड़ने से हो गई। किशोर कुमार की मृत्यु पूरी सिनेमा में एक बहुत बड़ा झटका ले कर आई। जैसे हमने आपको बताया की , किशोर कुमार को अपने गांव खंडवा से बहुत प्रेम था जिसकी वजह से जब उनकी उम्र हो गई तो उन्होंने सिनेमा से सन्यास लेने का सोचो और बची हुई जिंदगी वापिस से अपने खंडवा गांव में बितानी चाही। लेकिन यह सपना उनका अधूरा रह गया, और उनका अंतिम संस्कार खंडवा गांव में ही किया गाया।
Amazing Fact About Kishore Kumar
गायक किशोर कुमार के बारे में एक अद्भुत तथ्य है कि वे न केवल एक मशहूर गायक थे, बल्कि वे एक अभिनेता, गीतकार, संगीतकार और निर्माता भी थे। उन्होंने करीब 3,000 से अधिक गीतों को गाया है और 300 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है। उनकी आवाज़ को एक मधुर, आकर्षक और भावपूर्ण तरीके से व्यक्त किया जाता था, जिसने उन्हें बॉलीवुड में सबसे प्रमुख गायकों में से एक बना दिया। उन्होंने अपनी कारियर में बहुत से पुरस्कार जीते और उन्हें “किशोर दा” के नाम से भी पुकारा जाता था। उनकी सदीप्ति और योग्यता का यह मेल उन्हें एक बेहतरीन कलाकार बनाता है जिन्हें भारतीय संगीत की दुनिया में सदैव याद किया जाएगा।
गायक किशोर कुमार के बारे में एक अद्भुत तथ्य है कि उन्होंने अपनी संगीतीय करियर के दौरान एक महीने के भीतर 16 फिल्मों के लिए गाने गाए थे। यह अद्भुत गतिशीलता और कार्यक्षमता का प्रतीक है जिसे उन्होंने प्रदर्शित किया। उनकी प्रभावशाली आवाज़ और आरामदायक अंदाज़ उन्हें सशक्त और प्रतिस्पर्धी बनाते थे, जिसके कारण उन्हें भारतीय संगीत इतिहास में एक महान गायक के रूप में मान्यता प्राप्त है। उनका योगदान संगीत और फिल्म उद्योग को अविस्मरणीय गीतों के रूप में याद रखा जाएगा।
गायक किशोर कुमार के बारे में एक और अद्भुत तथ्य है कि उन्होंने गीतों के लिए अपनी आवाज़ को एक अनूठी तकनीक से संशोधित किया था। वे गीतों के बोलों को बहुत ही सरल और सुविधाजनक ढंग से पेश करने के लिए कविता पढ़ते थे। इसका परिणाम यह होता था कि उनकी गायन की शैली में भावनात्मकता, उत्साह और गहराई शामिल होती थी। इस अद्वितीय तकनीक ने उन्हें एक अनूठा पहचान दिलाई और उन्हें एक बेजोड़ गायक के रूप में मशहूरी प्राप्त करने में मदद की। इस तरह, किशोर कुमार ने अपनी आवाज़ को ब्राह्मणंडिय ढंग से एकदिवसीय बनाया और एक ऐसी विद्युतीकरण की जगह बनाई, जिसने लोगों को हमेशा याद रखने वाले गीतों के माध्यम से आकर्षित किया।
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