बहुत कम ऐसे लोग है जो विदेश रहकर भी अपने देश के लिए सोचते है । जिसके प्रत्यक्ष उदाहरण है बिस्वजीत नायक।
बिस्वजीत नायक एक ऐसे अप्रवासी भारतीय है जो रहते तो कैलिफोर्निया में है पर वह भारत के लोगों के उत्थान के लिए लगे हुए है। आज बिस्वजीत एविटी लर्निंग से उड़िया के अलावा 15 से अधिक भारतीय भाषा मे लर्निंग कंटेंट तैयार कर के ग्रामीण छात्रों तक पहुचा रही हैं। आइये जानते है बिस्वजीत के बारे में।
बिस्वजीत का परिचय ।
बिस्वजीत नायक ओड़िसा के जाजपुर ज़िले के नारीगांव के रहने वाले है। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा वही के स्थानीय स्कूल से पूरी की। इन्होंने NIT राउरकेला से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढाई की हैं। बीटेक करने के बाद इन्होंने कुछ साल भारत में नौकरी की । इसके बाद विदेश में जॉब करने की चाहत में यह 1999 में कैलिफ़ोर्निया के सिलिकॉन वैली चले गए। जहाँ पर अच्छी सैलरी पर इनकी नौकरी भी लग गयी । र इनका दिल था जो अब भी अपने देश में ही था। बिस्वजीत विदेश तो चले गए पर वह हमेशा अपने देश भारत के लिए सोचा करते थे। वह साल में एक बार भारत ज़रूर आते थे और यह बच्चो को शिक्षा देते थे।
बिस्वजीत ने ट्यूशन सेंटर की शुरुआत की ।

अपने देश से प्यार के कारण वह जब भी भारत आते थे तो बच्चों को पढ़ाया करते थे । वह एक बार पाचवीं कक्षा के एक लड़की को पढा रहे थे तो उन्हें समझाने में दिक्कत हो रही थी । उन्होंने तय किया कि वह अपने क्षेत्र में शिक्षा के प्रसार को बढाने के लिए ट्यूशन सेंटर की शुरुआत करेंगे जिससे बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके। उन्होंने इसी सोच के साथ अपने गांव में मधुसूदन शिख्या केंद्र की नींव डाली ।
ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का दीप ।

बिस्वजीत ने ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों में शिक्षा का दीप जलाया ।
बिस्वजीत ने जिस शिक्षा के दीप को जलाया उसे अब एविटी लर्निंग के नाम से जाना जाता हैं। यह Masive open online course(MOOC) पर आधारित हैं। 2017 में बिस्वजीत ने एविटी लर्निंग को आधिकारिक नाम से पंजीकृत करवाया। एविटी लर्निंग के आज उड़िया के अलावा 15 से अधिक भारतीय भाषा मे लर्निंग कंटेंट तैयार कर के ग्रामीण छात्रों तक पहुचा रही हैं। आज 120 से अधिक केंद्र और 400 स्कूलों में इसके कंटेंट को पढ़ाया जाता हैं। इसका पाठ्यक्रम पूरे राज्य में पढ़ाया जाता हैं।
चंदा वसूली करने वाले को बनाया मैनेजर।
बिस्वजीत ने एक नवयुवक जो गांव में घूमकर पूजा का चंदा वसूली का काम करता था उसे मैनेजर बनाया। वह बताते हैं कि एक बार गणेश पूजा के पहले कुछ लोग चंदा वसूली कर रहे थे। उन्ही लोगो मे से एक युवक प्रकाश पर बिस्वजीत की नज़र पड़ी। इन्होंने प्रकाश को 3 हज़ार रुपये महीने की नौकरी का ऑफर दिया। बिस्वजीत कहते है कि आज सेन्टर चलाने से लेकर छात्रों का डेटाबेस तैयार करना या पेरेंट्स को समझना यह सभी काम प्रकाश ही संभालता हैं। सेन्टर में आज शिक्षक और कंटेंट बनाने वालों को।मिलाकर 18 सदस्य हैं।
पूरे भारत में प्रसार करने का लक्ष्य ,दोस्त भी करते है मदद।

बिस्वजीत के दोस्त जिन्हें भारत से लगाव था वह आज उनकी मदद कर रहे है । उनके दोस्त स्मार्ट लर्निंग उपकरण जैसे टेबलेट या संचालन के उपकरणों का स्पांसर करते है। बिस्वजीत इस पाठ्यक्रम को पूरे भारत के कोने-कोने में ले जाना चाहते है। जिससे गरीब छात्र-छात्राओं को भी इससे लाभ हो।