Golden Temple – भारत में कई ऐसे मन्दिर और गुरद्वारे मौजूद है। जो अलग अलग धर्मो का प्रतीक है। जिनका दृश्य किसी खजाने से कम नहीं है। और इसी तरह भारत में कई धर्मो के लोग एक दूसरे के साथ मिल कर रहते है। ऐसे में सिखो का प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर जो सिखो के साथ–साथ सभी धर्मो का प्रतीक है जहाँ हर तरह के लोग अपनी मनोकामना लेकर स्वर्ण मंदिर में माथा टेकने जाते है।
Table of Contents

कहाँ है स्वर्ण मंदिर
स्वर्ण मंदिर जो सिखो के धर्म का प्रतीक है यह मंदिर पंजाब (Punjab) राज्य के अमृतसर (Amritsar) में स्थित श्री हरमिंदर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। अपको बता दे की यह मंदिर सोने (Gold ) से बना हुआ है जो खुद में ही एक आकर्षित दृश्य है। यह एक ऐसा पवित्र स्थल है जिसने अपने अंदर खूबसूरती को समेटा हुआ है। अगर हम अंदर से स्वर्ण मंदिर को देखते है तो हमे दीवार पे की हुई कई तरह की नकाशी दिखाई देती है ।
स्वर्ण मंदिर का इतिहास – Golden Temple
ऐसा कहा जाता है की यह स्वर्ण मंदिर 400 वर्ष पुराना है जिसका निर्माण सिखो के चौथे गुरु ने शुरुवात की थी जिसके बाद गुरु नानक और उनके पांचवे गुरु श्री अर्जुन देव जी ने 1577 में उनका पूर्ण रूप से निर्माण किया था। जिसके बाद इसे एक पूर्ण रूप में पक्का किया गया और जिसके बाद इसका निर्माण तालाब के बीच में किया गया। ऐसा कहा जाता है की जो भी श्रद्धालु मंदिर में आते है वह पहले तालाब में नहाते है। क्योंकि पौराणिक कथा के अनुसार इस तालाब में नहाने से कई तरह के रोग से मुक्ति मिलती है और पापों का नाश होता है जिसके बाद गुरु ग्रंथ साहिब जी को स्थापित किया गया।
अपको बता दे, की इस मंदिर का निर्माण सुरक्षित रूप से पूरा किया गया था। लेकिन इस मंदिर पर कई बार कई आक्रमण किए गए। जिसकी वजह से मंदिर पूरे रूप से नष्ट हो गया था। जिसके बाद भगवान में आस्था की वजह से और लोगो के अटूट विश्वास से इस मंदिर का दुबारा एक सुंदर रूप में निर्माण किया गया। जहाँ आज उसी अटूट विश्वास से लाखो की संख्या में लोग मंदिर के सुंदर दृश्य को देखने के लिए दूर–दूर से आते हैं।
किस तरह हुआ मंदिर का निर्माण
जैसे की हमने आपको बताया की मंदिर को एक बड़े सरोवर के बीच बनाया गया है जिसको रात के समय में देखना बहुत आकर्षित लागत है। ऐसे ही इस मंदिर के अंदर का निर्माण भी बेहद खूबसूरत है अपको बता दे की इस मंदिर के दीवारों का निर्माण एक बहुत सुंदर नकाशी से किया गया है इसके चार द्वार है जिन्हे लोग देखने के लिए आते है। इस मंदिर की इमारत तीन मंजिला है। जिसमे ऊपरी हिस्सा सोने से बना हुआ है।

सबसे बड़ा लंगर
अमृतसर स्वर्ण मंदिर में लाखो लोग माथा टेकने आते है। जहाँ लोगो को अच्छी तरह से लंगर खिलाया जाता है। ऐसा कहा जाता है की अमृतसर गुरदवारे में दुनिया का सबसे बड़ा लंगर होता है। जहाँ करीबन एक दिन में लाखो लोगो को लंगर खिलाया जाता है। और रोजाना संगत को देखते हुए दिन में 2 लाख से भी अधिक रोटियां बनाई जाती है। लेकिन आपको बता दे की, इस मंदिर में थाली में भोज को छोड़ना उनके लिए बेकद्री होती हैं जिस कारण लोगो को उतना ही खाना लेना चाहिए। जितनी उन्हे भूख हो।
स्वर्ण मंदिर में अनुरोध है इन बातो का
- गुरुद्वारे में जाने से पहले जूते चपलो को बाहर उतार कर ही अंदर जाना होता है।
- गुरुद्वारे में प्रवेश करने से पहले हमे अपने सिर को रुमाल, दुपट्टा, स्कार्फ से ढकना जरूरी है।
- गुरुद्वारे में कैप्री या कोई भी छोटे कपड़े डाल के जाना सख्त मना है।
- यह आए श्रद्धालु को अपने साथ किसी भी तरह का शराब, सिगरेट और ड्रग्स इत्यादि लाना माना हैं।
- गुरुद्वारे में आए श्रद्धालु को अन्य प्रकार की फोटो या सेल्फी लेना माना हैं।
- गुरुद्वारे में आए श्रद्धालु को अंदर दरबार साहिब के अंदर चल रही गुरुबाणी को नीचे बैठ कर ही सुनना होता है। क्योंकि ऐसी मान्यता है की नीचे बैठ कर गुरुबाणी को सुनना गुरु ग्रंथ साहिब जी को सम्मान देने का तरीका है।
कैसे पहुंचे अमृतसर स्वर्ण मंदिर
अमृतसर स्वर्ण मंदिर में बाय रोड और ट्रेन से रास्ता भी उपलब्ध है। जिसमे करीबन 9 घंटे का समय लगता है। अब अमृतसर जाने के लिए बाय प्लेन भी रास्ता उपलब्ध है जिसमे करीबन 1 घंटे के सफर को तेय हम अमृतसर स्वर्ण मंदिर में जा सकते है।
कौनसा सही समय ही अमृतसर स्वर्ण मंदिर में दर्शन करने का
स्वर्ण मंदिर में दर्शन करने के लिए हर रोज लंबी लाइन का सामना करना पड़ता है। क्योंकि मंदिर में लाखो लोगो की कगार में माथा टेकने आते है। जिस स्थिति में लोगो को मंदिर में दर्शन करने के लिए लंबी लाइन में खड़ा होना पड़ता है ऐसी में अगर आप लाइन से बचना चाहते हैं तो आप सुबह के चार बजे स्वर्ण मंदिर में माथा टेक सकते ।
जिसके दौरान लाइन बेहद कम होती और नंबर भी जल्दी आता है। और रही बात वीकेंड पर स्वर्ण मंदिर में जाकर दर्शन करने का । ऐसे समय पर अपको सुबह शाम काफी लंबी लाइन देखने को ही मिलेगी। तो ज्यादातर लोगो वीकेंड को छोड़ आगे पीछे के दिन में दर्शन कर सकते हैं। जिसे आप लाइन से बच कर जल्दी दर्शन कर सकते हैं।
Read More – क्लिक करे
ये भी पढ़े –
2. 12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) का इतिहास: पवित्र स्थलों की रोचक यात्रा
3. Amogh Lila Prabhu – अमोघ लीला प्रभु