परिवर्तन का अर्थ है किसी भी भौतिक या अभौतिक वस्तु मे समय के साथ साथ भिन्नता उत्पन्न होना। भिन्नता वस्तु के बाहरी रूप मे या उसके आन्तरिक संगठन, बनावट या गुण में हो सकती है । परिवर्तन प्रकृति का अटल नियम है।
परिवर्तन ही जीवन है और जीवन में परिवर्तन लाना बहुत आवश्यक है यदि आप परिवर्तन का विरोध कर रहे है तो आप जीवन का विरोध कर रहे है, परिवर्तन के अतिरिक्त कुछ भी स्थायी नहीं है
परिवर्तन आपके सुविधा क्षेत्र के अंत में शुरू होता है। कोई भी परिवर्तन अपने आप में कभी तकलीफ नहीं देता परिवर्तन का विरोध ही कष्ट देता है और किसी भी तरह का विकास परिवर्तन के बिना विकास सम्भव ही नहीं है |
यदि हम बदलते नहीं हैं, तो हम आगे नहीं बढ़ते हैं। यदि हम आगे नहीं बढ़ते हैं, तो हम वास्तव में जीवित नहीं हैं। स्थिर पानी जिसमे बहाव नहीं होता है, वह दूषित होता जाता है, इसी प्रकार अगर हमारे जीवन में भी बहाव या बदलाव ना हो, तो वह भी नीरस होने लगता है |
इंसान को सकारात्मक परिवर्तन लाने में विलम्ब नहीं करना चाहिए रंग रूप और सोच में समय के साथ बदलाव जरुरी है, पर अपनी जड़ से जुड़े रहना भी जरुरी है|
जब भी किसी चीज या किसी प्रभाव की जब अति होने लगे तो वहां परिवर्तन आवश्यक हो जाता है अन्यथा लम्बे समय तक कुछ बदलाव ना होने पर हम ऊब जाते है, तन और मन से थक जाते है और उस समय थोड़ा भी परिवर्तन आने पर तरो ताज़ा हो जाते है, एक नई ऊर्जा उत्पन्न होती है और हम उत्साह के साथ वापिस काम में लग जाते है यदि कोई अपने रोजमर्रा के कामो से ऊब जाये तो अपनी दिनचर्या में थोड़ा सा बदलाव या थोड़ा सा विराम ले कर हम दोगुने उत्साह के साथ वापिस जुट जाते है
परिवर्तन का उद्देश्य होता है बेहतर को प्राप्त करना | अगर आप जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं और कुछ बेहतरीन करना चाहते हैं तो आपको ख़ुद को भी बदलना होगा| उस लक्ष्य को पाने के लिए उसी के अनुसार श्रम भी करना होगा | हर परिवर्तन की शुरूआत थोड़े तकलीफ और असुविधाओ के साथ हो सकती है | अगर हम बदलते नहीं हैं तो हम आगे नही बढ़ सकते और जीवन में त रक्की नहीं कर पाते | जीवन में कुछ भी सीखने और आगे बढ़ने के लिए परिवर्तन ही सबसे सफल माध्यम माना गया है।
परिवर्तन से आप सफलता के शिखर तक पहुँच सकते हैं। एक ही चीज पर अड़े रहने और नई चीजों को ना सीखने से आगे बढना असंभव है।
प्रकृति में भी ये परिवर्तन ही तो है जो प्रकृति को नया रंग, नया रूप प्रदान करता है। पतझड़ में पेड़ से पत्ते झड़ जाते हैं और बसंत ऋतु में पेड़ो में नाये पत्ते आकर उसे हरा-भरा बना देते हैं। परिवर्तन ही एकमात्र उपाय है जो हमारे जीवन को रंगीन बना देता है परिवर्तन जीवन का अभिन्न अंग है इसीलिए इसका स्वागत करना चाहिए।
परिवर्तन का अंतराल थोड़ा कठिनाई भरा भले ही होता है लेकिन हम परिवर्तन से डरे तो उन्नति भी बिना परिवर्तन संभव नहीं है | पूरी सृष्टि भी अपने आप में हो रहे निरंतर परिवर्तन के कारण ही इतनी खूबसूरती से चल रही है रोज सुबह से शाम और फिर शाम से रात और फिर से सुबह और यदि ये परिवर्तन ना हो, तो सृष्टि सही से नहीं चलेगी |
ऐसा भी देखा गया है कि हम में से कई लोग खुद को ना बदल कर, सामने वाले को बदलने की कोशिश करते है और ऐसा ना होने पर परेशान होते है, दुखी हो जाते है और इसके स्थान पर यदि हम ऐसा सोच ले कि जो परिवर्तन करना है हमें स्वयं में करना है तो ये परेशानी आएगी ही नहीं | रोज धीरे धीरे अगर हम अपने अंदर एक छोटा सा सकारात्मक परिवर्तन लाते है तो हम पाएंगे कि कुछ समय बाद हम काफी बदल चुके होंगे |