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Acharya Prashant Biography

ACHARYA PRASHANT – (आचार्य प्रशांत )

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Acharya Prashant Biography

Acharya Prashant Biography

एक ऐसे शिक्षक जो जीवन के हर पहलू के बारे में बात करते हैं, चाहे वह शिक्षा हो, नौकरी हो, व्यवसाय हो, रिश्ते हों, पारिवारिक मुद्दे हों, प्यार हो, या फिर सेक्स हो ! शाकाहार, शास्त्रों, व युवाओं के विकास को बढ़ावा देना उनका मुख्य उद्देश्य है। उनका काम लोगों को उपभोक्तावाद, जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या के बारे में जागरूक करना है। उनके वीडियो तर्क और सत्यता पर आधारित होते हैं ! और लोगों को उस समय उनके बयानों पर बहस करने की पूरी आज़ादी होती है। वह न केवल प्रश्नों को बढ़ावा देते है बल्कि यह भी सुनिश्चित करते है कि प्रश्नकर्ता का हर संदेह दूर हो जाए। वह वेदांत (वेदों का अमृत) के प्रबल प्रवर्तक भी हैं।
वे एक आध्यात्मिक गुरु हैं जो समाज में अध्यात्म के संबंध में फैली भ्रांतियों को दूर करते हैं और संतों के शास्त्रों और वचनों के वास्तविक अर्थ की व्याख्या करते हैं। वह युवाओं को स्वतंत्र रूप से जीने और समाज के पारंपरिक रास्तों से बंधे रहने के लिए कहते हैं। युवा ही नहीं हर उम्र के लोग उनसे सवाल पूछते हैं। वह अपने उत्तरों की सरलता और तर्क श्रोताओं के संस्कारित मन को पूरी तरह से धो डालते हैं। वह चाहते हैं कि लोग स्वतंत्र रूप से जिए और उन बंधनों से दूर रहें जो केवल शास्त्रों को समझकर ही किया जा सकता है।

Acharya Prashant Biography

कौन है आचार्य प्रशांत (Acharya Prashant)

आज हम जिस व्यक्ति की बात कर रहे है। उन्होंने इस करोड़ों लोगो की भीड़ में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई हैं। जी, हां हम बात कर रहे है। प्रशांत त्रिपाठी ( Prashant Tripathi ) , जो आज आचार्य प्रशांत (Acharaya Prashant) के नाम से जाने जाते है। जो आध्यात्मिक गुरु के साथ–साथ लेखक और मोटिवेशनल स्पीकर भी है। जिनका जन्म 7 मार्च 1978 में आगरा, उत्तर प्रदेश (Agra, Uttar Pradesh) में हुआ। प्रशांत के पिता प्रशासनिक सेवा अधिकारी( नौकरशाह) थे, व उनकी माता हाउसवाइफ थी। और तीन भाई बहन जिनमे से सबसे बड़े प्रशांत थे ।

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पढाई में रहते थे अव्वल
आचार्य प्रशांत जिन्हे बचपन से ही पढ़ाई में काफी दिलचस्पी थी जिन्होंने अपनी पढ़ाई बेहद लगन और मेहनत के साथ पूरी की। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा लखनऊ में पूरी की, वे आगे की उच्च शिक्षा दिल्ली से पूर्ण की। आचार्य प्रशांत जिन्होंने छोटी सी उम्र में ही आईएएस (IAS) अधिकारी की नौकरी के लिए सपना देखा था। उन्होंने अपने पिता की लाइब्रेरी में ही छोटी उम्र में ही सारी किताबो को पढ़ लिया था। क्युकी प्रशांत जो अपने स्कूल में अपनी कक्षा में प्रथम आने वाले छात्र थे। आपको यह जानकर बेहद हैरानी होगी कि 15 वर्ष की उम्र में ही प्रशांत ने आईएएस (IAS) की तैयारी शुरू कर दी थी।

नौकरी छोड़ युवाओ को किया जागरूक

छोटी उम्र में देखा हुआ सपना आचार्य प्रशांत (Acharya Prashant) ने पूरा किया और अधिकारी पद को हासिल कर अपने सपने को साकार किया। लेकिन उनका मानना था की अपनी जिंदगी अपने तरीके से ही जीनी चाहिए। जब उन्हे नौकरी मिली तो उन्होंने समझा की अगर वो इसी नौकरी में रह गए तो पूरा जीवन इस नौकरी में उलझा रह जायेगा। जिसके चलते उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ी और एक ऐसे रहा पर चल पड़े। जहां वे अपने मन के विचारो से आज की युवाओ को जागरूक कर रहे हैं। और साथ ही साथ आज के युवा उनके विचारो को सुनकर उस पर अमल भी कर रहे है !

Acharya Prashant Biography
स्थापित किया फाउंडेशन
आचार्य प्रशांत जिनका नौकरी छोड़ने के बाद केवल एक ही उद्देश्य था। सही राह पे चलने के लिए लोगो को जागरूक करना। आचार्य जी के फाउंडेशन खोलने का उद्देश्य यह था की लोगो को ग्रंथ के बारे में शिक्षा देना वे उन लोगो को का सही मार्गदर्शन करना जो लोग अपनी जिंदगी में रास्ता भटक कर गलत रास्ते को चुन कर अपनी जिंदगी को नष्ट कर रहे हैं। इनके द्वारा लिखी गई कही ऐसी किताबे है जिसमे आचार्य जी ने अपने विचारो को प्रकट किया है जिसे लोग पढकर अपनी सोच को बदलने लगे हैं।

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पशु प्रेमी बनने के लिए लोगो को करते है प्रेरित

साल 2022 में आचार्य प्रशांत (Acharya Prashant) को पेटा इंडिया सबसे प्रभावशाली वेगन पुरस्कार (PETA’s India most influencing vegan award) से नवाजा गया है। जिसमे उन्हे जानवरो के खिलाफ हो रही क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाने के लिए उन्हें पुरुस्कृत किया है , उनकी टीम जानवरो को प्यार करने के लिए लोगो को जागरूक कर रही हैं।

करोड़ों लोग करते है आचार्य प्रशांत को फॉलो
आचार्य प्रशांत जिन्होंने आज अपनी एक ऐसी पहचान बना ली हैं। जहां करोड़ों युवा उनके सेशन व उनका द्वारा लिखी गई किताब, वेउनके द्वारा बोली गई मोटिवेशनल स्पीच को काफी पसंद करते हैं। आज आचार्य प्रशांत हर युवा के लिए एक ऐसा फरिश्ता बन के आय हैं। जो युवा को सही रास्ता दिखाने का काम करते हैं। वे अपनी बातो से उनकी मुश्किलों को खत्म करते है। इसी तरह करोड़ों लोग आज आचार्य प्रशांत को सोशल साइट पे फॉलो करते हैं। व साथ ही साथ लोग उन्हे बेहद प्यार दे रहे हैं।

प्रेरणा
आचार्य प्रशांत जिन्होंने एक अच्छी खासी नौकरी छोड़ कर एक ऐसा रास्ता चुना जहां उनका मानना था की वो लोगो को अपने विचारो से सही तरीके से जीवन जीना सिखाएंगे। ठीक आज की युवा को भी ऐसी सोच रखा अपने जीवन को किसी के दबाव में ना डाल कर आजादी से जीवन को जीना चाहिए।
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Best Life Quotes in Hindi

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Best Life Quotes in Hindi

मुझे समझने लगो जब,
तो समझ लेना कि तुम मेरे
प्रेम में हो,
मेरी प्रतिक्षा में हो,
मेरी जीवन य़ात्रा का हिस्सा हो !

Mujhe Samjhane Lago Jab,
To Samjh Lena Ki Tum Mere
Prem Me Ho,
Meri Pratiksha me Ho,
Meri Jivan Yatra Ka Hissa Ho…!

Best Life Quotes in Hindi

ध्यान का अर्थ हैं,
कि तुम निखरना चाहते हो,
स्वयं तक पहुचना चाहते हो,
आत्मा से परमात्मा बनना चाहते हो !

Dhyan Ka Arth Hai,
Ki Tum Nikharna Chahte Ho,
Swayam Tak Pahuchna Chahte Ho,
Aatma Se Parmatma Banna Chahte Ho..!

Best Life Quotes in Hindi

जब तुम भीड़ से दूर होने लगो,
और खुद से जुड़ने लगो,
तो समझ लेना,
सफलता तुम्हारी प्रतिक्षा कर रही हैं !

Jab Tum Bhid Se Door Hone Lago,
Aur Khud Se Judne Lago,
To Samjh Lena,
Safalta Tumahri Pratiksha Kar Rahi Hai…!

Best Life Quotes in Hindi

अगर तुम्हे मैं कभी गलत नज़र आऊ,
तो तुम मुझे उसी पल छोड़ देना,
पर उससे पहले तुम कितने सही हो,
इसका आत्मचिंतन जरूर करना !

Agar Tumhe Main Kabhi Galat Nazar Aaun,
To Tum Mujhe Usi Pal Chhod Dena,
Par Usase Pahle Tum Kitne Sahi,
Iska Aatmchintan Jaroor Karna…!

Best Life Quotes in Hindi

तुम जो चाहो वो बन सकते हो,
पर तुम्हारा खुद पर अटूट विश्वास
होना अनिवार्य हैं !

Tum Jo Chaho Vo Sakte Ho,
Par Tumhara Khud Par Atoot Vishwas
Hona Anivarya Hai…!

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Pravin Tambe

Pravin Tambe Biography in Hindi

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Pravin Tambe (प्रवीन ताम्बे) – Kaun Pravin Tambe

41 साल की उम्र में IPL के RR के लिए उनके योगदान के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है !
“ सपने तभी पूरे होते है ”
जब उन्हें पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत की जाए। वरना सपने तो बंद आंखों से भी देखे जाते हैं आज हम आपको ऐसी ही संघर्ष भरी कहानी बताएंगे। जिसने अपने सपनो को पूरा करने के लिए हर वो नामुमकिन कोशिश को मुमकिन किया। अक्सर जिंदगी में सपने तो हर कोई देखता हैं। लेकिन उन सपनो को पूरा करने का मौका बेहद ही कम लोगो को मिलता हैं। आज एक ऐसे ही व्यक्ति की कहानी। जिसमे उनके पास हर जगह से असफलता होने के बावजूद भी उसको अवसर में बदलकर सफलता हासिल की।

आइए जानते है कौन है वे व्यक्ति (Pravin Tambe)

आज हम जिनकी बात कर रहे है उनका नाम प्रवीण तांबे ( Pravin Tambe) है जो एक सामान्य मराठी परिवार से तालुक रखते हैं। जिनका जन्म 8 अक्टूबर 1971, में मुंबई (Mumbai) में हुआ था। इनके परिवार में इनके पिता विजय तांबे (Vijay Tambe) वे उनकी माता ज्योति तांबे (jyoti Tambe) जो की हाउस वाइफ और उनके बड़े भाई प्रशांत (Prashant) जो पेशे से एक इंजीनियर है और जॉब करते है। प्रवीण तांबे जिन्होंने अपने स्कूल समय से ही रणजी ट्रॉफी के खेलने के लिए सपना देखा था। क्युकी प्रवीण पढ़ाई तो किया करते थे लेकिन उनकी क्रिकेट में ज्यादा रुचि होने के कारण वे हर वक्त क्रिकेट के बारे में ही सोचा करते थे। लेकिन क्रिकेट के साथ साथ वे टेनिस टूर्नामेंट भी खेला करते थे।

अभी भी था इंतजार अपने सपने को पूरा करने का ।
प्रवीण तांबे (Pravin Tambe) जो वक्त के साथ–साथ बड़े हो रहे थे। जिसके चलते उनका सपना को साकार होने में अभी भी वक्त था। लेकिन परिवार वाले उनकी उम्र को बढ़ता देख। उनकी शादी की चिंता कर उनकी ओर उनके बड़े भाई की शादी कर दी। जिसके बाद भी प्रवीण ने अपने सपने को छोड़ा नहीं । उनकी लगन और मेहनत अपने सपने को लेकर और भी मजबूत होने लगी। जिसके बाद रणजी ट्रॉफी के लिए लगातार ट्रायल देने लगे, पर एक वक्त ऐसा आया जब उन्हें मजबूरन नौकरी का दबाव आने लगा।
जब उन्हें नौकरी के दबाव में नौकरी ढूंढी तो उन्हे उस वक्त एक टूर्नामेंट खेलने का मौका मिला। लेकिन, वह टूर्नामेंट सिर्फ वही लोग खेल सकते थे। जो उस कंपनी के साथ काम करते थे। उस वक्त प्रवीण काफी निराश हो गए थे। लेकिन, कहते है न जब इंसान के पास कुछ न हो तो उसका टैलेंट काम आता हैं। ठीक इसी तरह प्रवीण के प्रदर्शन से एक कंपनी के टीम हेड को प्रवीण का टैलेंट देख उसे खेलने का मौका दिया और वह जीत गए। अच्छे प्रदर्शन से सामने वाली टीम को प्रवीण पर उंगली उठाई । जिस वजह से टीम हेड ने प्रवीण का पुरानी डेट पर ज्वाइनिंग लेटर दिखाया और वही प्रवीण को अपने साथ अपनी कंपनी में काम करने का मौका दिया।

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Pravin Tambe ने रणजी ट्राफी के लिए बनाया खुद को काबिल….

जब Pravin Tambe को कंपनी के साथ काम करने का मौका मिला तो उन्होंने इनकार न करते हुए उसे ज्वाइन कर लिया। जिसके बाद भी उनका सपना रणजी ट्रॉफी को खेलने का था। धीरे–धीरे समय बीतता जा रहा था एक दिन कंपनी में रणजी ट्रॉफी के लिए कोच को बुलाया गया। जो प्रवीण का प्रदर्शन देख उनसे खुश हो गए। लेकिन कोच का मानना था की प्रवीण राइट आर्म लेग ब्रेक बॉलर बने। जो प्रवीण को पसंद नही था जिसके बाद प्रवीण ने कोच से बहस की और उनकी बात को अनसुना किया और टूर्नामेंट खेलने के लिए चले गए। जिसमे उनके हाथ असफलता मिली।

असफलता को बदला सफलता में
….
प्रवीण जिन्होंने अपने सपने के लिए काफी संघर्षों का सामना किया और उनसे लड़कर आगे की और बढ़ते गए। लेकिन अपने कोच की बात न सुनने पर उन्हें टूर्नामेंट में असफलता का सामना करना पड़ा। जिसके बाद उन्हें कही परिस्थितियों का सामना कर । फिर से क्रिकेट के टूर्नामेंट खेलने की शुरुवात की और इस बार कोच की बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने लास्ट ओवर में राइट आर्म लेग का इस्तेमाल करते हुए सफलता को हासिल किया।

संघर्ष का सफर हुआ खत्म…..
टूर्नामेंट में सफलता हासिल करने के बाद । प्रवीण दिन रात क्रिकेट की प्रैक्टिस करते थे। क्युकी उन्हे अभी भी रणजी ट्रॉफी के लिए खेलने की उम्मीद थी। ऐसे में एक दिन राजस्थान रॉयल्स के कोच राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) जो की एक प्रसिद्ध क्रिकेटर है इन्होंने जब प्रवीण का प्रदर्शन देखा तो उन्होंने प्रवीण को अपने टीम के लिए खेलने का अवसर दिया। आपको बता दे, की इस वक्त प्रवीण तांबे (Pravin Tambe) की उम्र 41 साल हो गई थी। 41 साल की उम्र में प्रवीण की करियर की शुरुवात शुरू हुई। जब उन्होंने महाराष्ट्र की तरफ से पहली बार रणजी ट्रॉफी के लिए खुद को मैदान में उतारा।
आज प्रवीण तांबे को हर बच्चा बच्चा क्रिकेटर के रूप में जानता है। वर्तमान में प्रवीण की उम्र 50 वर्ष हो चुकी। जिस उम्र में लोग खेलना– कूदना छोड़ देते है उस उम्र में भी प्रवीण के अंदर अभी भी वही जुनून और वही मेहनत दिखाई देती हैं।

प्रेरणा :- किसी ने सच ही कहा हैं। की अगर सपने को हासिल करने की मेहनत और लगन हो तो कोई भी उम्र में सपने को पूरा किया जा सकता है। ठीक इसी तरह प्रवीण तांबे की कहानी हर उम्र के लोगो को जागरूक करती हैं।

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Life Inspirational Quotes in Hindi

Life Inspirational Quotes in Hindi

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Life Inspirational Quotes in Hindi – मोटिवेशनल कोट्स हिंदी

Life Inspirational Quotes in Hindi

भीतर प्रेम का जन्म ही परमात्मा से
जुड़ने का प्रमाण हैं,
जिस दिन तुम प्रेम से भर जाओ,
निश्चित हो जाना
कि परमात्मा तुम्हारे भीतर बैठा हैं !

BHeetar Prem Ka Janm Hi Parmatma Se
Judne Ka Pramaan Hai,
Jis Din Tum Prem Se Bhar Jao,
Nishchit Ho Jana
Ki Parmatma Tumhare Bhitar Baitha Hai…!

Life Inspirational Quotes in Hindi – मोटिवेशनल कोट्स हिंदी

Life Inspirational Quotes in Hindi

जीवन में यदि संघर्ष हैं,
तो दुखी मत हो, परेशान मत हो,
क्योकि यदि संघर्ष नहीं होता,
तो जीवन नहीं होता,
संघर्ष हैं तभी जीवन हैं !

Jivan Me Yadi Sangharsh Hai,
To Dukhi Mat Ho, Pareshan Mat Ho,
Kyoki Yadi Sangharsh Nahi Hota,
To Jivan Nahi Hota,
Sangharsh Hai Tabhi Jivan Hai…!

Life Inspirational Quotes in Hindi – मोटिवेशनल कोट्स हिंदी

Life Inspirational Quotes in Hindi

मैने हर किसी को धर्म का
मार्ग दिखाया,
मगर मूर्खो को अधर्म का
मार्ग ही भाया !

Maine Har Kisi Ko Dharm Ka
Marg Dikhaya
Magar Murkho Ko Adharm Ka
Marg Hi Bhaya…!

Life Inspirational Quotes in Hindi – मोटिवेशनल कोट्स हिंदी

Life Inspirational Quotes in Hindi

ऐसा सुख बेकार हैं,
जो किसी को दुख देकर प्राप्त हो,
ऐसी संगति बेकार हैं,
जहाँ सत्य और धर्म का पालन ना हो !

Aisa Sukh Bekar Hai,
Jo Kisi Ko Dukh Dekar Prapt Ho,
Aisi Sangati Bekar Hai,
Jahan Satya Aur Dharm Ka Palan Na Ho…!

Life Inspirational Quotes in Hindi – मोटिवेशनल कोट्स हिंदी

Life Inspirational Quotes in Hindi

अच्छा व्यक्ति वही है,
जो दुसरो का कभी बुरा नहीं सोचता,
और हर कमजोर व्यक्ति की
सहायता करता है !

Achha Vyakti Wahi Hai,
Jo Dusro Ka Kabhi Bura Nahi Sochta,
Aur Har Kamjor Vyakti Ki
Sahayta Karta Hai…!

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Love Shayari

Sad Quotes in Hindi – Short Quotes

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Sad Quotes in Hindi – Short Quotes

Sad Quotes in Hindi - Short Quotes

मायने ये नहीं रखता की अभी साथ कौन है ,
मायने ये रखता है , आखिर तक साथ कौन देता है !

Mayne Ye nahi Rakhta Ki Abhi Sath Kaun Hai,
Mayne Ye Rakhta Hai, Aakhir Tak Sath Kaun Deta Hai…!

Sad Quotes in Hindi – Short Quotes

Sad Quotes in Hindi - Short Quotes

हमारे रिश्ते की एक ही शर्त है,
तुम्हे सब बता देना होगा
मुझे पता चलने से पहले !

Hamare Rishte Ki Ek Hi Shart Hai,
Tumhe Sab Bta Dena Hoga.
Mujhe Pta Chalne Se Pahle….!

Sad Quotes in Hindi – Short Quotes

Sad Quotes in Hindi - Short Quotes

जो है , जितना है , तुमसे है , काफ़ी है ,
अब इश्क़ कहो या पागलपन
हम सब में राज़ी है !

Jo Hai, Jitna Hai, Tumse Hai, Kafi Hai,
Ab Ishq Kaho Ya Pagalpan
Hum Sab Me Razi Hai…!

Sad Quotes in Hindi – Short Quotes

Sad Quotes in Hindi - Short Quotes

जो जा रहा है उसे जाने दो ,
आज रुक भी गया अगर
तो कल चला जायेगा !

Jo Ja Rha Hai Use Jane Do,
Aaj Ruk Bhi Gya Agar
To Kal Chla Jayega…!

Sad Quotes in Hindi – Short Quotes

Sad Quotes in Hindi - Short Quotes

शुक्र अदा करो हमने छोड़ दिया तुम्हे,
वरना लोग तो अक्सर
नागिन को मार दिया करते है !

Shukra Ada Karo Humane Chhod Diya Tumhe,
Varna Log To Aksar
Naagin Ko Maar Diya Karte Hai…!

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Story of Santosh Anand, an Indian lyric writer who obtained success in the 1970’s

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Many of us may have not known Santosh Anand but we all would have listened to his popular written songs from the 1970s and 1980s at least once in our life. Mr. Santosh Anand is an Indian lyric writer who obtained success in the 1970s, earning the Filmfare Award for Best Lyricist twice in 1975 and 1983 and is also awarded the Yash Bharti Award in 2016.

Santosh Anand was born on 5 March 1940 into a lower-middle-class Hindu family.He completed his high school and intermediate examination from his hometown, and after that, he completed his graduation in library science at Aligarh Muslim University. Due to his interest in music, he turned to Bollywood.

 He began his career in music with the film Poorab Aur Paschim released in 1970 in which the soundtrack was composed by well-known composer Kalyanji – Anandji. In Bollywood, Mr. Santosh composed 109 songs in 26 movies.

His achievements and awards are given below :

  • Made his debut in the filmography Poorab Aur Pashchim in 1971.
  • Wrote his popular song “Ek Pyar Ka Naghma Hai” in the 1972 film Shor.
  • Got Yash Bharti Award in 2016
  • Filmfare Awards i
  •  for the movie – Roti Kapda Aur Makaan in 1974 and Song Name was Main Na Bhoolunga.
  • Filmfare Award for the Film- Prem Rog in 1983 and song Name was Mohabbat Hai Kya Chij.

 

Santosh Anand was married for 10 years and his wife’s name is Late Raj Dulari. His only son was  Sankalp Anand who was a Lecturer at the Institute of Criminology and Forensic Science but, In the year 2014, Sankalp Committed Suicide With His Wife Nandini Anand.

Sankalp had left a 10-page suicide note, where he had written numerous things about several top officials and disclosed the enduring corruption. After his suicide, father Santosh Anand broke a mountain of pain and had to deal with many difficulties.

Despite his tremendous work and incredible fame, people have neglected him for many years and he has become physically helpless and was left with no work.  Few months back Santosh Anand Ji was invited to Indian Idol 2021, where he narrated his sorrows and painful stories which caused tears in everyone’s eyes.

After learning Santosh Anand’s poor health and financial condition Indian Singer Neha Kakkar announced to donate 5 lakh to him which made Mr. Santosh even sadder and he says he just wants respect and has never asked for money or help from anyone.

The 82-year-old lyricist says he appreciates going to various functions and reciting his poetry. He participates in Kavi sammelan and earns through that. 

Santosh Anand Ji is present on all social media platforms like Facebook and Twitter except Instagram where he keeps sharing his latest updates with fans. 

 

आचार्य चाणक्य की जीवन परिचय| Acharya Chanakya Biography in Hindi

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आचार्य चाणक्य असाधारण प्रतिभा के धनी थे । वे एक कुशल अर्थशास्त्री, कूट​नीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ और योग्य गुरू होने के साथ तमाम विषयों का ज्ञान रखते थे । जीवन की हर परिस्थिति का वो बारीकी से अध्ययन करते थे ।अपने ज्ञान और अनुभव को उन्होंंने अपनी रचनाओं में पिरोया है, ताकि उनसे आम लोगों का भी भला हो सके । उन्हीं रचनाओं में से एक है चाणक्य नीति । चाणक्य नीति में आचार्य ने तमाम ऐसी बातें बताई हैं, जिनका अनुसरण करके व्यक्ति अपने कठिन समय को भी आसान बना सकता है और तमाम मुसीबतों को आने से पहले ही रोक सकता है।

आचार्य चाणक्य के जन्म स्थान के बारे में।

महापंडित चाणक्य के जन्म के बारे में कुछ भी स्पष्ट उल्लेख नहीं है, फिर भी उनका जन्म बौद्ध धर्म के मुताबिक 350 ईसा पूर्व में तक्षशिला के कुटिल नामक एक ब्राह्मण वंश में हुआ था। उन्हें भारत का ‘मैक्यावली‘ भी कहा जाता है। आचार्य चाणक्य के जन्म के बारे में अलग-अलग मतभेद हैं। वहीं कुछ विद्धान उन्हें कुटिल वंश का मानते हैं इसलिए कहा जाता है कि कुटिल वंश में जन्म लेने की वजह से उन्हें कौटिल्य के नाम से जाना गया। जबकि कुछ विद्धानों की माने तो वे अपने उग्र और गूढ़ स्वभाव की वजह सेत ‘कौटिल्य’ के नाम से जाने गए। जन्म स्थान को लेकर ‘मुद्राराक्षस‘ के रचयिता के अनुसार उनके पिता को चमक कहा जाता था इसलिए पिता के नाम के आधार पर उन्हें चाणक्य कहा जाने लगा।

आचार्य चाणक्य के जीवन परिचय ।

चाणक्य का जन्म एक बेहद गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होनें अपने बचपन में काफी गरीबी देखी यहां तक की गरीबी की वजह से कभी-कभी तो चाणक्य को खाना भी नसीब नहीं होता था और उन्हें भूखे पेट ही सोना पड़ता था। चाणक्य बचपन से क्रोधी और जिद्दी स्वभाव के थे उनके उग्र स्वभाग के कारण ही उन्होनें नन्द वंश का विनाश करने का फैसला लिया था। आपको बता दें कि चाणक्य शुरू से ही साधारण जीवन यापन करने में यकीन करते थे। उनके बारे में कहा जाता है कि महामंत्री का पद और राजसी ठाट होते हुए भी इन्होंने मोह माया का फ़ायदा कभी नहीं उठाया। चाणक्य को धन, यश, मोह का लोभ नहीं था। कौटिल्य ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे थे उनके जीवन के संघर्षों और उनकी नेक विचारों ने उन्हें एक महान विद्धान बनाया था।

चाणक्य की शिक्षा।

महान विद्धान चाणक्य की शिक्षा-दीक्षा प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय में हुई थी। वे बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी और एक होनहार छात्र थे उनके पढ़ने में गहन रूचि थी। वहीं कुछ ग्रंथों के मुताबिक चाणक्य ने तक्षशिला में शिक्षा ग्रहण की थी। ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए, चाणक्य को अर्थशास्त्र, राजनीति, युद्ध रणनीतियों, दवा, और ज्योतिष जैसे कई विषयों की अच्छी और गहरी जानकारी थी। वे इन विषयों के विद्धान थे।
इसके अलावा उन्हें वेदों और साहित्य का अच्छा ज्ञान था। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे तक्षशिला में राजनीतिक विज्ञान और अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बन गए उसके बाद वे सम्राट चंद्रगुप्त के भरोसेमंद सहयोगी भी बन गए थे।

चाणक्य सफल कूटनीतिज्ञ

14 वर्ष के अध्ययन के बाद 26 वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी समाजशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र की शिक्षा पूर्ण की और नालंदा में उन्होंने शिक्षण कार्य भी किया । वे राजतंत्र के प्रबल समर्थक थे, उन्हें ‘भारत का मैकियावेली’ के नाम से भी जाना जाता है । ऐसी किंवदन्ती है कि एक बार मगध के राजदरबार में मगध पति घनानंद के कारण उनका अपमान किया गया था, तभी उन्होंने नंद वंश के विनाश का बीड़ा उठाया था । उन्होंने चन्द्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी पर बैठा कर वास्तव में अपनी प्रतिज्ञा पूरी कर ली तथा नंद वंश को मिटाकर मौर्य वंश की स्थापना की| आचार्य चाणक्य भारतीय इतिहास के सर्वाधिक प्रखर कूटनीतिज्ञ माने जाते है ।उन्होंने ‘अर्थशास्त्र’ नामक पुस्तक में अपने राजनीतिक सिद्धांत का प्रतिपादन किया है, जिनका महत्त्व आज भी स्वीकार किया जाता है।

आचार्य चाणक्य की मृत्यु ।

आचार्य चाणक्य की मृत्युं लगभग 283 ईसा.पूर्व. ही हो चुकी थी, भले ही आचार्य चाणक्य अब हमारे बीच नहीं रहे परन्तु आचार्य चाणक्य के अनमोल विचार आज भी हमारे बीच जीवित है, और हमेशा जीवित रहेंगे क्यूंकी आचार्य चाणक्य विचार, आचार्य चाणक्य नीति अमर है।

 

 

महाराणा प्रताप का जीवन परिचय | Maharana Pratap Biography In Hindi

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महाराणा प्रताप का जीवन परिचय | Maharana Pratap Biography In Hindi

Maharana Pratap Biography, Age, Height, Weight, Family (Family, Father, Son), Sword, Death In Hindi

बिंदु (Points) जानकारी (Information)
नाम (Name) प्रताप सिंह
प्रसिद्ध नाम महाराणा प्रताप
जन्म (Date of Birth) 9 मई 1540
आयु 56 वर्ष
लम्बाई लगभग(Height) 7 फीट 5 इंच
वजन (Weight) 80 किग्रा
जन्म स्थान (Birth Place) कुम्भलगढ़ दुर्ग, राजस्थान
पिता का नाम (Father Name) उदय सिंह
माता का नाम (Mother Name) जैवंता बाई
पत्नी का नाम (Wife Name) महारानी अजबदे के अलावा 9 रानियाँ
पेशा (Occupation ) मेवाड़ के राजा
बच्चे (Children) कुल 17 बच्चे, जिनमे अमर सिंह, भगवान दास शामिल है.
मृत्यु (Death) 19 जनवरी 1597
मृत्यु स्थान (Death Place) चावंड, राजस्थान
भाई-बहन (Siblings) 3 भाई (विक्रम सिंह, शक्ति सिंह, जगमाल सिंह),
2 बहने सौतेली (चाँद कँवर, मन कँवर)

 

महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को एक राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता उदय सिंह द्वितीय मेवाड़ वंश के 12वें शासक और उदयपुर के संस्थापक थे। परिवार में सबसे बड़े बच्चे प्रताप के तीन भाई और दो सौतेली बहनें थीं ।महाराणा प्रताप को भारत के अब तक के सबसे मजबूत योद्धाओं में से एक माना जाता है। इसलिए उन्हें ‘माउंटेन मैन’ भी कहा जाता है। महाराणा प्रताप 7 फीट 5 इंच लंबे थे। वह 72 किलोग्राम वजनी बॉडी आर्मर यानी कवच भी पहनते था। 81 किलो का भाला रखते थे। इसके अलावा उनके पास दो भारी वजनी तलवारें भी थी। कुल मिलाकर लगभग 208 किलोग्राम वजन वह अपने साथ लेकर चलते थे।

बचपन से थे साहसी महाराणा। 

बचपन से ही महाराणा प्रताप बहादुर और दृढ़ निश्चयी थे। सामान्य शिक्षा से खेलकूद एवं हथियार बनाने की कला सीखने में उनकी रुचि अधिक थी। उनको धन-दौलत की नहीं बल्कि मान-सम्मान की ज्यादा परवाह थी। उनके बारे में मुगल दरबार के कवि अब्दुर रहमान ने लिखा है, ‘इस दुनिया में सभी चीज खत्म होने वाली है। धन-दौलत खत्म हो जाएंगे लेकिन महान इंसान के गुण हमेशा जिंदा रहेंगे। प्रताप ने धन-दौलत को छोड़ दिया लेकिन अपना सिर कभी नहीं झुकाया। हिंद के सभी राजकुमारों में अकेले उन्होंने अपना सम्मान कायम रखा।

महाराणा का राज्याभिषेक।

महाराणा प्रताप के पिता उदय सिंह अपनी मृत्यु से पहले बेटे जगमल को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था जो उनकी सबसे छोटी पत्नी से थे। वह प्रताप सिंह से छोटे थे। जब पिता ने छोटे भाई को राजा बना दिया तो अपने छोटे भाई के लिए प्रताप सिंह मेवाड़ से निकल जाने को तैयार थे लेकिन सरदारों के आग्रह पर रुक गए। मेवाड़ के सभी सरदार राजा उदय सिंह के फैसले से सहमत नहीं थे। सरदार और आम लोगों की इच्छा का सम्मान करते हुए प्रताप सिंह मेवाड़ का शासन संभालने के लिए तैयार हो गए। 1 मार्च, 1573 को वह सिंहासन पर बैठे।

अकबर से टकराव और हल्दीघाटी का युद्ध ।

महाराणा प्रताप के समय दिल्ली पर मुगल शासक अकबर का राज था। अकबर के समय के राजपूत नरेशों में महाराणा प्रताप ही ऐसे थे, जिन्हें मुगल बादशाह की गुलामी पसंद नहीं थी। इसी बात पर उनकी आमेर के मानसिंह से भी अनबन हो गई थी, जिसका नतीजा यह हुआ कि मानसिंह के भड़काने से अकबर ने खुद मानसिंह और सलीम (जहांगीर) की अध्यक्षता में मेवाड़ पर आक्रमण करने के लिए भारी सेना भेजी।अकबर ने मेवाड़ को पूरी तरह से जीतने के लिए 18 जून, 1576 ई. में आमेर के राजा मानसिंह और आसफ खां के नेतृत्व में मुगल सेना को आक्रमण के लिए भेजा। दोनों सेनाओं के बीच गोगुडा के नजदीक अरावली पहाड़ी की हल्दीघाटी शाखा के बीच युद्ध हुआ। इस लड़ाई को हल्दीघाटी के युद्ध के नाम से जाना जाता है।

युद्ध लड़ते रहे महाराणा।

हल्दीघाटी का युद्ध’ भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध है। इस युद्ध के बाद महाराणा प्रताप की युद्ध-नीति छापामार लड़ाई की रही थी। ऐसा माना जाता है कि इस युद्ध में न तो अकबर जीत सका और न ही राणा हारे। मुगलों के पास सैन्य शक्ति अधिक थी तो राणा प्रताप के पास जुझारू शक्ति की कोई कमी नहीं थी। उन्होंने आखिरी समय तक अकबर से संधि की बात स्वीकार नहीं की और मान-सम्मान के साथ जीवन व्यतीत करते हुए लड़ाइयां लड़ते रहे।

महाराणा प्रताप का चेतक ।

भारतीय इतिहास में जितनी महाराणा प्रताप की बहादुरी की चर्चा हुई है, उतनी ही प्रशंसा उनके घोड़े चेतक को भी मिली। चेतक कई फीट उंचे हाथी के मस्तक तक उछल सकता था ।
हल्दीघाटी के युद्ध में चेतक, अकबर के सेनापति मानसिंह के हाथी के मस्तक की ऊंचाई तक बाज की तरह उछल गया था। फिर महाराणा प्रताप ने मानसिंह पर वार किया। जब मुगल सेना महाराणा के पीछे लगी थी, तब चेतक उन्हें अपनी पीठ पर लादकर 26 फीट लंबे नाले को लांघ गया, जिसे मुगल फौज का कोई घुड़सवार पार न कर सका। प्रताप के साथ युद्ध में घायल चेतक को वीरगति मिली थी।

महाराणा का वनवास ।

महाराणा प्रताप का हल्दी घाटी के युद्ध के बाद का समय पहाड़ों और जंगलों में ही व्यतीत हुआ। अपनी गुरिल्ला युद्ध नीति द्वारा उन्होंने अकबर को कई बार मात दी। महाराणा प्रताप चित्तौड़ छोड़कर जंगलों में रहने लगे। महारानी, सुकुमार राजकुमारी और कुमार घास की रोटियों और जंगल के पोखरों के जल पर ही किसी प्रकार जीवन व्यतीत करने को बाध्य हुए। अरावली की गुफाएं ही अब उनका आवास था और शिला ही शैया थी ।

महाराणा की मृत्यु।

1579 का वो दौर आया जब मुगलों ने चित्तौड़ पर ध्यान देना बंद कर दिया। क्योंकि उन दिनों बिहार और बंगाल में मुगलों के खिलाफ जंग छिड़ी हुई थी। इनसब के बीच महाराणा प्रताप को अपनी गतिविधियां तेज करने का मौका मिल गया। 1585 में अकबर लाहौर की तरफ बढ़ गया क्योंकि उसे अपने उत्तर-पश्चिम वाले क्षेत्र पर भी नजर रखना था। अगले 12 सालों तक वो वहीं रहा। इसका फायदा उठाते हुए महाराणा प्रताप ने पश्चिमी मेवाड़ पर अपना कब्जा कर लिया जिसमें कुंभलगढ़, उदयपुर और गोकुण्डा आदि शामिल थे और उन्होंने चवण को अपनी नई राजधानी बनाई। महाराणा प्रताप की मौत का कोई पुख्ता सुबूत तो नही मिल पाया था लेकिन कहा गया है कि चवण में 56 की उम्र में शिकार करते समय एक दुर्घटना होने से उनकी मौत हो गयी ।