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Badrinath Temple – बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास

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Badrinath Temple – भारत के चार धामों में से एक धाम है बद्रीनाथ धाम। जिसकी महिमा अपरम्पार है, जहा लोगो का मानना हैं की बद्रीनाथ की यात्रा के बिना बाकी तीन धामों की यात्रा असफल होती है यह इतिहास का अनोखा मंदिर है जहा भक्त जन की श्रद्धा से लाखो की संख्या में श्रद्धालु माथा टेकने आते हैं और अपने जीवन में आए दुखो का निवारण के लिए प्रार्थना करते हैं। बद्रीनाथ मंदिर अपने साथ कही रोचक बातो को समेटे हुए है, जिसे सुन आप बद्रीनाथ मंदिर की और आकर्षित होंगे और आपकी भी इच्छा उत्पन होगी बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन के लिए। तो आइए जानते है बद्रीनाथ के इतिहास और उसके बारे में कुछ रोचक बाते।

Badrinath Temple

कहाँ है बद्रीनाथ मंदिर

4 धामों में से एक धाम बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) जिसके दर्शन से लोग अपनी मनोकामना पूरी करते हैं और अपने मन में अटूट विश्वास लेकर मंदिर से खुशी खुशी वापिस जाते है। बद्रीनाथ मंदिर जो भारत के उतर में हिमालय की बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाओं की गोद में बसा हुआ एक बेहद ही सुंदर धाम है। यहां मंदिर में लोगो की लाखो कगार के साथ कई प्रकृति प्रेमी भी यहाँ दर्शन कर उनके दृश्य को देखने आते है। कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण शंकराचार्य द्वारा किया गया था।

अपको बता दे की, इस मंदिर को 6 महीने खोला जाता है और 6 महीने बंद रखा जाता है और बंद 6 महीने के दौरान वहा एक अखंड दीपक जलाया जाता है। ऐसा इसलिए होता है की सर्दियों के समय में बर्फबारी के कारण सारे रास्ते बर्फ से ढक जाते, जिस कारण लोगो का आना जाना मुश्किल हो जाता हैं। और इसी के चलते 6 महीने यह मंदिर बंद रखा जाता है। इस मंदिर को भगवान विष्णु जी का धाम कहा गया है। यह मंदिर दो पहाड़ियों में स्थित 3150 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। जिसके साथ साथ यह मंदिर 15 फीट ऊंचा है।

मंदिर की ऐतिहासिक बाते (Badrinath Temple)

बद्रीनाथ धाम इतिहास का सबसे धार्मिक स्थल है, जहाँ कई ऋषि मुनि अपनी तपस्या कर भगवान विष्णु को प्रसन्न करते है और उनकी भक्ति में लीन होते है पौराणिक कथा के अनुसार बद्रीनाथ मंदिर इतिहास के 8वी व 9वी सदी पुराना है। जिसमे मंदिर का 2 से 3 बार पुनर्निर्माण किया गया है। जिसमे सोलहवीं सदी के गढ़वाल के राजा ने की थी जिसने भगवान बदरीनाथ की मूर्ति को इसी मंदिर में स्थापित कराया था।

इस मंदिर की सुंदरता को तीन भागों में बाटा गया है जिसमे कुल 15 मूर्तियां है बद्रीनाथ मंदिर को धरती का बैकुंठ भी कहा गया हैं। इस मंदिर में एक बहुत ही सुन्दर मूर्ति है जो भगवान विष्णु जी को समर्पित है जिसकी ऊंचाई लगभग 3.3 फीट ऊंची है।

Badrinath Temple

मंदिर का द्रश्य और कथा (Badrinath Temple)

यह मंदिर दो पहाड़ियों के बीच में स्थित है जिनका नाम नर और नारायण है । नर और नारायण भगवान विष्णु जी के नमो में से दो नाम है।इस मंदिर में सबसे ऊपर तीन स्वर्ण कलश रखे हुए है। वह इस मंदिर की सुंदरता खुद में ही एक आकर्षण है। जिसे देख लोग काफी आकर्षित होते है। कहा गया है की जब हम मंदिर में प्रवेश करते है तो उसमे लगा द्वारा को सिंह कहते है।

अक्सर सुनने में यह भी आया है की शुरुवाती दौर में बद्रीनाथ मंदिर में भगवान शिव जी का निवास था जिसके बाद उन्होंने यह जगह भगवान विष्णु जी को दे दी थी। पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है की जब भगवान विष्णु जी इस धरती का भ्रमण कर रहे थे तो उन्हे यह धरती काफी पसंद आई, और इसी भ्रमण के दौरान उन्हे शिव जी और माता पार्वती जी मिले, लेकिन भगवान विष्णु जी ने उनके आगे छोटे बच्चे का रूप धारण किया और वह रोने लगे।

जब माता पार्वती और शिव जी ने रोते हुए बच्चे को देखा तो वह उनके पास आकर उनसे रोने का कारण पूछा। तब बच्चे के रूप में भगवान विष्णु जी ने बोला की उन्हे यहां तपस्या करनी पर उनके पास जगह नहीं। जिसके बाद भगवान शिव जी ने भगवान विष्णु जी को वह जगह को समर्पित कर दिया और कहा जाता है इसी कथा के बाद वहा विष्णु जी की मूर्ति स्थापित हुई।

बद्रीनाथ के नाम का रहस्य

बद्रीनाथ का नाम के पीछे भी एक रहस्य बात है। की किस प्रकार इस मंदिर का नाम बद्रीनाथ रखा गया। प्रोणारिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब नारायण जी भ्रमण कर रहे थे। भ्रमण करते वक्त उन्होंने देखा की माता लक्ष्मी जी विष्णु जी के पैर को दबा रही है । जिसे देख नारायण जी चकित रह गए। जिसके बाद उन्होंने भगवान विष्णु जी से इसके बारे में पूछना चाहा , लेकिन विष्णु जी क्रोधित होकर बिना किसी बात का जवाब दिए वहा से चले गए। जिसके बाद वह साधना में लीन हो जाते है, लीन होने के वक्त सर्दियों का मौसम होने के कारण वहा पर काफी बर्फ बारी होने लगती है।

जिसे देख माता लक्ष्मी जी को अपने पति विष्णु जी की काफी चिंता सताने लगती है। जिसके लिए वह बेर (बद्री) के वृक्ष का रूप धारण कर अपने पति के साथ धूप, बारिश और अंधी में उनकी रक्षा कर उनके साथ तपस्या में लीन हो जाती है। जब विष्णु जी अपनी तपस्या पूरी कर अपनी आंखे खोलते है तो वह लक्ष्मी माता जी के बारे में यह सब देख उनसे बेहद खुश होते है। जिसके बाद बद्रीनाथ नाम का निर्माण होता है यानी बद्री “बेर” और नाथ “लक्ष्मी जी के नाथ” विष्णु भगवान जी।

लोगो की बद्रीनाथ को लेकर कही गई रोचक बाते
  1. बद्रीनाथ को लोग बद्री वन भी कह कर बुलाते है क्युकी बद्रीनाथ में भगवान विष्णु जी की तपस्या के कारण यह बहुत से बेर के पेड़ है।
  2. ऐसा माना जाता है की इस स्थान पर भगवान शिव को ब्रहम हत्या से मुक्ति मिली थी जिस कारण यह पितरों के श्राद्ध कर उन्हे मुक्ति दी जाती हैं।
  3. जैसे की हम सब जानते हैं की बद्रीनाथ दो पहाड़ों के बीच में है। जिसका नाम नर और नारायण है जिसके बाद महाभारत में अर्जुन ने नर का रूप लिया था और विष्णु जी ने नारायण का रूप धारण किया था।
  4. बद्रीनाथ के इतिहास में बहुत से रोचक कहानी है। जिनका प्रश्न आज तक कोई नही ढूंढ पाया, और बद्रीनाथ मंदिर खुद में ही एक रहस्यमय बातो से समेटा हुआ है।
  5. इस धाम में अलकनंदा नदी के तट पर गर्म पानी का झरना है जिसे तप्त कुंड कहा जाता है। लेकिन में यह झरना देखने में काफी खोलता हुआ लगता हैं लेकिन असल में यह पानी इतना गर्म नही होता, और यह लोग नहा कर बद्रीनाथ के धाम में अपनी यात्रा सफल करते है।

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