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Author name: Rushali Gulati

Rohtak

Kishore Kumar

Kishore Kumar Biography: The Extraordinary Journey of the Legendary Bollywood Singer

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Biography of Legend of Indian Music Industry – Kishore Kumar

हमारे भारतीय सिनेमा ने हमे कई ऐसे सितारे दिए हैं। जिनको आज भी उनके टैलेंट से याद किया जाता हैं। भारतीय सिनेमा एक ऐसा मंच है, जहाँ लोगो ने अपने टैलेंट को दिखा कर कामयाबी को हासिल किया हैं। आज हम एक ऐसे ही गायक की बात करेंगे जिनके गानों ने भारत को दुनिया भर में एक नए आयाम तक पहुचाया । उनके द्वारा गाए हुए गाने हमेशा सुपरहिट होते थे। जो लोगों को बेहद पसंद भी आते थे। आज हम एक प्रसिद्ध कलाकार की बात कर रहे है जो आज संगीतकार के साथ अभिनेता, लेखक, निर्देशक भी रहे हैं। आइए जानते है एक ऐसे व्यक्ति के बारे में जिनके गानों को आज भी लोगो द्वारा याद किया जाता हैं।

Kishore Kumar

जीवन परिचय Kishore Kumar

आज हम जिस अभिनेता और संगीतकार की बात कर रहे है। उनका नाम आभास कुमार (Abhas Kumar) था। लेकिन सिनेमा दुनिया में जब उन्होंने कदम रखा था, तब उन्होंने अपना नाम किशोर कुमार उर्फ किशोर दा (Kishore Da) रख लिया। इनका जन्म 04 अगस्त 1929 को भारत के मध्य प्रदेश (Madhay Pradesh) के खंडवा (Khandava) गांव में हुआ था। जो एक सामान्य बंगाली परिवार से तालुक रखते थे।

उनके पिता का नाम कुंजलाल गंगोली (Kunjlal Ganguli) है जो पेशे से एक वकील थे । उनकी माता का नाम गौरी देवी (Gauri Devi) था। जो पेशे से एक गृहणी थी। उनके दो भाई भी थे जो प्रसिद्ध अभिनेता थे जिनका नाम अशोक कुमार (Ashok Kumar) और दूसरे भाई का नाम अनूप कुमार (Anup Kumar) था। उनकी एक बहन थी जिनका नाम सती देवी (Sati devi) था।

कैसे शुरुवात हुई फ़िल्मी कैरियर की

किशोर कुमार के भाई अशोक कुमार जो उस समय काफी प्रसिद्धि हासिल कर, एक कामयाब अभिनेता बन चुके थे जिसके चलते उनके अधिकतर काम मुंबई में होते थे। और इस के कारण उन्हें कई बार अपने कामों को लेकर अपने परिवार के साथ मुंबई आना पड़ता था। और इसी के चलते किशोर कुमार जी ने अपनी रुचि भी अभिनेता और संगीत में दिखाई। जिसमे आज उनका कैरियर आसमान छू रहा है।

अपको बता दे की, किशोर कुमार का अधिकतर ध्यान संगीत में रहता था। उनके संगीतकार बनने की शुरुवात उनके द्वारा की गई पहली फिल्म “बॉम्बे टाकीज” से शुरू की, जिसमे उन्होंने बैकग्राउंड म्यूजिक दिया था। ऐसे करते हुए। किशोर कुमार का कैरियर संगीत के साथ अभिनेता के भूमिका में भी हुआ, उन्होंने अपनी द्वारा की गई पहली फिल्म “शिकारी” में अभिनेता की भूमिका का दर्शन किया। जिसके बाद उनके टैलेंट को लोगो ने और कलाकारों ने प्रोत्साहित किया।

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बहुत सी फिल्मों में दिखाया अपनी कला जा जादू

किशोर कुमार (Kishore Kumar) आज एक ऐसे अभिनेता और संगीतार थे, जिनको लोगो का इतना प्यार मिला की उनकी मृत्यु हो जाने के बाद भी वह लोगो के दिल में हमेशा के लिए जिंदा हैं, और आज भी लोग उनके गाने सुनना और उनके द्वारा की गई फिल्मों को देखना पसंद करतें हैं। अगर भूतकाल की बात की जाए तो किशोर कुमार जी ने बहुत सी फिल्मों में अपनी कला की छाप छोड़ी थी। जैसे की 1954 में बिमल राय की “नौकरी” में एक बेरोजगार युवक की भूमिका प्रदर्शित की थी।

1955 में बनी “बाप रे बाप”, 1956 में “नई दिल्ली”, 1957 में “मि. मेरी” और “आशा”, और 1958 में बनी “चलती का नाम गाड़ी” जिसमें किशोर कुमार ने अपने दोनों भाइयों अशोक कुमार और अनूप कुमार के साथ काम किया। ऐसी कई फिल्मों में किशोर कुमार ने अपनी कला से फिल्मों में जलवा बिखेरा था। एक बात अपको बता दे की, किशोर कुमार जी ने अपनी जिंदगी में संगीत की कोई शिक्षा नही ली थी।

Kishore Kumar

मंच पर करते थे खुद को अलग तरह से प्रदर्शित

किशोर कुमार (Kishore Kumar) को अपने जन्मस्थान से काफी लगाव था, वे अपने गांव खंडवा से काफी जुड़े हुए थे उनका कहना है की उन्होंने जब– जब खुद प्रदर्शित किया है, तब तब उन्होंने अपने गांव खंडवा को बेहद याद किया है। और अपने गांव के प्रति ऐसा लगवा हमे बहुत कम लोगो के अंदर देखने को मिलता था। लेकिन किशोर कुमार जी ने अपनी हर कामयाबी में खंडवा गांव का नाम लिया। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जब वो मंच पे अपनी कामयाबी के पुरस्कार के लिए चढ़ते थे। तो वो खुद को किशोर कुमार खंडवा वाला कहते थे। ऐसा करता देख उनको पहचान से लोग काफी प्रोत्साहित होते थे।

अपको बता दे, की किशोर कुमार काफी मेहनती और अपनी कामयाबी में विश्वास रखते थे। क्योंकि उनका कहना था की उन्होंने पैसे और अपना नाम कमाने में काफी लगन से मेहनत की है जिसकी बदौलत आज उनका इतना बड़ा नाम हैं।

Kishore Kumar

किशोर कुमार जी का सांसारिक जीवन

किशोर कुमार का जीवन कैरियर के मामले में तो काफी अच्छा था, जिसमे उन्होंने काफी ऊंचाई को अपने नाम किया, अगर इनके सांसारिक जीवन यानी शादी शुदा जीवन की बात की जाए तो इसमें उनका लक ज्यादा अच्छा नही था। क्योंकि जानकारी के मुताबिक किशोर कुमार की 4 शादी हुई थी। इनकी पहली शादी बंगाली गायिका और अभिनेत्री रूमा गुहा ठाकुरता उर्फ रूमा घोष से हुई थी । यह शादी 1950 से 1958 तक चली !

उनकी दूसरी पत्नी अभिनेत्री मधुबाला थी, मधुबाला के साथ उन्होंने होम प्रोडक्शन ‘चलती का नाम गाड़ी’ (1958) और झुमरू (1961) सहित कई फिल्मों में काम किया था। जब किशोर कुमार ने उनसे शादी करने का प्रस्ताव किया , मधुबाला बीमार थी और इलाज के लिए लंदन के लिए जाने की योजना बना रही थी, क्योकि उनके दिल में छेद था उनकी रोमा से शादी हो चुकी थी ! उनसे तलाक के बाद, 1960 में किशोर कुमार इस्लाम में परिवर्तित होकर अपना नाम करीम अब्दुल रखकर मधुबाला से शादी की ।

इस्लामिक कबूल के बाद उनके पिता उनसे नाराज हो गए थे जिस कारण उन्होंने फिर हिंदू रिवाज से शादी की, लेकिन उनके माता पिता ने कभी भी उनकी दूसरी पत्नी को उनकी पत्नी का दर्जा नहीं दिया और ये शादी तब खत्म हुई। जब उनकी दूसरी पत्नी की मौत हो गई। जिसके बाद उन्होंने तीसरी शादी योगिता बाली से की , जो 1976 से 1978 तक चली। किशोर ने 1980 में लीना चंदावरकर से शादी की थी। जो किशोर कुमार की मृत्यु 13 October 1987 तक चली। उनके दो बेटे, रूमा के साथ अमित कुमार और लीना चंदावरकर के साथ सुमित कुमार हैं ।

काफी पुरस्कारों को किया अपने नाम (Kishore Kumar)

किशोर कुमार की कामयाबी आज एक ऐसी मुकाम तक हैं जहा उन्होंने कही मंच को अपने नाम किया और इसी कामयाबी की बदौलत उन्हे कई पुरस्कारों से नवाजा गया। जैसे –

  1. नेशनल फ़िल्म अवार्ड (National Film Award):
    • 1984: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “कोई होता जिसको आप” (हुम कोई होते जोगे) के लिए !
  2. फ़िल्मफेयर अवार्ड (Filmfare Award):
    • 1971: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “रोता हैं दिल मेरा” (मेरे जीवन साथी) के लिए !
    • 1972: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “डिली वाला डिली पे मत ले यार” (शेर दिल) के लिए !
    • 1974: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “ख़ामोश सा आँचल” (लिंगा रामा रेड्डी) के लिए !
    • 1975: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “दिल आज शायर हैं” (गम्मा की रात) के लिए !
    • 1980: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “हमें तुमसे प्यार कितना” (कुदरत) के लिए !
    • 1983: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “अगर तुम ना होते” (अगर तुम ना होते) के लिए !
  3. फ़िल्मफेयर अवार्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट (Filmfare Lifetime Achievement Award):
    • 1995: उनकी मान्यता और योगदान के लिए !
  1. फ़िल्म वर्ल्ड (Film World) अवार्ड:
    • 1969: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “रूप तेरा मस्ताना” (आराधना) के लिए !
    • 1971: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “दिल दीवाना” (दिल दीवाना) के लिए !
  2. बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट्स’ असोसिएशन (BFJA) अवार्ड:
    • 1962: बेस्ट मेल सिंगर के लिए “एक लड़की बहुत याद आती हैं” (ग़रीबी) के लिए !
  3. पद्मश्री:
    • 1999: संगीत क्षेत्र में उनके योगदान के लिए !

जीवन के अंतिम पल

किशोर कुमार की मृत्यु 13 अक्टूबर 1987 को दिल का दौरा पड़ने से हो गई। किशोर कुमार की मृत्यु पूरी सिनेमा में एक बहुत बड़ा झटका ले कर आई। जैसे हमने आपको बताया की , किशोर कुमार को अपने गांव खंडवा से बहुत प्रेम था जिसकी वजह से जब उनकी उम्र हो गई तो उन्होंने सिनेमा से सन्यास लेने का सोचो और बची हुई जिंदगी वापिस से अपने खंडवा गांव में बितानी चाही। लेकिन यह सपना उनका अधूरा रह गया, और उनका अंतिम संस्कार खंडवा गांव में ही किया गाया।

Amazing Fact About Kishore Kumar

गायक किशोर कुमार के बारे में एक अद्भुत तथ्य है कि वे न केवल एक मशहूर गायक थे, बल्कि वे एक अभिनेता, गीतकार, संगीतकार और निर्माता भी थे। उन्होंने करीब 3,000 से अधिक गीतों को गाया है और 300 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है। उनकी आवाज़ को एक मधुर, आकर्षक और भावपूर्ण तरीके से व्यक्त किया जाता था, जिसने उन्हें बॉलीवुड में सबसे प्रमुख गायकों में से एक बना दिया। उन्होंने अपनी कारियर में बहुत से पुरस्कार जीते और उन्हें “किशोर दा” के नाम से भी पुकारा जाता था। उनकी सदीप्ति और योग्यता का यह मेल उन्हें एक बेहतरीन कलाकार बनाता है जिन्हें भारतीय संगीत की दुनिया में सदैव याद किया जाएगा।

गायक किशोर कुमार के बारे में एक अद्भुत तथ्य है कि उन्होंने अपनी संगीतीय करियर के दौरान एक महीने के भीतर 16 फिल्मों के लिए गाने गाए थे। यह अद्भुत गतिशीलता और कार्यक्षमता का प्रतीक है जिसे उन्होंने प्रदर्शित किया। उनकी प्रभावशाली आवाज़ और आरामदायक अंदाज़ उन्हें सशक्त और प्रतिस्पर्धी बनाते थे, जिसके कारण उन्हें भारतीय संगीत इतिहास में एक महान गायक के रूप में मान्यता प्राप्त है। उनका योगदान संगीत और फिल्म उद्योग को अविस्मरणीय गीतों के रूप में याद रखा जाएगा।

गायक किशोर कुमार के बारे में एक और अद्भुत तथ्य है कि उन्होंने गीतों के लिए अपनी आवाज़ को एक अनूठी तकनीक से संशोधित किया था। वे गीतों के बोलों को बहुत ही सरल और सुविधाजनक ढंग से पेश करने के लिए कविता पढ़ते थे। इसका परिणाम यह होता था कि उनकी गायन की शैली में भावनात्मकता, उत्साह और गहराई शामिल होती थी। इस अद्वितीय तकनीक ने उन्हें एक अनूठा पहचान दिलाई और उन्हें एक बेजोड़ गायक के रूप में मशहूरी प्राप्त करने में मदद की। इस तरह, किशोर कुमार ने अपनी आवाज़ को ब्राह्मणंडिय ढंग से एकदिवसीय बनाया और एक ऐसी विद्युतीकरण की जगह बनाई, जिसने लोगों को हमेशा याद रखने वाले गीतों के माध्यम से आकर्षित किया।

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Char Dham

4 धाम तीर्थस्थल का इतिहास

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All About of Char Dham India

हमारा भारत सभी देशों से काफी अलग हैं, यहां शास्त्रों और धर्मो की बहुत मान्यता हैं क्योंकि यहां के लोग इतिहासिक शास्त्रों और भगवान में काफी विश्वास रखते हैं। इसी के चलते जब लोग अपना सांसारिक कर्तव्य पूरा कर लेते हैं, तो वह चार धाम की यात्रा करने के लिए अपने द्वारा हुए पापों को खत्म करने के लिए धाम के दर्शन करने जाते हैं। हमने अक्सर लोगो से सुना हैं की एक बार जीवन के अंदर चार धाम की यात्रा करना बेहद जरूरी हैं। क्योंकि ऐसा माना जाता हैं, की चारधाम की परिक्रमा जो व्यक्ति अपने जीवन में करता हैं। वे अपने जीवन में अपने पापों का प्रायश्चित कर मोक्ष की प्राप्ति हासिल करता हैं।

कौन कौन से है चार धाम (Char Dham of India)

चार धाम जो भारत के अलग–अलग दिशा पूर्व, उतर, दक्षिण, पश्चिम में स्थित हैं जहाँ श्रद्धालु दूर–दूर से धामों के दर्शन करने आता है। और जिनके बारे में कई बाते आजकल चर्चा में भी हैं। तो आइए जानते है कौन–कौन से है वे चार धाम और उनके बारे में कुछ रोचक बाते।

  • बद्रीनाथ
  • द्वारका
  • जगन्नाथ पुरी
  • रामेश्वरम

1. बद्रीनाथ धाम Badrinath Dham

Char Dham

भारत के चार धाम में से पहला धाम बद्रीनाथ धाम जो काफी चर्चित हैं और जहाँ लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते है। बद्रीनाथ धाम जो भारत के उत्तराखंड (Uttrakhand) राज्य के चमोली जिले में हिमालय के शीर्ष पर स्थित है। जो हिंदू धर्म में चारो धाम में से काफी प्रसिद्ध और चर्चित धाम है। माना जाता हैं की इस मंदिर का निर्माण 9वी शताबादी में शंकर आचार्य द्वारा किया गया था। जो एक हिंदू संत थे। इस धाम की मानता पुराने प्राचीन काल से चलती आ रही है और आपको बता दे की इस धाम के बारे में हिंदू के कही प्राचीन ग्रंथो में जीकर किया जा चुका हैं !

जैसे की विष्णु पुराण, महाभारत और स्कन पुरान आदि। इस मंदिर को लेकर लोगो की काफी मान्यता है की इस मंदिर का निर्माण खुद राम भगवान ने सतयुग में किया था। बद्रीनाथ मंदिर को अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक ही खोला जाता हैं क्युकी यह मंदिर हिमालय पर्वत के शिखर पर स्थित होने के कारण से यहां बर्फबारी होती रहती हैं जिसकी वजह से इस मंदिर को 6 महीने ही खोला जाता है। Char Dham of India

2. द्वारका धाम Dwarka Dham

Char Dham

द्वारका धाम भारत के चार धाम में से दूसरा धाम है। जो गुजरात (Gujarat) राज्य में गोमती नदी पर स्थित है। अपको बता दे की, इस धाम का नाम द्वारका इसलिए रखा गया था क्योंकि इसके अनेक द्वार है यानी की इस के चारो और कई लंबी दीवारे थी जिसके कई द्वार थे इसलिए इस धाम को द्वारका का नाम दिया गया। प्राचीन समय के मुताबिक इस धाम को श्री कृष्ण भगवान की नगरी मानी जाती है। जहाँ श्री कृष्ण जी की प्रतिमा चांदी के स्वरूप में स्थापित हैं।

जो काफी पवित्र और एक ऐसा धाम है जो चार धाम के साथ सप्त पूरी दोनो का हिस्सा है। (सप्त पूरी यानी ऐसे 7 पवित्र शहर) जिनका हिस्सा द्वारका धाम है। यह मंदिर कृष्ण भगवान जी को समर्पित है। जिसे हम द्वारकदीश और जगत मंदिर के नाम से भी जानते है। और साथ ही ऐसा भी कहा जाता है की कृष्ण भगवान स्नान करके द्वारका मंदिर में आकर अपने वस्त्र बदलते है। Char Dham of India

3. जगन्नाथ पुरी Jagannath Puri

Char Dham

यह धाम चार धाम में से तीसरा धाम है। जो ओडिसा (Odisha) राज्य के पूरी शहर में समुंदर तट पर स्थित है। यह मंदिर भी कृष्ण जी को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर में भगवान कृष्ण और उनके भाई बलराम वह उनकी बहन सुभद्रा विश्राम करते है। अपको बता दे की, सबसे रोचक बात यह हैं की इस मंदिर के अंदर भारत को सबसे बड़ी रसोई है जहा हारोज़ 25000 लोगो का खाना एक साथ बनाया जाता हैं। और उत्सव के दिन में इस मंदिर में लाखो श्रद्धालु के लिए भोजन बनाया जाता है। Char Dham of India

इस मंदिर को लेकर बहुत सी रोचक बाते है। जिसको सुन आप काफी हैरान हो जाएंगे। अक्सर ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर के ऊपर लगा सुदर्शन चक्र जिसको आप जितनी दूर से देखेंगे ये चक्र आपको अपने करीब ही दिखेगा। और इस मंदिर के अंदर 12 ऐसे उत्सव हैं जा बड़े धूम धाम से बनाए जाते हैं जैसे की– स्नाना यात्रा, सयाना यात्रा, पार्श्व परिवर्तन, देव उत्तपन, दक्षिणायन, पुष्यविषेक, प्रवरण षष्ठी, डोला यात्रा, मकर संक्रांति, चंदन यात्रा, अक्षय तृतीया, दमनक चतुर्दशी और नीलाद्रि महोदय। Char Dham of India

4. रामेश्वर धाम Rameshwar Dham
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रामेश्वर धाम जो चारो धाम का आखरी स्थान है इसी के साथ यह धाम 12 ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योतिर्लिंग माना जाता हैं। जो तमिलनाडु (Tamilnadu) के रामनाथमपुरम जिले में स्थित है। यह मंदिर एक हजार फुट लंबा और 650 फीट चोडा हैं। प्राचीन पुस्तको के मुताबिक कहा जाता है की यह धाम में शंकर भगवान जी की मूर्ति है जिसको स्वयं राम भगवान जी ने अपने हाथो से बनाया था और जिसका नाम उन्होंने रामेश्वर रखा था। जो आज काफी प्रसिद्ध प्रतिमा है और लाखो की कगार में इस मंदिर में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

Char Dham of India

ये चारो है भारत के प्रसिद्ध चार धाम, अक्सर लोगो को गलती लगने के कारण वे उत्तराखंड में स्थित छोटे चार धाम के दर्शन के बाद सोचते हैं की उन्होंने चारो धाम के दर्शन कर लिए। लेकिन अस्तित्व में चार धाम तो भारत के चारो दिशा में स्थित हैं। जिसके दर्शन लोगो को मोक्ष की प्राप्ति देते हैं।

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12 ज्योतिर्लिंग

12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) का इतिहास: पवित्र स्थलों की रोचक यात्रा

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हमारा भारत एक ऐसा देश हैं। जहा युगों–युगों से लोगो के अंदर भगवान को लेकर बहुत सी मान्यता हैं, और ऐसे बहुत से धार्मिक स्थान हैं जहा अलग–अलग रूप में भगवान विराजमान हैं। लेकिन उनमें से बहुत से ऐसे धाम हैं जहा लोगो की लाखो में संख्या वहा दर्शन करने के लिए जाती हैं। जैसे की भारत का प्रसिद्ध चार धाम यात्रा जहा लाखों की कगार में लोगो दर्शन करने जाते हैं। चार धाम यात्रा के साथ भगवान शिव शंकर के 12 ज्योतिर्लिंग भी काफी प्रसिद्ध स्थान हैं जहा दूर–दूर से आए लोग दर्शन करने जाते हैं।

हम सबने चार धाम के बारे में तो सुना हैं इसी तरह आज हम 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में जानेंगे, क्योंकि 12 ज्योतिर्लिंग की मान्यता यह है की इस 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन जो व्यक्ति कर लेता वह अपने सभी दोषों से मुक्त हो कर मोक्ष प्राप्ति करता हैं। क्योंकि हमारे भारत में जब इंसान अपनी सारी इच्छा और बंधन से मुक्त हो जाता हैं तब वह धाम की यात्रा पर भगवान के भक्ति में लीन होने के लिए दर्शन करने निकल पड़ता हैं।

ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) का क्या अर्थ है

“ज्योतिर्लिंग” शब्द दो अक्षरों से मिल कर बना है यह शब्द संस्कृत के दो शब्दों, ‘ज्योति’ और ‘लिंगम्’ से मिलकर बना है। जिसमे ज्योति का अर्थ है, ‘प्रकाश’ और ‘लिंगम्’ का अर्थ है भगवान् शिव की छवि । ऐसा माना जाता हैं की शिव भगवान साक्षात एक दिव्य ज्योति के रूप में प्रकट हुए थे जिसके बाद वह धरती के 12 स्थानों में जाकर विराजमान हो गए थे। तभी धरती पे 12 ज्योतिर्लिंग के रूप में अलग–अलग जगह पर पवित्र स्थान बने।

1.सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Jyotirlinga)

Somnath Jyotirling

सोमनाथ मंदिर जो पहला ज्योतिर्लिंग और बेहद खास हैं जो गुजरात में स्थित है। इस मंदिर की ऊंचाई 155 फीट है। पवित्र पुस्तकों की जानकारी से यह मंदिर का नाम सोमनाथ होने की एक वजह थी। कहा जाता है की चंद्र भगवान ने राजा दक्ष प्रजापति के श्राप से मुक्त होने के लिए शिव जी को अपना स्वामी मानकर उनकी आराधना में लीन हो कर ज्योतिर्लिंग में विराजमान रहने की तपस्या की थी।

जिसके चलते इस ज्योतिर्लिंग को सोमनाथ का नाम दिया गया। क्योंकि सोम नाम चंद्र देव जी का ही नाम है। और आज लोगो के अंदर सोमनाथ मंदिर की काफी मान्यता है। और आपको बता दे की, इस मंदिर पर कई बार हमला भी हुआ जिस वजह से इसे 17 बार तोड़ा गया हैं, लेकिन हर बार सोमनाथ मंदिर को निपुण तरीके से दुबारा तैयार किया गया हैं।

2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Mallikarjun Jyotirlinga)

Mallikarjun Jyotirling

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग 12 स्थित ज्योतिर्लिंग में से दूसरे नंबर पर हैं जो आन्ध्र प्रदेश में कृष्ण नदी तट पर शैल पर्वत पर स्थित हैं। हर ज्योतिर्लिंग की अपनी मानता और अपनी स्थित होने की कहानी हैं। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को दक्षिण भारत का कैलाश भी कहा गया। इस ज्योतिर्लिंग की मानता यह है। की जो भी व्यक्ति सच्चे दिल से इसके दर्शन करता है और शिव भगवान की आराधना करता है उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं। यह ज्योतिर्लिंग को माता पार्वती और शिव भगवान जी का सयुक्त बताया गया है। जिसमे मल्लिका माता पार्वती को बताता है तो वही अर्जुन भगवान शिव जी को बताता है।

3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga)

Mahakaleshwar Jyotirling

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर जो मध्य प्रदेश में उज्जैन में घने महाकाल जंगलों में शिप्रा नदी के तट पर स्थित हैं। उज्जैन का राजा केवल एक ही हैं जो है महाकाल। महाकालेश्वर मंदिर के निर्माण की कहानी भी काफी रोचक भरी है। इस मंदिर का निर्माण 5 साल के बच्चे द्वारा किया गया था। पवित्र पुस्तकों की जानकारी के अनुसार राजा चंद्र अपनी जान बचाते हुए महाकाल की आराधना में लीन हो गए। वही एक महिला और उसका 5 साल का बच्चा आया। वो बच्चा भी शिव भक्ति में लीन हो गया ।

जिसके बाद उसे अपनी माता द्वारा दी गई आवाज भी नही सुनाई दी। जिसके बाद उसकी माता ने अपने बच्चे को पीटा और आराधना का सामना इधर उधर बिखेर दिया। जिसके बाद वहा पर महाकाल का मंदिर स्थापित हुआ और एक शिवलिंग भी उत्पन हुई । जिसपे वही बच्चे की आराधना का सामान था। इस मंदिर में सुबह एक भस्म आरती की जाती है जिसमे चिता की भस्म से शिवलिंग को स्नान कराया जाता है।

4. ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirlinga)

Omkareshwar Jyotirling

12 ज्योतिर्लिंग में से चौथे स्थान पर स्थित ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जो मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी में शिवपुरी नामक एक द्वीप पर स्थित है। कहा जाता हैं की मां नर्मदा नदी ॐ के प्रभाव में यह बहती हैं। साथ ही साथ इसकी सुंदरता को वहा की हरियाली और पर्वत अपने रूप से और सुंदर बनाते हैं। ओमकारेश्वर मंदिर की मानता है की इस मंदिर में दो ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं। एक ममलेश्वर और दूसरा ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है।

इस मंदिर के पुजारी जी कहना यह है की ये ओमकारेश्वर मंदिर में शिव जी और पार्वती माता रात में विश्राम करने आते हैं। उनका कहना है की दिन में माता पार्वती और शंकर जी तीनो लोको के भ्रमण के बाद रात में यह विश्राम करते है, और चौसर पासे खेलते है। पुजारी जी का कहना है की रात में चौसर पासे को सीधा रख कर द्वारा बंद कर दिया जाता है और आश्चर्य चकित बात यह है की गर्भगृह में कोई परिंदा तक नहीं आ सकता । जिसके बाद जब दिन में गर्भगृह का द्वार खोला जाता है तो चौसर पासे टेडे हुए दिखाई देते है।

5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Kedarnath Jyotirlinga)

Kedarnath Jyotirlinga

पांचवे नंबर पर स्थित 12 ज्योतिर्लिंग में से एक केदारनाथ ज्योतिर्लिंग है जो उत्तराखंड में पर्वतराज हिमालय की केदार चोटी पर स्थित है। और समुंदर तट से 3583 मीटर की ऊंचाई पर है। इस केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का निर्माण नर और नारायण दो ऋषियों की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने अपना सरूप वहा स्थापित किया था। कहा जाता हैं की नर और नारायण दो ऋषियों ने शिव जी की कई वर्ष तपस्या एक पैर पर खड़े हो कर की थी। जिससे खुश हो कर शिव जी ने दोनो ऋषियों को दर्शन दिए और वर मांगने को कहा।

जिसके बाद उन दोनो ऋषियों ने भगवान शिव से कहा की आप अपना रूप इस पवित्र स्थान पर स्थापित कर दे। जहा लोग आपके दर्शन कर अपनी मनोकामना पूरी करने आपकी पूजा करने आयेंगे। जिसके बाद शिव जी ने वहा पर ज्योतिर्लिंग के रूप में वहा वास किया। जो आज “केदारनाथ ज्योतिर्लिंग” या केदारनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता हैं। इस मंदिर की मानता यह है की यह जो भी श्रद्धालु भक्ति भाव से अपनी शिव जी की भक्ति करेगा, उसपे सदेव शिव जी का हाथ रहेगा।

6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Bhimashankar Jyotirlinga)

Bhimashankar Jyotirlinga

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंग में से छठे स्थान पर है जो पुणे महाराष्ट्र के जिले सह्याद्रि में भीम नदी के तट पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के शिवलिंग का वजन बड़ने के कारण इसे मोटेश्वर नाम से भी जाना जाता हैं।

7. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (Vishwanath Jyotirlinga)

Vishwanath Jyotirlinga

विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर भारत के प्रसिद्ध वाराणसी के उत्तर प्रदेश में मां गंगा नदी के तट पर स्थित है। वाराणसी शहर को हम काशी के रूप में भी जानते हैं जिसकी वजह से इस मंदिर को काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता हैं। पुरानी कथाओं के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण कुछ इस तरह हुआ की जब शंकर जी ने अपना विवाह पार्वती माता से किया !

तो उसके बाद माता पार्वती अपने पिता के घर ही रहती थी और शिव जी कैलाश पर्वत पर रहते थे। जिसके बाद यह माता पार्वती को अच्छा नहीं लगता था और उन्होंने शिव जी से उनको घर ले जाने की प्रार्थना की। जिसके बाद शिव जी उन्हे काशी ले आए। जहाँ उन्होंने अपना रूप में ज्योतिर्लिंग में वास कर उसका नाम विश्वनाथ रखा गया। जिसको विश्वेश्वर नाम से भी जाना जाता हैं।

8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar Jyotirlinga)

Trimbakeshwar Jyotirlinga

12 ज्योतिर्लिंग में से आठवें नंबर पर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग जो नासिक में गोदावरी नदी पर स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग की मान्यता है की यहां पर शिवलिंग खुद से प्रकट हुआ था। यहां शिविलिंग किसी के द्वारा स्थापित नहीं किया गया था। प्राचीन कहानी के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण गौतम बुध के कारण हुआ था। गौतम बुध जो अहिल्या के पति थे , जो भगवान की तपस्या में काफी लीन रहते थे। जिसके चलते कई ऋषि उनसे ईर्ष्या करते थे और उनको नीचा दिखाते थे।

तो एक समय ऋषियों ने मिलकर गौतम बुध पर गौहत्या का आरोप लगा दिया और कहा की अगर गौतम बुध को इस पापा का प्रश्चित करना है तो गंगा मैया को यहाँ लेकर आए। जिसके बाद गौतम बुध भगवान शिव की तपस्या में लीन हो गए और उनकी तपस्या से खुश हो कर महादेव ने उन्हे दर्शन दिए और वर मांगने को कहा। जिसमे उन्होंने कहा की वो गंगा मैया को यहाँ स्थित करना चाहते हैं लेकिन गाना मैया ने भी कहा की में यहाँ तभी आऊंगी। जब महादेव यहाँ रहेंगे। जिसके बाद महादेव ने ज्योतिर्लिंग में वहा वास किया, जिसका नाम त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग रखा गया।

9. वैघनाथ ज्योतिर्लिंग (Vaidyanath Jyotirlinga)

Vaidyanath Jyotirlinga

12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन से हर तरह की मनोकामना पूर्ण होती है। जो रावणेश्वर नाम से भी जाना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग झारखंड प्रांत के संथाल परगना में जसीडीह रेलवे स्टेशन के करीब स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के निर्माण के पीछे रावण को माना जाता है । जैसे की हम सब जानते हैं की रावण महादेव का बहुत बड़ा भक्त था। और इसी के चलते उन्होंने महादेव की तपस्या की और तपस्या से खुश महादेव ने रावण को वर मांगने को कहा और वर में रावण ने महादेव को अपने साथ लंका चलाने के लिए कहा।

जिसके बाद महादेव इस बात के लिए तैयार तो हो गए। लेकिन उन्होंने शर्त रखी की अगर रास्ते में तुमने कही भी शिवलिंग को रख दिया। तो उसके बाद तुम उसे वहा से नहीं उठा पाओगे। और ऐसा ही हुआ बाकी भगवान की चिंता के कारण और उनके द्वारा किए गए प्रयास के कारण। रावण ने शिवलिंग को रास्ते में रख दिया और जिसका नाम वैघनाथ ज्योतिर्लिंग स्थापित हो गया।

10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Nageshwar Jyotirlinga)

Nageshwar Jyotirlinga

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग जो गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के करीब स्थित है। जैसे की हम सब जानते है की शंकर भगवान जी के गले में नाग विराजमान रहते है ऐसे ही नागेश्वर का मतलब होता है नागों के ईश्वर। प्राचीन समय के मुताबिक यहाँ श्री द्वारकाधीश भगवान श्री शिव का रुद्राभिषेक करते थे। कहा जाता है जो भक्त नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता वह अपने किए अनेक पापों से मुक्ति पता हैं।

11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram Jyotirlinga)

Rameshwaram Jyotirlinga

ग्यारहवां नंबर पर स्थित रामेश्वरम ज्योतिलिंग जो तमिल नाडु के रामनाथन नामक स्थान पर स्थित है। मान्यता यह है की इस मंदिर का निर्माण भगवान श्री राम जी ने खुद किया था। जिसकी वजह से इस ज्योतिर्लिंग का नाम रामेश्वरम रखा गया।

12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Grishneshwar Jyotirlinga)

Grishneshwar Jyotirlinga

यह 12 ज्योतिर्लिंग में से आखरी ज्योतिर्लिंग है जो महाराष्ट्र के संभाजीनगर के पास दौलताबाद में स्थित है। ऐसी मानता है की घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के बाद निःसंतान को संतान का सुख प्राप्त होता है और भक्तों के हर प्रकार के रोग, दुख दूर हो जाते है। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग को “शिवालय” भी कहा गया है।

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Shri Shri Ravi Shankar

Unlocking Inner Peace and Enlightenment: The Teachings of Shri Shri Ravi Shankar

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Shri Shri Ravi Shankar

Shri Shri Ravi Shankar जीवन परिचय

आज के समय में लोगों के पास चैन से बैठने के लिए एक मिनट का भी समय नहीं, ऐसे मानो की आज के समय हर व्यक्ति की जिंदगी भाग–दौड़ भरी हो चुकी। जहा पर व्यक्ति डिप्रेशन (Dipression) और टेंशन (Stress) का शिकार हों रहा हैं। ऐसे में हमे कोई ऐसे संत की जरूरत पड़ती हैं जो हमे सही रास्ता दिखाएं। जिससे हमारी जिंदगी में थोड़ी बहुत शांति आए। आज हम आपको एक ऐसे ही गुरु के बारे में बताएंगे जिनको हमने कही आध्यात्मिक चैनल पर प्रचार करते हुए देखा और सुना है। जो हर जगह शांति फैलाने का कार्य कर रहे है।

श्री श्री रवि शंकर जी का जीवन परिचय

आज हम आपको अपने लेख में एक ऐसे आध्यात्मिक गुरु के बारे में बताएंगे, जो अपने प्रवचन से लोगो की जिंदगी में शांति लाने का कार्य कर रहे है। जिनका नाम है श्री श्री रवि शंकर जी ( Shri Shri Ravi Shankar ji ) है। जिनका जन्म 13 मई 1956 में तमिल नाडु (Tamilnadu) के पापनाशम (Paapnasham) गांव में हुआ था। रवि शंकर जी बचपन से ही आध्यात्मिक रास्ते में रुचि रखने वाले थे। इनके पिता का नाम है विकेट रत्नम ( Viket Ratnam) है और माता का नाम विशालाक्षी देवी (Vishalakshi Devi) है इनके परिवार में यह कुल चार सदस्य है इनके माता पिता और इनकी बहन और वह खुद। इनकी बहन का नाम भानुमती (Bhanumati) है।

अपको बता दे, की श्री रवि शंकर जी मात्र 4 वर्ष की उम्र से ही भागवत गीता के पाठ को पढ़ना शुरु कर दिया था। क्योंकि वह बचपन से ही ऐसे बालक थे जिन्हे आध्यात्मिक रास्ता बेहद पसंद था। जिस कारण आज वह एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में लोगो को जीने की कला सिखाते हैं।

श्री श्री रवि शंकर जी की शिक्षा

आज जो श्री श्री रवि शंकर जी के नाम से जाने वाले आध्यात्मिक गुरु। जो बचपन में आध्यात्मिक होने के साथ काफी शरारती भी थे। जिनकी शरारते काफी नटखट होती थी। श्री रवि शंकर जी ने अपने शुरुवाती शिक्षा एम. ई. एस बैंगलोर से पूर्ण की वह आगे की पढ़ाई उन्होंने सेट जोसेफ कॉलेज (Set Joseph college, banglore) बैंगलोर से स्नातक विज्ञान में पूरी की।

इन्होंने अपने आध्यात्मिक की शिक्षा पहले गुरु सुधाकर चतुर्वेदी (Sudhakar Chaturvedi) से पूर्ण की। जो महात्मा गांधी के बेहद करीब थे। उसके बाद रवि शंकर जी ने अपने दूसरे गुरु महर्षि योगी (Mahrishi Yogi) के साथ यात्रा की। अपनी शिक्षा को पूर्ण कर श्री रवि शंकर जी ने अपने गुरु महर्षि योगी के साथ मिल कर वैदिक विज्ञान के ऊपर उपदेश देने शुरू किए थे।

आर्ट ऑफ लिविंग संस्था का निर्माण (Art of living NGO)

जब रवि शंकर जी ने सन् 1980 में दुनिया भर की यात्रा कर आध्यात्मिक का प्रचार किया। जिसके बाद उन्होंने अपनी पहले संस्था “आर्ट ऑफ लिविंग” ( Art of living) का निर्माण किया। आर्ट ऑफ लिविंग का कार्य यह था की वह संस्था शैक्षणिक वे आत्म विकास के कार्यकर्म को समाप्त कर लोगो में कल्याण की भावना बड़ाने का कार्य करती हैं। साथ ही साथ रवि शंकर जी का आर्ट ऑफ लिविंग निर्माण करने का उद्देश्य यह भी था की वह चाहते थे की दुनिया में हर व्यक्ति अपनी चिंता और टेंशन को दूर कर सके।

Shri Shri Ravi Shankar

शांति को देते है बड़ावा (Shri Shri Ravi Shankar)

श्री रवि शंकर जी संसार भर में शांति के लिए कार्य करते हैं। जिसके चलते उनके कार्यकर्म ने बहुत से देशों में जैसे – भारत में कश्मीर, असम और बिहार से लेकर कोलंबिया, कोसोवो, इराक तक अपने कार्यक्रमों से लोगो के बीच शांति पे चलने की सीख दी। क्योंकि श्री रवि शंकर जी का यह सपना था की दुनिया भर में फेल रही अशांति और बढ़ती हिंसा को वह खत्म करे। जिससे समाज का कल्याण हो।

श्री रवि शंकर जी की सुदर्शन कला

सुदर्शन कला एक ऐसी क्रिया जिसमे व्यक्ति का शरीर और मन एक बेहद अच्छी ऊर्जा से भर जाता हैं। और वह काफी शांति महसूस करता हैं। कहा जाता है की इस क्रिया के दौरान सीखने आए व्यक्ति से समझौते पर दस्तखत करवाए जाते हैं। की जो भी क्रिया वो व्यक्ति यहा सीखेगा वह किसी को नही बताएगा। अपको बता दे की, इस क्रिया को सीखने की फीस अलग अलग देशों के हिसाब से अलग–अलग है। इस सुदर्शन क्रिया का लाभ 8 वर्ष से लेकर 80 वर्ष तक का कोई भी मनुष्य उठा सकता हैं।

कही तरह के किए अच्छे काम

आर्ट ऑफ लिविंग संस्था का निर्देशय लोगो के जीवन में शांति फैलाने साथ– साथ इस संस्था ने कई तरह के लोगो की सहयाता भी की हैं। जैसे की सन् 2004 में देश में आई सुनामी का प्रकोप बेहद गंभीर था। जिस वजह से कई लोगो को सहायता की आवश्यकता थी उस समय आर्ट ऑफ लिविंग संस्था ने पीड़ित लोगो तक सहायता पहुंचा कर उनके लिए भोजन उपलब्ध करवाया था। इसी के साथ यह संस्था लोगों को सिखाती हैं की किस तरह अपने जीवन में हम नई ऊर्जा के साथ अपने दिन की अच्छी शुरुवात कर सकते हैं।

कई तरह के मिले पुरस्कार

आज के समय में हर व्यक्ति अपने बारे में सोचता हैं। लेकिन श्री श्री रवि शंकर जी का योगदान देखते हुए और हमेशा समाज का भला सोचते हुए, उन्होंने कही ऐसे नेक कार्य में अपना योगदान दिया। जिसके चलते उन्हें कही तरह के पुरस्कार से नवाजा गया। जैसे –सन् 2007 में नेशनल वेटरेंस फाउंडेशन अवार्ड के साथ नवाजा गया। यह अवार्ड अमेरिका के महत्वपूर्ण सम्मान में से एक हैं। इन्हे भारत सरकार द्वारा भी पद विभूषण और डॉ नागेंद्र सिंह अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार से सन् 2016 में नवाजा गया। साथ ही सन् 2005 में अमेरिका द्वारा ग्लोबल ह्यूमिनिटी अवार्ड से श्री रवि शंकर जी को स्मानित किया गया था।

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Neeraj Chopra

Neeraj Chopra: The Inspiring Journey of India’s Olympic Gold Medalist in Javelin Throw

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Neeraj Chopra
Neeraj Chopra

Neeraj Chopra: Breaking Barriers and Making History in Javelin Throw at Tokyo Olympics

राह संघर्ष की जो चलाता है; वही संसार को बदलता है। जिसने रातों से जंग जीती, सूर्य बन कर वही निकलता है” आज हम आपको अपने लेख में एक ऐसे ही लड़के की कहानी बताएंगे। जिसने अपनी जिंदगी में देखे सपनो को हर कीमत पे पूरा किया और अपने नाम के साथ पूरे विश्व में अपने देश का नाम भी रोशन किया।

हम सबने सुना था 2020 में हो रहे ओलंपिक में भाला फेक (Javellin Throw) खिलाड़ी ने अपने देश के नाम स्वर्ण पदक हासिल किया। जिसका नाम हम सब अच्छे से जानते हैं जी हां नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) जिसने अपने सपनो को पंख दे कर उन्हे उड़ान दी। और एक एथलीट के साथ आज नीरज चोपड़ा एक सूबेदार के पद पर भी कार्य कर रहे है।

जीवन परिचय (Common Welfare Olympic Athlete Neeraj Chopra)

आज एक किसान के बेटे की बात करेंगे जिनके घर की आर्थिक स्थिति सही न होने के पर भी हिम्मत नही हारी और अपने जुनून को हमेशा बरकरार रखा। जी हा आज हम बात कर रहे है नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) की। जिनका जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा (Haryana) के शहर पानीपत (Panipat) एक छोटे गांव में हुआ था।

इनके पिता का नाम सतीश कुमार (Satish Kumar) है जो पेशे से किसान है। इनकी माता का नाम सरोज देवी (Saroj Devi) है जो एक गृहणी के रूप में घर को संभालती है। यह पांच भाई बहन है जिसमे सबसे बड़े नीरज चोपड़ा है। नीरज चोपड़ा का एथलीट बनने का सफर काफी संघर्ष भरा था। लेकिन वह बचपन से ही एक ऐसे जुनून से भरे बच्चे थे जो अपनी ठानी हुई चीज को हासिल करते थे।

नीरज चोपड़ा की शिक्षा

नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने अपनी स्कूली शिक्षा अपने जन्मस्थान हरियाणा के पानीपत के गांव से ही पूरी की है जिसके बाद इन्होने स्नातक में (BBA) में दाखिला ले कर अपनी स्नातक की डिग्री को पूरा किया। इन्होंने अपने स्नातक की पढ़ाई चंडीगढ़ के कॉलेज से पूर्ण की थी। इनकी बचपन से ही खेल कूद में ज्यादा रुचि होने के कारण, इन्होंने स्नातक की पढ़ाई के बाद आगे की पढ़ाई नहीं की।

क्यों चुना भला फेक (Javellin Throw)

जैसा की हमने आपको बताया की नीरज चोपड़ा अपने भाई बहनों में सबसे बड़े थे। जो अपने परिवार के बेहद लाडले थे। और जैसे की हम सब जानते है की हरियाणा के लोग घी, दूध और दही खाने में हमेशा आगे रहते। इसी के चलते नीरज चोपड़ा का वजन छोटी सी उम्र में 80 kg पहुंच गया था। जिसके चलते गांव के बच्चे उनका बेहद मजाक उड़ाते थे। ऐसे होने के बाद उनके परिवार को नीरज के वजन की काफी चिंता सताने लगी। जिसके बाद नीरज के चाचा जी ने सुबह उठ कर नीरज को पानीपत के स्टेडियम में दौड़ करने के लिए ले जाने लगे ।

जब नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) दौड़ के लिए स्टेडियम जाते थे तो वहां कई ऐसे खिलाड़ी और बच्चे आते थे जो तरह तरह के खेलो का प्रयास करते थे। और ऐसे में एक खेल भला फेक (Javelin Throw) नीरज को काफी आकर्षित कर गया। जब नीरज वहां खेलते हुए खिलाड़ी को यह खेल खेलते हुए देखते थे, तो वह उसमे काफी दिलचस्पी लेते थे। जिसके कारण उन्होंने सोचा की वो भी अपने कैरियर का पैर इसी खेल में जमा कर अपने गांव और देश का नाम रोशन करेंगे।

अपने सपने को दी उड़ान

नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने जब अपने भविष्य को चुन लिया था तो वह उसे पूरा करने के लिए हर कोशिश करने को तैयार थे। लेकिन उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उनको ट्रेनिंग में काफी दिक्कत आ रही थी। क्योंकि उस समय अच्छे भाले की कीमत लाखों में थी। लेकिन, नीरज ने हार ना मानते हुए अपने जीवन में हमेशा आगे बड़ने का सोचा।

अपको बता दे, की जो भी नया खिलाड़ी (javelin throw) में आता है वे शुरुवाती मे भाला को 20 मीटर तक ही फेका पता था। लेकिन नीरज ने शुरुवाती दौर में ही भाला 25 मीटर तक फेका। जिसके बाद उनका अपने कैरियर को लेकर जुनून बढ़ता ही गया। और अपनी ट्रेनिंग उन्होंने यूट्यूब के जरिए सीख कर उसे मैदान में दोहराने की कोशिश करते थे। फिर क्या वो अपने खेल में इतने अव्वल हो गए। और उन्होंने अपने नाम फिर कई पदक को हासिल किये ।

Neeraj Chopra

जैवलिन थ्रो में नीरज चोपड़ा ने बनाया अपना करियर

नीरज चोपड़ा ने सन् 2016 में एशियन गेम्स (Asian Games) में भाला फेक (Javelin Throw) में 82.23 मीटर तक भाला फेक स्वर्ण पदक अपने नाम किया । जिसके बाद उनके सपने को ऊंची उड़ान मिली और सन् 2017 में फिर से स्वर्ण पदक अपने नाम किया , और भाला फेक 85.23 मीटर तक अपना भाला फेक दिखाया। और ऐसे कई वेलफेयर गेम्स में नीरज ने अपने भाला से चार चांद लगाए और कई पदक को अपने नाम किया।

लेकिन नीरज चोपड़ा भारत में चर्चित तो तब हुए। जब उन्होंने टोक्यो ओलंपिक्स (Tokyo Olympics) गेम्स में, अपने देश का झंडा लहरा कर भारत को 13 साल के इंतजार के बाद भाला फेक (Javelin Throw) में स्वर्ण पदक दिलाया । जी हा नीरज चोपड़ा ने भारत को एक लंबे समय बाद ऐसा नाम दिया, की उन्होंने भाला फेक में दूसरी कोशिश में 87.58 मीटर भाला फेक विश्व में 4th नंबर के स्थान पर अपना नाम हासिल किया।

अपको बता दे की, ”उवे होन” नीरज चोपड़ा के कोच हैं। वह जर्मनी (Germany) के पेशेवर जैवलीन थ्रो एथलीट रह चुके हैं। नीरज चोपड़ा के शानदार प्रदर्शन में उनके कोच उवे होन की सबसे महत्‍वपूर्ण भूमिका रही है।

स्वर्ण पदक को जीतने के बाद सरकार ने दिए पुरस्कार

जब नीरज चोपड़ा ने अपने साथ साथ देश का नाम रोशन किया, तो सरकार ने नीरज चोपड़ा को कई तरह की पुरुस्कार राशि से नवाजा जिसमे हरियाणा सरकार ने नीरज चोपड़ा को 6 करोड़ रुपए, और रेलवे ने 3 करोड़ रूपये दिए और साथ ही बीसीसीआई ने एक करोड़ रुपए दिए।

डायमंड लीग में फिर रचा इतिहास

नीरज चोपड़ा जो आज अपना और देश का नाम स्वर्ण अक्षर से इतिहास में लिखे जा रहे हैं। सन् 2022 में नीरज चोपड़ा ने फिर से एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया। जिससे देश का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। जी हा नीरज चोपड़ा ने डायमंड लीग में फाइनल मुकाबले में अपने भाला फेक (Javelin Throw) में 88.44 मीटर थ्रो करके डायमंड लीग में अपने नाम के झंडे लहरा दिए।

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Mary Kom

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Mary Kom

सच कहा है किसी ने की जितना कठिन हमारा परिश्रम होगा, उतना ही मीठा हमारा पुरस्कार होगा। यह लाइन को आज सच कर दिखाया एक ऐसी महिला ने जिसने अपनी जिंदगी में संघर्षों से लड़ कर आज एक ऐसा मुकाम हासिल किया है वो सभी महिलाओ के लिए मिसाल है। अक्सर हमारा देश परुषो से महिलाओं के मामले में अभी भीं थोड़ा पीछे हैं। जहाँ आज भी कई ऐसी जगह है जहाँ परूषो और महिलाओं को एक बराबर नही माना जाता। लेकिन एक छोटे से गांव और सामान्य परिवार की इस महिला ने इस बात को गलत साबित कर दिखाया।

जीवन परिचय (Mary Kom famous olympic Athlete)

मेरी कोम का जीवन शुरुवात से ही काफी संघर्ष भरा था। लेकिन इन्होने हिम्मत ना हारते हुए अपने सपने को साकार किया। मेरी कोम का जन्म 1 मार्च 1983 को मणिपुर (Manipur) के राज्य के छोटे गांव में हुआ था। लेकिन मेरी कोम का असली नाम मांगते चुगनीजिंग मेरी कोम (Mangte chungneijing mary kom) था। इनके पिता का नाम मांगते टोंपा कोम ( Mangte Tonpa Kom) था। जो एक गरीब किसान थे। इनकी माता का नाम मांगते अखम कॉम (Mangte Akham kom) था।

मेरी कोम बचपन से ही काफी मेहनती थी । ये जिस गांव में रहती थी उस समय उस गांव की स्थिति ठीक नहीं थी और इनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। मेरी कोम के एक भाई है और एक बहन है। जिनकी देखभाल भी मेरी कोम ही करती थी। वर्तमान में मेरी कोम शादी शुदा है जिनके पति का नाम ओलर कोम है। इनके 3 बेटे हैं वह साथ ही साथ इनके पति इन्हे इनके कैरियर (Boxing) में पूरा सपोर्ट करतें है।

मेरी कोम की शिक्षा (Education of Mary Kom)

जैसे की हमने बताया मेरी कोम एक ऐसे गांव में रहती थी जो विकास से बहुत पीछे था जिसके चलते वहां शिक्षा की बेहद कमी थी। लेकिन मेरी कोम ने फिर भी अपनी स्कूली शिक्षा छट्टी कक्षा तक की पढ़ाई लोकतक क्रिश्चियन मॉडल स्कूल (Loktak Christians Model School ) से की। जिसके बाद उन्होंने अपनी 9वी और 10वी की पढ़ाई के लिए। इम्फाल शहर चली गई ।

जहाँ उन्होंने आदिमजाति स्कूल (Adimjati school) में दाखिला लिया। लेकिन वहां पढ़ाई में कम तेज होने के कारण अपनी पढ़ाई नहीं कर सकी और उन्होंने बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी। जिसके बाद वह अपनी माता का घर के कामों में हाथ बटाती थी। लेकिन पढ़ाई में कमजोर होने के कारण उन्होंने फिर भी अपनी शिक्षा को पूरा किया। इसके बाद उन्होंने आगे चल कर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूल (National Institute of Open school) से अपनी शिक्षा पूरी की।

Mary Kom
Mary Kom

शुरू किया अपने जीवन का सफर

मेरी कोम एक ऐसे गांव से तालुक रखती थी। जो विकास से काफी पिछड़ा हुआ था। जिस कारण लड़कियो को घर के काम अलावा कोई काम करने की मंजूरी नहीं थी। जिसके चलते उन्होंने अपनी माता के साथ लोगो के घर काम करने में हाथ बटाने लगी। लेकिन उनको नही पता था की वो अपने जीवन में एक ऐसा मुकाम हासिल करेगी। जिससे उनकी प्रसिद्धि देश विदेश में होगी। क्योंकि उन्हे बचपन से ही खेल खुद में काफी रुचि थी। लेकिन उन्होंने कभी ये नही सोचा था की वो एक ऐसी एथलीट बनेगी जो खेल उन्होंने कभी खेला ही नही था।

अपने सपने की तरफ किया रुख

मेरी कोम का जीवन बहुत ही संघर्ष भरा था जहाँ उन्हे काफी कम चीज़ों की आजादी थी। इसी के चलते उन्होंने कभी भी अपने जीवन में एक बॉक्सिंग एथलीट बनने का नही सोचा था। क्योंकि उनके ऐसे गांव में रहने पर उनके माता पिता का मानना था की ये बॉक्सिंग सिर्फ लड़को का खेल हैं इसे लड़किया नही खेलती।

लेकिन इन्होने के जिंदगी में एक मोड़ आया। जहाँ उन्होंने बॉक्सिंग में अपना करियर आजमाना चाहा । एक बार उन्होंने अपने गांव के लड़के को बॉक्सिंग में जीतते हुए देखा। जिसके बाद उस लड़के के चर्चे पूरे गांव और समाचार में हुए। जिसके बाद इन्होने भी अपना आगे का कैरियर बॉक्सिंग में ही आजमाना चाहती थी।

साथ ही साथ इनको इस खेल की प्रेरणा तब मिली जब उन्होंने अखाड़े में लड़कियो को लड़को के साथ मुक्केबाजी करते हुए देखा। जब उन्होंने यह देखा तो वे काफी आश्चर्य चकित रह गई थीं, क्योंकि उनको यह सब देख कर ऐसा लगा की अगर ये खेल यह लड़किया कर सकती हैं तो मैं क्यों नी? जिसके बाद उन्होंने ठान लिया था की अब वह अपना करियर इसी मुक्केबाजी में बनाएगी।

शुरू की अपनी ट्रेनिंग

अब मेरी कोम की जिंदगी में एक ही मकसद था की वो अपने सपने को कामयाब करे। मात्र 15 वर्ष की उम्र में देखा हुआ सपना उन्होंने सच कर दिखाया। जिसके बाद उन्होंने बॉक्सिंग के कैरियर में अपनी ट्रेनिंग की शुरुवात की। उन्होंने अपनी ट्रेनिंग अपने गांव से दूर शहर जाकर एक बॉक्सिंग अकादमी (Boxing Accadmey) से शुरू की।

लेकिन उन्होंने अपने ट्रेनिंग की शुरुवात अपने माता पिता को बिना बताए की। क्योंकि उनके माता पिता का मानना था की इस मुक्केबाजी के खेल में मुंह पर मुक्के के कारण काफी चोट लगती है जिसकी वजह से ऐसी लड़की की शादी करने में दिक्कत होती हैं। इसी के चलते उनके माता पिता का इस खेल में सपोर्ट नहीं था।

लेकिन जैसे जैसे मेरी कोम ने अपनी मेहनत से इस खेल में खुद को अवल बना लिया, जिसके बाद सन् 2000 में बॉक्सिंग स्टार्ट चैंपियन में हिस्सा। लेकर उन्होंने जीत को हासिल किया। जिसके बाद उनके चर्चे चारो तरफ होने लगी । साथ ही साथ अखबारों में भी उनकी न्यूज आने लगी। जिसके बाद यह बात उनके माता पिता को पता चली। लेकिन यह सब देखते हुए उन्होंने मेरी कोम को इस खेल में सपोर्ट करना शुरू कर दिया था।

मेरी कोम के सफलता के चर्चे

मेरी कोम ने ट्रेनिंग के बाद खुद को एक ऐसा एथलीट बनाया। जिसकी चर्चा चारो तरफ होने लगी। सन् 2000 में स्टेट बॉक्सिंग चैंपियन में भी उन्होंने जीत हासिल की। जिसके बाद उन्होंने सन् 2001 में एआईबीए वूमेन वर्ल्ड चैंपियनशिप (AIBA Women world championship) में सिल्वर पदक हासिल किया। सन् 2002 में मेरी कोम ने अंटाल्या (Antalya) में वर्ल्ड चैंपियनशिप (वर्ल्ड Championship) में अपने नाम स्वर्ण पदक हासिल किया।

सन् 2005 में पाडोल्स (Padlosk) में वर्ल्ड चैंपियनशिप (WORLD CHAMPIONSHIP) में भी स्वर्ण पदक हासिल किया। सन् 2006 में मेरी ने गोल्ड ने अपने नाम तीसरा गोल्ड मेडल दिल्ली (Delhi) वर्ल्ड चैंपियनशिप (World Championship) में हासिल किया। ऐसी ही कामयाबी के साथ मेरी कोम ने बहुत से ऐसे पदक अपने नाम किए। जिसके वजह से आज वह एक एथलीट महिला बनी।

कई अवार्ड से नवाजा गया मेरी कोम को

एक महिला जो हर महिला के लिए प्रेरणा का रूप बनी हैं। जिनकी चर्चा होना तो आवश्यक ही है क्योंकि ऐसी कामयाबी को हासिल करना हर किसी के बस की बात नहीं होती। इसी के चलते इन्हे कही पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। जैसे बॉक्सिंग क्षेत्र में एक महिला के रूप में अपने देश का नाम रोशन करने के लिए मेरी कोम को 2003 में भारत सरकार द्वारा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

महिला मुक्केबाजी में अपने बेहतरीन प्रदर्शन के लिए मेरी कोम को साल 2006 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चूका है। मेरी कोम को बॉक्सिंग के खेल में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए जुलाई 2009 में सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चूका है। अपको बता दे, की सन् 2014 सितंबर में मेरी कोम जीवन परिचय पर एक फिल्म बनाई गई थी। जिसका किरदार जानी मानी अभिनेत्री प्रियंका छोड़ ने निभाया था।

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Osho: A Spiritual Guide To Living A Fulfilling Life

हरियाणा की शनन ढाका बनी NDA पास करने वाली पहली बेटी

osho

Osho: A Spiritual Guide to Living a Fulfilling Life

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The Inspiring Story of Osho’s Biography

जिसने जैसा पढ़ा इन्हें उनके वैसे मत है, किसी के लिए ये संत है तो किसी के लिए दार्शनिक गुरु और कुछ के लिए सेक्स गुरु , लोग आज भी इनके बारे में जानना चाहते है तो कुछ लोग इनका विरोध भी करते नजर आते है !

OSHO

ओशो (Osho) का जीवन परिचय

ओशो का जन्म 11 दिसंबर 1931 में एक मध्य वर्ग परिवार के बीच मध्य प्रदेश (Madhay Pradesh) के रायसेन (Rayasan) जिले के कुचवाड़ा (Kuchvada) गांव में हुआ था। इनका असली नाम चंद्र मोहन जैन (Chander Mohan Jain) था। जिनकी प्रसिद्धि ओशो नाम से आज लोगो में बनी हुई हैं। इनके पिता का नाम बाबूलाल जैन (Babulal Jain) था। जो पेशे से व्यापारी थे जिनकी खुद के कपड़ो का व्यापार था। इनकी माता जिनका नाम सरस्वती जैन (Sarswati Jain) था। ओशो के 11 भाई बहन थे जिनमे से वह सबसे बड़े थे। ओशो ने अपना बचपन 7 वर्ष तक अपने ननिहाल में बिताया था। जिसके चलते उन्हें अपने नाना नानी से काफी लगाव था।

कहाँ से की अपनी शिक्षा ग्रहण

ओशो बचपन से ही एक ऐसे बच्चे थे जिन्हे हर चीज में से प्रश्न पूछने की आदत थी जिसके चलते कई बार इनके शिक्षक भी इनके प्रश्नों से परेशान हो जाते थे। और वह एक ऐसे व्यक्ति बन चुके थे जिन्हे ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास नहीं था। अपने स्नातक की पढ़ाई उन्होंने जबलपुर के डी. एन. जैन कॉलेज (D. N. Jain College) में दर्शनशास्त्र की पढ़ाई पूरी की और स्नातक की पढ़ाई के साथ साथ उन्होंने ऑल इंडिया डिबेट चैंपियन में गोल्ड मेडल हासिल कर रखा है। अपनी स्नातक पूरी करने के बाद ओशो ने अपनी उच्च स्नातक (M.A) की डिग्री सागर यूनिवर्सिटी (Sagar University) में दर्शनशास्त्र में पूरी की।

प्रोफेसर के पद पर भी किया कार्य

अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद। ओशो ने 1957 में दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर के पद पर रायपुर (Raypur) विश्विघालय में नौकरी की। लेकिन उनकी सोच और उनके तरीके बच्चो के लिए सही नही थे। जिसके चलते वहा के कॉलेज ने उनका ट्रांसफर जबलपुर (Jabalpur) विश्विघालय में कर दिया। जहा उन्होंने दर्शन शास्त्र में प्रोफेसर के पद पर 8 से 10 साल तक कार्य किया।

इस प्रोफेसर के पद के दौरान उन्होंने कई देश में घूम कर जीवन के बारे में जान लिया था जिसके बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। वह अपने प्रवचन को लोगो के बीच में प्रकट करने लगे। और अलग– अलग जगह जाकर अपने शिवर लगा कर लोगो को अपने विचारो से अपने प्रवचन देने लगे। जिसके चलते उन्हें आचार्य रजनीश के रूप में लोग जानने लगे।

जब लोग रजनीश को आचार्य रजनीश से जानने लगे तो, उन्हे नौकरी छोड़ सन्यास भक्ति की शुरुवात की। जिसमे वो अलग–अलग जगह पर जाकर लोगो को प्रवचन देते थे। जिसे सुनने के लिए हजारों में लोग आने लगे। जिसके बाद आचार्य रजनीश ने खुद को ओशो के नाम से प्रचलित किया। जो लोगो के बीच काफी प्रसिद्ध हुआ।

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निर्माण किया अपने आश्रम का

आचार्य रजनीश जिनके प्रवचन के लिए हजारों में संख्या इकठ्ठी होने लगी। जिनके प्रवचन के लिए उनके साथ लोग जुड़ने लगे। वही सन् 1974 में आचार्य रजनीश ने पुणे में प्रस्थान किया। जहा उन्होंने कोरेगांव इलाके में अपना आश्रम की स्थापना की। जो आज “ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिजॉर्ट” नाम से प्रसिद्ध है। इन्होने भारत में तो अपने आश्रम का निर्माण किया ।

इसके साथ साथ उन्होंने अमेरिका में भी 64000 एकड़ बंजर जमीन को अपने आश्रम और कई सुख सुविधा में तब्दील किया। ओशो ने 1980 में अमेरिका में प्रस्थान किया। जैसे हमने आपको बताया की ओशो ने वहा पर भी अपने आश्रम का निर्माण किया। जिसका नाम उनके शिष्य ने राजनेशपुरम (Rajneshpuram) से स्थापित किया।

इस बंजर जमीन को 60 लाख डॉलर में खरीदा गया था जिसके बाद उस जमीन को एक सुख सुविधा जमीन बनाया गया। जहा मंदिर, मॉल, एयरपोर्ट और हस्पताल जैसी कई चीज़ों को बनवाया गया। जिसके बाद जब उनके शिष्य ने आश्रम के नाम के लिए रजिस्टर्ड करवाना चाह तो वहा के विदेशी सरकार ने इसके ऊपर विरोध करना शुरू किया। लेकिन वकालत में ओशो की जीत हुई और सफलतापूर्वक आश्रम का निर्माण किया गया।

भक्तो की गिनती में आते है बड़ी हस्तियां

इनके प्रवचन काफी प्रसिद्ध होने लगे। जिसके चलते उनके भक्तो की गिनती में अमीर और नामी शामिल होने लगे थे, जो इन्हें काफी महंगा महंगा चढ़ावा चढ़ाते थे। आपको बता दे की, ओशो के पास दुनिया की सबसे महंगी गाड़ी में से एक रोल्स रॉयस की गाड़ियों की 90 संख्या थी। ओशो का कहना था, की उनके भक्त उन्हे अच्छी जिंदगी जीते हुए देखना चाहते थे। जिसके चलते वह उनकी ये खुशी नहीं छीन सकते थे। इसी कारण ओशो काफी लक्सिरियस जिंदगी जीते हुए नजर आते थे। जो काफी चर्चित होने लगे।

खुले विचारो से लोग होते थे प्रभावित

ओशो बचपन से ही अपने विचारो को खुले दिल से प्रकट करते थे। जिसकी वजह से उनकी सोच औरो से बिलकुल अलग थी। उनका मानना था की हर व्यक्ति को उनके मन से जीना चाहिए। वे एक संत गुरु की तरह नहीं एक अलग नजरिए की सोच से लोगो को अपने प्रवचन देते थे आपको बता दे, की उनके आश्रम राजनीशपुरम में लोगो को पूरी आजादी थी सेक्स और नशे करने की।

इसी खुली सोच के चलते, उनके आश्रम में ज्यादातर कॉलेज के छात्र ही थे। क्योंकि ओशो के विचार थे की हर व्यक्ति को अपने मन से करना चाहिए चाहे वो प्रेम हो, नशे हो या फिर सेक्स हो। जिस वजह से उनको सेक्स गुरु भी कहा जाने लगा। क्योंकि उनका कहना था । की मनुष्य को समाधि का पहला अनुभव सेक्स से ही मिलता है। जिसको लेकर उनके आश्रम में सेक्स के ऊपर कोई पाबंदी नहीं थी । जो भी व्यक्ति वहा रहने आता, वो अपनी मनमर्जी के मुताबिक अपने पार्टनर को बदला जा सकता था।

अमेरिका सरकार ओशो के पीछे लगी

दिन भर दिन ओशो के आश्रम में लोगो की संख्या बढ़ती हुई नजर आने लगी थी। क्योंकि ओशो बाकी संत गुरु से बिलकुल अलग थे। उनकी सोच भगवान, व्रत या धार्मिक में नही थी। उनका कहना था की मनुष्य को अपना जीवन खुद से खुले तरह जीना चाहिए। जहा लोग उन्हे सुनने के लिए इकठ्ठा होने लगे। जिसे देख वहा की सरकार परेशान होने लगी।

जिसके बाद वहा की सरकार ने ओशो के शिष्य को तंग करना शुरू किया। और कई ऐसी चीज कर अंत में उन्होंने ओशो की तलाश शुरू की। जिसमे उन्हे नशीले पदार्थ और 35 तरह के इल्जाम लगाने के बाद उन्हें अपनी कैद में ले लिया। जिसके बाद उन्हें पेनाल्टी के साथ 5 साल वापिस इस देश में न आने की पेनाल्टी लगी गई। और अंत में उनको मारने की साजिश कर एक ऐसा जहर दिया गया, जिसका असर काफी लंबे समय में होता है।

अमेरिका छोड़ पुणे आश्रम में वापिस लौटे ”ओशो”

ओशो अब वापिस भारत आ चुके थे। जहाँ वे वही अपने पुणे आश्रम में आ गए थे। लेकिन भारत की सरकार ने भी उन्हे अपने साथ विदेशी शिष्य लाने पर रोक लगा दी थीं जिसके चलते कई अन्य देशों में उनपे रोक लगा दी थी। लेकिन अंत में कुछ समय के लिए नेपाल ने उन्हे जगह दी। उनके ऊपर इल्जाम होने के कारण जर्मनी की पुलिस ने उन्हे गिरफ्तार कर 20 वर्ष तक की सजा सुनाई गई। जिसके बाद 1987 में भारत लौट कर पुणे में स्थित आश्रम में आए।

रिकॉर्डिंग बेस्ड लिखी गई पुस्तके

ओशो ने करीबन 1 लाख तक पुस्तको को पढ़ रखा है जिसमे उनको कुछ ही पुस्तके काफी स्नेह थी। ओशो ने अपने सारा ज्ञान को रिकॉर्ड करवाया हुआ था। जिसके बाद उनको जितनी भी किताबे आज बाजारों में उपलब्ध है वह सब रिकॉर्डिंग बेस्ड पर लिखी हुई है।

त्याग दिया शरीर

ओशो ने अपने शरीर को 19 जनवरी 1990 को त्याग दिया था। जैसे की हमने आपको बताया की, अमेरिका के जेल में ओशो को एक जहरीला पदार्थ का इंजेक्शन दिया था जिस वजह से उसका असर 6 माह में दिखने लगेगा। लेकिन ओशो ने अपनी जिंदगी के 5 वर्ष उस जहर के साथ पूरे कर दिए। जिसके बाद उनका शरीर ढीला होने लगा और 19 जनवरी को उन्हे हार्ट अटैक की वजह से अपना शरीर त्याग दिया।

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Sidhu Moose Wala Biography in Hindi

दुनिया में बहुत कम ऐसे लोग होते है , जो कुछ ऐसा कर जाते है, जिन्हें उनके इस दुनिया से चले जाने के बाद भी लोग उन्हें याद करते है , और बड़ी बात ये की उनके अच्छे कामो के लिए उन्हें याद किया जाता है !

Sidhu Moose Wala

जीवन परिचय (Sidhu Mosse wala)

हम जिसकी बात कर रहे है। उनका नाम है शुभदीप सिंह सिद्धू (Shubhdeep Singh Sidhu) उर्फ सिद्धू मूसे वाला (Sidhu Mosewaala)। शुभदिप सिंह ने अपने गांव मूसे से काफी प्रेम करते है जिसके चलते उन्होंने अपने नाम के पीछे अपने गांव मूसे का नाम जोड़ लिया था। जिसके बाद वह सिद्धू मूसे वाला से काफी प्रसिद्ध हुए। जिन्होंने अपने सिंगिंग के टैलेंट से काफी प्रसिद्धि हासिल की। इनका जन्म 11 जून 1993 में पंजाब (Punjab) में मनसा (Mansa) के जिले गांव मूसा (Moosa ) में सिख घर में हुआ था।

इनके पिता जिनका नाम भोला सिंह (Bhola Singh) जो पेशे से सेवावृणित सैनिक रहे है। इनकी माता जिनका नाम चरण कौर सिद्धू (Charan Kaur Sidhu) जो पेशे से सिद्धू मूसे गांव की सरपंच है। व इनका एक छोटा भाई है जिनका नाम गुरप्रीत सिंह (Gurpreet Singh) है। सिद्धू को गानों का इतना शौक था की उन्होंने 6th क्लास से ही हिपहॉप (Hiphop) गानों को सुन कर उनकी बारीकियों को पहचाना शुरू कर दिया था।

वर्तमान में सिद्धू मूसे वाला (Sidhu Mosse wala) अब हमारे बीच नहीं है । उनकी मृत्यु 29 मई 2022 में अपने गांव मनसा जाते हुए रास्ते में हत्याकारो ने गोली मार कर उनकी हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद उन्हें हस्पताल ले जाया गया। जहा उन्हे मृत घोषित कर दिया गया था।

FieldInformation
Full NameShubhdeep Singh Sidhu
Stage NameSidhu Moose Wala
BirthdateJune 11, 1993
BirthplaceMoosa, Mansa, Punjab, India
OccupationSinger, Lyricist, Actor
GenresBhangra, Hip-hop, Punjabi Pop, Desi Hip-hop
Record LabelsJatt Life Studios, Brown Boys Records
Famous SongsSo High, Warning Shots, Ishq Da Uda Adaa, Same Beef, Jatt Da Muqabala, Legend, 47
Film DebutYes I Am Student (2018)
Awards and Nominations2021 BritAsia TV Music Awards – Best Lyricist, 2019 PTC Punjabi Music Awards – Best Male Playback Singer, 2019 BritAsia TV Music Awards – Best International Male Artist

कहाँ से प्राप्त की Sidhu Mosse wala ने अपनी शिक्षा

Sidhu Mosse wala को बचपन से ही संगीत में ज्यादा रुचि थी । वह अपनी पढ़ाई से ज्यादा संगीत में रुचि रखते थे। जिसके चलते उन्होंने अपना सिंगिंग का सपना सच भी किया । सिद्धू ने अपनी स्कूली पढ़ाई गवर्मेंट मॉडल स्कूल सीनियर सेकेंडरी (Goverment Model Senior Secondary), मनसा से पूरी की थी। स्कूल के समय में सिद्धू सिंगिंग और डांस प्रतियोगिता में काफी हिस्सा लेते थे। वह डांस और सिंगिंग के साथ एक्टिंग में भी काफी रुचि रखते थे।

अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कर सिद्धू ने आगे की पढ़ाई लुधियाना (Ludhiyana) के कॉलेज गुरु नानक देव इंजीनियरिंग कॉलेज (Guru Nanak Dev Enginering College) से अपनी स्नातक की डिग्री इंजीनियरिंग में हासिल की। लेकिन उनका झुकाव हमेशा पढ़ाई से ज्यादा सिंगिंग और एक्टिंग में ही रहा था। सिद्धू कॉलेज में भी सिंगिंग और एक्टिंग प्रतियोगिता में भाग लेते रहते थे।कॉलेज पूरा करने के बाद सिद्धू ने अपना रुख कनाडा की और किया और कनाडा के लिए रवाना हो गये।

Sidhu Moose Wala

सिंगर बनने का था जुनून सवार

जैसे हमने आपको बताया की सिद्धू को बचपन से ही सिंगिंग का काफी शौक था। जिसके चलते वह अपना कैरियर भी सिंगिंग क्षेत्र में ही चाहते थे। अपनी कॉलेज की शिक्षा को पूरा करने के बाद वह अपने सपने की और निकल पड़े, क्योंकि जब वह कॉलेज में किसी प्रतियोगिता में भाग लेते थे तो वहां सब टीचर्स और बच्चे सिद्धू के गाने की बेहद तारीफ करते थे। जिसके बाद जब उन्हे चारो तरफ से अपनी सिंगिंग की तारीफ सुनने को मिलती थी। तो वह चाहते थे की किसी म्यूजिक कंपनी के लिए स्टूडियो में अपनी आवाज में गाना गाए। जिसके लिए उन्होंने खूब मेहनत भी की। लेकिन उन्हें असफलता ही हाथ लगी।

लेकिन एक दिन ऐसा हुआ की, उनके पास एक संगीतकार का फोन आया की वो अपने स्टूडियो में सिद्धू की आवाज में गाना गवाना चाहते है। जिसके बाद उनको लगा की उनकी मंजिल उनके बेहद करीब है। लेकिन उन्हें इस चीज में भी असफलता ही मिली। क्योंकि उनका कहना था। की उन संगीतकार को उन्होंने काफी ढूंढा लेकिन वो उन्हे नही मिली। जिसके चलते उन्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लगी।

अंत में Sidhu Mosse wala को मिली सफलता

जब सिद्धू के साथ यह घटना घटी तो, इस घटना की निराशा उनको अंदर तक चीर गई थी। जिसके बाद उन्होंने हार ना मानते हुए अपनी सफलता को हासिल करना चाह। अपना कॉलेज पूरा करने के बाद जब वह कनाडा गए तो वहा से उन्होंने अपने सिंगिंग की शुरुवात की। जहाँ पर उन्होंने अपना पहला सॉन्ग लाइसेंस “Licence ”के लियरिक्स को खुद से लिखा और इस गाने को आवाज दी निंजा (Ninja) ने। जिसके बाद यह गाना सुपर हिट गया।

जिसके बाद इन्होंने खुद अपना गाना गाया “G–Wagon”। और इसके बाद इनके गाने के काफी चर्चे होने लगे। आज सिद्धू को हर बच्चा बच्चा जनता है और उनके गए हुए गाने गाते हुए दिखाई देता हैं। सफलता के बाद सिद्धू ने बहुत से गानों को गया और बहुत से शो को किया। जो धीरे –धीरे सुपर हिट होते गए और लोगो के दिल को छूते गए।

Sidhu Moose Wala

सिंगिंग के टैलेंट के साथ पंजाबी फिल्मों में भी कर चुके है Sidhu Mosse wala काम

सिद्धू मूसे वाला ने सिंगिंग में अपना जलवा बिखेर कर लोगो के दिल को छू लिया था। लेकिन वह सिंगिंग के साथ एक्टिंग में भी बेहद टैलेंटेड थे। उनकी खुद की प्रोडक्शन कंपनी से जट्ट लाइफ स्टूडियो से पंजाबी मूवी “yes I am student” को डेब्यू कर रिलीज किया। इसके अलावा उन्होंने “Teri Meri Jodi” मूवी में भी अपने एक्टिंग के जलवे बिखेरे।

कांग्रेस पार्टी के थे मेंबर

सिद्धू मूसे वाला एक सिंगर और एक्टर के साथ पंजाब में कांग्रेस पार्टी के मेंबर भी थे। जो 2022 में होने वाले चुनाव में खड़े होने वाले थे। जब सिद्धू मूसे वाला ने इस बात का एलान किया। तो कांग्रेस पार्टी के पंजाब के नेता बेहद खुशी से उनके स्वागत के लिए तैयार थे। क्योंकि कांग्रेस पार्टी के नेता का कहना था की अगर एक युवा इस चुनाव को जीतता है तो आने वाली युवा को वे बहुत अच्छी तरह समझ पाएगा। परंतु, सिद्धू का सुझाव था की वो चुनाव सिर्फ इस लिए लड़ रहे की वे पंजाब के नेता बन समाज की सेवा करे और अपने जिले को ऊंचाई की तरफ ले जाए।

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“Arijit Singh Biography: From Humble Beginnings to Musical Superstar”

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Uncovering the Untold Story of Arijit Singh

Arijit Singh

आज हम आपको ऐसे टैलेंटेड प्लेबैक सिंगर के बारे में बताएंगे। जिन्होंने अपनी सिंगिंग के जरिए देश के लोगो के साथ–साथ विदेश के लोगो के दिल में भी जगह बनाई है । गाने सुनना हर किसी को पसंद हैं। अगर वही गाने प्लेबैक सिंगर अरीजीत सिंह (Arijit Singh) के हो तो वो सुनने में और भी मजा आता है। अरीजीत सिंह जिनके गाने कौन नही सुनना चाहता, आज यह प्लेबैक सिंगर लिस्ट में से सबसे ऊपर आता हैं। जिनका नाम आज देश के साथ विदेश में भी प्रसिद्ध हैं।

जीवन परिचय (Arijit Singh)

अरीजीत सिंह (Arijit Singh) की सफलता भी आसान नहीं थी उन्हे इस मुकाम तक पहुंचने के लिए बहुत से संघर्षों का सामना करना पड़ा। अरीजीत सिंह का जन्म 25 अप्रैल 1987 में जियागंज, मुर्शिदाबाद पश्चिम बंगाल (Jiyanganj , Murshidabad, Paschim Bengal) में एक पंजाबी (Punjabi) परिवार में हुआ। इनके पिता सिख थे जो पेशे से एलआईसी (LIC) एजेंट थे इनकी माता अदिति सिंह (Aditi Singh) जो एक गृहणी थी। इनकी एक बहन भी है। इनकी माता की 19 मई 2021 में बीमारी के कारण मृत्यु हो गई। जो अरिजित सिंह के लिए बेहद दुखद समाचार था।

आपको बता दे की, वर्तमान में अरीजीत सिंह शादी शुदा है। लेकिन यह शादी उनकी दूसरी शादी है। किसी मतभेद के कारण उनकी पहली शादी ज्यादा समय तक नहीं चल पाई। जिसके बाद उन्होंने अपनी दूसरी शादी अपनी बचपन की दोस्त “कोयल रॉय ” (Koel Roy) से की । अरीजीत सिंह के साथ कोयल रॉय की भीं यह दूसरी शादी थी। इनके 3 बच्चे हैं। 2 लड़के और एक लड़की। लड़की कोयल रॉय की पहली शादी की संतान है।

पूर्ण की अपनी पढ़ाई

अरीजीत सिंह (Arijit Singh) का बचपन अपने घर में संगीत माहौल में ही बीता है। जिस कारण उनका मन पढ़ाई में तो था। लेकिन पढ़ाई से ज्यादा वो संगीत में रुचि रखते थे। जिसका नतीजा आज उनका कैरियर संगीत में ही उभर के आया हैं। अरीजीत सिंह ने अपनी स्कूली शिक्षा राजा विजय हाई स्कूल (Raja Vijay High School) से पूर्ण की। और अपनी आगे की पढ़ाई उन्होंने श्रीपत कॉलेज मुर्शिदाबाद (Shripat College Murshidabad) से अपनी स्नातक पूरी कर पूर्ण की। जैसे की हमने आपको बताया की अरीजीत बचपन से ही संगीत में रुचि रखने वाले बच्चे थे जिसको देखने के बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई अपनी संगीत में की। जहाँ उनके माता पिता ने उन्हे “प्रोफेशनल ट्रेनिंग” दिलानी शुरू कर दी थी।

Arijit Singh

घर का माहौल रखता था संगीत में काफी रुचि

अरीजीत सिंह (Arijit Singh) का पूरा ननिहाल परिवार संगीत में रुचि रखने वाला था। उनकी नानी शुरू से ही शास्त्रीय संगीत में काफी अच्छी थी। उनकी माता और उनके मामा तबला बजाना बेहद अच्छे तरीके से जानते थे। उनकी मौसी भी संगीत में बेहद रुचि रखती और गाना गाया करती थीं जब घर का माहौल ही संगीत में रुचि रखने वाला था तो बच्चो को भी वही माहौल पसंद आना था। क्योंकि बच्चे अक्सर घर के माहौल को देख कर ही उसे फॉलो करते है। जिसके बाद अरीजीत सिंह ने भी छोटी उम्र में “पंडित राजेन्द्र प्रसाद” जी से शास्त्रीय संगीत का ज्ञान लिया। वही “धीरेंद्र प्रसाद हजारी” जी से उन्होंने तबले की शिक्षा ली। वही “ वीरेंद्र प्रसाद हजारी” से उन्होंने पॉपअप संगीत का ज्ञान लिया।

शुरुवात हुई अरिजित के कैरियर की

अपनी प्रोफेशनल ट्रेनिंग पूर्ण कर अरीजीत अब अपने जीवन के सफर पर निकल पड़े। जहा वे अपने घर पश्चिम बंगाल से सीधा मुंबई की और रवाना हुए। क्योंकि अब उन्हें जिस मुकाम को हासिल करना था , वो सिर्फ मुंबई में ही हो सकता था। जिसके लिए उन्होंने अपनी शुरुवाती सफर के लिए एक ऐसा प्लेटफार्म ढूंढना चाहा । जहाँ लोग उनकी आवाज को पहचाने और उन्हे अपनी मंजिल हासिल हो। वो दिन आया जब अरीजीत सिंह ने सन् 2005 में एक सिंगिंग रियलिटी शो में हिस्सा लिया। इस रियलिटी शो में ऑडिशन काफी लंबे चलते थे। जिस कारण हर ऑडिशन को क्रैक कर आगे बड़ना होता था।

रियलिटी शो के जज शंकर महादेवन थे। अरीजीत सिंह इस रियलिटी शो में टॉप फाइव में आने से पहले ही बाहर हो गए। जिसका दुख उन्हे बहुत था। लेकिन उन्होंने हार ना मानते हुए आगे बड़ने का सोचा । लेकिन आपको बता दे, की इस शो के जज शंकर महादेवन अरीजीत की आवाज से काफी प्रभावित हो गए थे। जिसके चलते उन्होंने आगे भविष्य में इन्हें अपने साथ काम करने का वादा किया था। वो वादा भी शंकर महादेवन ने बहखूबी निभाया और अपने साथ अरीजीत को कम करने का मौका दिया।

सफलता का चलता रहा सफर

जैसे की हमने आपको बताया की अरीजीत सिंह (Arijit Singh) रियलिटी शो से बाहर हो जाने के बाद भी उन्होंने हार नही मानी। क्योंकि उनको पता था जिस मंजिल की वो तलाश में है वो मिलना आसान नहीं हैं। जिसके बाद उन्होंने अपने आगे का सफर फिर से एक रियलिटी सिंगिंग शो में हिस्सा ले कर किया। जिसका नाम (“10 के 10 ले गए दिल”) शो में अपनी आवाज का जलवा बिखेरा और उस रियलिटी शो को अपने नाम किया। जिसके बाद उनकी आवाज काफी पॉपुलर होने लगी। उन्हे कई जगह से काम के ऑफर आने लगे। लेकिन अरीजीत सिंह का कहना था की, उन्हे और भी ऊंची सफलता हासिल करनी है

Arijit Singh

म्यूजिक इंडस्ट्री में रखा अपना कदम (Arijit Singh)

रियलिटी शो के बाद अरीजीत सिंह को सफलता तो मिली। लेकिन इतनी पॉपुलैरिटी नही। जिसके बाद उन्होंने म्यूजिक इंडस्ट्री में अपना पैर ज़माना चाहा । लेकिन, म्यूजिक इंडस्ट्री में अपना पैर जमाने के लिए इंसान को कड़ी मेहनत करनी पड़ती। इन्होने जब इंडस्ट्री में देखा की अच्छे सिंगर्स के पास भी काम की बेहद कमी हैं, जिसके चलते इन्होने प्लेबैक सिंगर को छोड़ म्यूजिक प्रोड्यूसर का काम शुरू किया। जिसमे उन्होंने कई म्यूजिक प्रोड्यूसर के साथ म्यूजिक प्रोग्रामिंग के तौर पर काम किया। जिसके बाद उन्हें म्यूजिक में काफी चीजे सीखने को मिली। जो आगे चल उनके लिए काफी लाभदायक साबित हुई ।

सफलता ने चूमे क़दम (Arijit Singh)

कहते हैं ना मेहनत करने वालो की कभी हार नही होती। यह अवश्य है की हर मेहनत से किया हुए काम का फल मिलता जरूर हैं चाहे वे आज मिले या फिर आने वाले समय में मिले। ऐसे ही अरीजीत सिंह ने अपनी कामयाबी के लिए बहुत मशकत्त की थी । जब वह प्रोड्यूसर थे तब म्यूजिक डायरेक्टर प्रीतम को 16 फिल्मों का गाना बनाना था जिसमे उन्होंने खूब मेहनत की ।

उसी मेहनत को देख प्रीतम जी ने अपने फिल्मों के गाने अरीजीत से गवाने चाहे। जिसके बाद उन गानों को जब एक–एक करके रिलीज किया गया। तो वह गाने काफी पॉपुलर होने लगे। जिसके बाद अरीजीत की आवाज को लोग सुनना बेहद पसंद करने लगे। इसी गानों के दौरान कई तरह के म्यूजिक डायरेक्टर अरीजीत को कंपोज करने लगे। जिसके बाद धीरे–धीरे अरीजीत सिंह अपनी कामयाबी की ऊंचाई को छूने लगे।

अरीजीत सिंह (Arijit Singh) एक अच्छे सिंगर बनने में तो कामयाब हुए ही। साथ वह एक अच्छे दिल के भी इंसान है। जो समाज सेवा कर लोगो की सहायता करते हैं। अरीजीत सिंह एक NGO चलाते है। जिनका कार्य बीपीएल (BPL) लोगो के लिए किया जाता हैं।

नवाजा गया कई पुरस्कारों से

अरीजीत की (Arijit Singh) सफलता आज एक ऐसे शिखर तक पहुंच चुकी है। जो एक इंसान के लिए कम समय में पाना बेहद मुश्किल हैं। लेकिन आज अरीजीत सिंह ने अपनी काबिलियत और अपने जुनून से आज खुद को देश ही नही विदेश में भी अपनी जगह बना ली हैं। इसी के चलते इन्हे कई पुरस्कारों से नवाजा भी गया। इनका एक सॉन्ग जो लोगो के दिल को अभी भी पसंद आता है। जब इस सॉन्ग को रिलीज किया गया तो, इस सॉन्ग को लोगो ने इतना प्यार दिया की इन्हें सन् 2014 में “तुम ही हो” सॉन्ग “Aashqui 2” मूवी का इतना प्रसिद्ध हुआ की इन्हे बेस्ट प्लेबैक सिंगिंग का खिताब दिया गया। सन् 2016 में “रॉय” फिल्म का गाना “सूरज डूबा” है , सॉन्ग के लिए भी इन्हें बेस्ट प्लेबैक सिंगर का खिताब दिया गया। आपको जानकर हैरानी होगी कि अब तक अरिजित को 60 अवार्ड में नॉमिनेट किया जा चुका हैं। जिसमे से उन्होंने 23 अवॉर्ड को अपने नाम हासिल किया।

साथ ही साथ इन्होने 2 बार फिल्मफेयर का अवार्ड, 1 बार आईफा अवार्ड, गिल्ड अवार्ड, जी सिने अवार्ड और यूथ आईकान म्यूजिक अवार्ड्स को भी अपने नाम किया है !

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Bharti Singh

“Bharti Singh: The Journey of India’s Beloved Comedian and Television Personality”

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From Small Town to Stardom: Bharti Singh’s Inspiring Biography

भारत में बहुत से ऐसे युवा हैं। जिनमे अलग अलग तरह के टैलेंट हमे देखे है , जिसकी वजह से वह अपने जीवन में नाम और प्रसिद्धि हासिल करते हैं। आज हम एक ऐसे टैलेंट की बात कर रहे हैं। जिसका पद निभाना काफी मुश्किल हैं। जी हा हास्य कलाकार जो अपने दुख दर्द को छुपा कर लोगो चेहरे तक मुस्कान पहुचाते है । हमने अपने भारत में बहुत से हास्य कलाकारों को सुना और उनको टीवी पर देखा है । लेकिन आज हम एक ऐसे हास्य कलाकार की बात करेंगे, जिसने अपने जीवन के संघर्ष की लड़ाई खुद लड़ी और आज इस मुकाम और प्रसिद्धि को हासिल किया।

Bharti Singh
YearEvent
1984Bharti Singh was born on July 3rd in Amritsar, Punjab, India
2008She participated in the comedy reality show “The Great Indian Laughter Challenge”
2009Bharti Singh appeared in the TV show “Comedy Circus 3 Ka Tadka”
2010She won the “Best Comedian” award at the Indian Television Academy Awards
2011Bharti Singh became a contestant on the dance reality show “Jhalak Dikhhla Jaa 4”
2012She appeared in the comedy show “Comedy Circus Ke Ajoobe”
2013Bharti Singh hosted the TV show “India’s Got Talent”
2014She acted in the Bollywood film “Ek Villain”
2015Bharti Singh hosted the TV show “Comedy Nights Bachao”
2017She got married to writer Haarsh Limbachiyaa
2018Bharti Singh participated in the reality show “Khatron Ke Khiladi 9”
2019She appeared as a judge on the TV show “The Kapil Sharma Show”
2020Bharti Singh and her husband were arrested for possession of drugs, but were later released on bail
2021She appeared in the TV show “Dance Deewane 3” as a guest judge

Bharti Singh जीवन परिचय

आज हम जिस हास्य कलाकार की बात कर रहे है उनका नाम भारती सिंह (Bharti Singh) है। जिसको आपने टीवी पर कई रियलिटी शो में अपनी कॉमेडी से लोगो को हंसाते हुए देखा होगा। इनका जन्म 3 जुलाई 1984 में पंजाब के अमृतसर (Punjab, Amritsar) में हुआ। इन्होंने अपने बचपन से ही संघर्षो का सामना किया हैं। क्योंकि जब भारती सिंह 2 वर्ष की थी तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी।

इनकी माता कमला सिंह (Kamla Singh) जो एक गृहणी है। भारती सिंह के पिता की मृत्यु के बाद पूरे घर का बोझ उनकी माता पे आ गया था। जिसके बाद उन्होंने भारती के साथ अपने दो और बच्चो का पालन पोषण अकेले ही किया। आपको बता दे की, भारती सिंह की एक बहन है पिंकी सिंह (Pinky Singh) जो उनसे बड़ी है व एक भाई भी है। इन सबकी जिम्मेदारी उनकी मां कमला ने अकेली ही उठाई थी। जिस कारण उनके घर की आर्थिक स्थिति थोड़ी कमजोर हो गई थी।

पूरी की अपनी पढाई

भारती सिंह (Bharti Singh) को अपने बचपन के दौरान तीरंदाजी और शूटिंग का काफी शौक था। जिसके चलते उन्होंने कही स्वर्ण पदक को अपने नाम हासिल किया। लेकिन घर की स्थिति सही न होने के कारण उन्होंने एक्टिंग का रास्ता चुना। उनकी स्कूली शिक्षा की बात की जाए तो उन्होंने अपनी शिक्षा सरकारी स्कूल अमृतसर से पूरी कर रखी है। जिसके बाद उन्होंने अपना दाखिला पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी (Punjab Technical University) से इतिहास में अपनी स्नातक आर्ट्स (Arts) में पूरी की। उन्होंने स्नातक के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन की भी डिग्री हासिल कर रखी है।

Bharti Singh

कैरियर की शुरुवात

भारती सिंह (Bharti Singh) के पिता के जाने के बाद उनका पालन पोषण अकेले उनकी माता ने किया। जिसके बाद उनको आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई थी। भारती ने अपने घर की स्थिति को संभालने के लिए अपने कैरियर की शुरुवात एक्टिंग से शुरू की। आज उसी एक्टिंग के बदौलत भारती सिंह काफी ऊंचाई पर पहुंच चुकी है।

उनका शुरुवाती सफर उन्होंने 2008 में “स्टैंड अप कॉमेडी” (Stand Up Comedy) “द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज ” (The Great Indian laughter Challenge) रियलिटी शो टीवी में हिस्सा ले कर अपने कैरियर की शुरुवात की। जिसमे उन्होंने रनर अप का पद जीता। शुरुवाती दौर में भारती सिंह का कैरियर काफी संघर्ष भरा था। लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी और हमेशा खुद में कुछ नया लाने की कोशिश की।

उसके बाद परेश गणात्र और शरद केलकर के साथ 4 अलग–अलग सीजन के कॉमेडी रियल्टी शो किए। जिसके बाद वह उन्होंने अपनी लाफिंग से लोगो के दिल को छूना शुरू किया। आज भारती सिंह लाफ्टर क्वीन (Laughter Queen) के नाम से भी जानी जाती है।

Bharti Singh and Limbachia

अनेको शो में दिखाया अपना टैलेंट

भारती सिंह (Bharti Singh) जो आज हमे कई टीवी रियलिटी शो में जज और होस्ट के रूप में दिखाई देती है। एक समय था जब भारती सिंह खुद कंटेस्टेंट के रूप में अपने कैरियर की शुरुवात की। आज वह जज के रूप में आए कंटेस्टेंट के टैलेंट को जज करती हैं। साथ ही साथ वह कई फैशन डिजाइनर के लिए मॉडल के रूप में रैंप पे चल अपना जलवा बिखेर चुकी हैं।

सन् 2012 में, उन्होंने “सावियो बार्न्स” के साथ, काफी प्रसिद्ध डांस रियलिटी टीवी शो ‘झलक दिखला जा सीजन 5’ में भी भाग भी लिया था । वह कई रियलिटी शो जैसे– “कॉमेडी नाइट्स बचाओ”और “इंडिया गॉट टैलेंट” जैसे कई प्रसिद्ध रियलिटी शो को होस्ट भी कर चुकी है। वही कपिल शर्मा के साथ उनके शो में भी उनके साथ भाभी जी का किरदार भी निभा चुकी है। और अपने पति के साथ कलर्स पे आया उनका शो “खतरा खतरा खतरा” में भी नजर आई। जहा कई सेलिब्रिटी आकार नए नए तरह के खेल खेलते थे।

फिल्म इंडस्ट्री में भी जमाना चाह अपना पैर

भारती इंडस्ट्री को टीवी इंडस्ट्री से लोगो का बहुत प्यार मिला। जिसकी बदौलत आज इस मुकाम पर है, जिसके बाद भारती सिंह ने अपने पैर फिल्म इंडस्ट्री में भी आजमाना चाहा । जहा वह कई फिल्मों में किरदार निभाती हुई नजर आई। इन्होंने फिल्म इंडस्ट्री के साथ अपनी पहली मूवी खिलाड़ी 786 से शुरू की।

जिसके बाद भारती 2011 में “एक नूर” मूवी में दिखाई दी। 2012 में इन्होंने “यमले जट यमले” पंजाबी मूवी में दिखाई दी। 2013 में इन्होंने “जट एंड जूलियट” मूवी में भी अपना किरदार निभाते हुए नजर आई। फिल्म इंडस्ट्री में की हुई मेहनत के बदौलत भारती सिंह ने 2013 में रिलीज हुई कन्नड़ फिल्म में भी किरदार निभाया था। जिसके बाद इन्होंने और प्रसिद्धि को हासिल किया।

Bharti Singh with Husband and Baby

भारती सिंह की शादी

भारती सिंह (Bharti Singh) जो वर्तमान में शादी शुदा है। जिन्होंने सन् 2017 नवंबर में स्क्रिप्ट राइटर और कॉमेडियन हर्ष लिंबेचिया (Harsh Limbachia) के साथ शादी के बंधन में जुड़ चुकी थी आज इनका एक बेटा है जिसका निक नेम गोलू (Golu) है। अक्सर भारती और हर्ष कई इंटरव्यू में अपने बेटे गोलू के साथ नजर भी आते है। वह भारती सिंह ने अपने पति साथ भी कई शो में हिस्सा लिया, जैसे की उन्होंने सन् 2009 में “खतरो के खिलाड़ी” में भाग लिया। व रियलिटी शो “झलक दिखला जा” में भी अपना जलवा बिखेरा।

Bharti Singh with Award

मिले कई अवार्ड्स

भारती सिंह (Bharti Singh) की काबिलियत के चलते आज उन्होंने एक ऐसे मुकाम को हासिल किया है। जहा उन्हे कई पुरस्कारों से नवाजा गया था। उन्हे सन् 2011 में “न्यू टैलेंट अवार्ड” (New Talent Award) से नवाजा गया। सन् 2012 में “इंडियन टेलीविजन अवार्ड” (Indian telivision Award) का पुरस्कार दिया गया। सन् 2017 में कॉमेडी नाइट्स बचाओ’ के लिए सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन का गोल्डन पेटल अवार्ड भी दिया गया।

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