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Inspirational Story of A Bus Conductor : गरीब छात्रों की शिक्षा के लिए, यह बस कंडक्टर देता है हजारों का योगदान

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जरूरी नही की सेवा के लिए आपका धनवान होना जरूरी है। आपके पास सेवा करने की भावना होनी चाहिए। जिसमें सेवा करने की भावना होती है वह इंसान अपने कम बचत में भी खूब सेवा करता है। आज हम एक ऐसे ही इंसान के बारे में आपको बताएंगे जिनके अंदर सेवा करने की भावना इतनी है कि वह एक बस कंडक्टर की नौकरी करके अपने कम कमाई में भी सालाना बचत करके पढ़ने वाले गरीब छात्र-छात्राओं की मदद करते है। आइये जानते है उनके बारे में ।

कौन है थोटा श्रीधर ?

स्कूल में आयोजन के दौरान श्रीधर

थोटा श्रीधर मूल रूप से चित्तूर जिले के मुलकलचेरुवु के रहने वाले है। उनका बचपन वहीं बीता और वहीं के सरकारी स्कूल से दसवीं तक की पढ़ाई की। उनके पिताजी खेती-बाड़ी करके परिवार का पालन-पोषण करते थे। उनके पिता एक किसान होने से उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत ही दैनीय थी।

बस कंडक्टर की नौकरी मिली।

थोटा श्रीधर दसवीं की पढ़ाई के बाद, अनंतपुर के तनकल्लू आ गए और यहाँ से उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई की। पढ़ाई के बाद, 1991 में उन्हें ‘आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम’ (APSRTC) में बतौर बस कंडक्टर नौकरी मिल गयी। उनकी इस नौकरी से, उनके घर की आर्थिक स्थिति काफी हद तक सुधर गयी।

गरीब बच्चों की मदद करते है श्रीधर ।

बच्चों को किताबें देते हुए

एक बस कंडक्टर होने के बावजूद श्रीधर मुलकलचेरुवु के ‘जिला परिषद हाई स्कूल’ में हर साल गणतंत्र दिवस पर गरीब बच्चों के लिए 20 से 25 हजार रुपये की मदद करते है । इन पैसों से स्कूल के ऐसे मेधावी छात्रों की किताब, कॉपी, स्कूल बैग और जूते आदि खरीदने में मदद की जाती है, जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आते हैं। वह साल 2015 से यह योगदान दे रहे हैं। उनके योगदान से अब तक, 100 से ज्यादा छात्रों को मदद मिल चुकी है।

माँ के मृत्यु के बाद से सेवा शुरू की।

श्रीधर की माँ के देहान्त के बाद वह लगातार सेवा करते आ रहे है। उनकी माँ का देहांत 2014 में हो गया था । श्रीधर खुद भी उसी स्कूल से पढ़े है । हर साल श्रीधर 26 जनवरी को मेघावी छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत करते है।उनके यह सेवा की भावना सालों से चली आ रही है। श्रीधर के इस काम से स्कूल के सभी शिक्षक अत्यंत ही प्रभावित है।

अपने एक शिक्षक से मिली प्रेरणा।

श्रीधर को सेवा की प्रेरणा अपने एक शिक्षक से मिली। दरअसल स्कूल के दिनों में श्रीधर एक शिक्षक ने उन्हें कहा था कि अच्छे कर्म करने से अखबार में तस्वीर आती है । बस उसी दिन से श्रीधर ने यह कसम खाई की वह अपने कर्तव्य को हमेशा अच्छा रखेंगे । उन्होंने तभी से सेवा करनी शुरू कर दी। आज श्रीधर की तारीफ हर तरफ होती है। एक कंडक्टर होने के बाद भी महीने में 2000 रुपये तक की बचत करके गरीब बच्चों के प्रति उनके सेवा के भाव की तारीफ जितनी हो कम ही प्रतीत होता है। श्रीधर से हमसभी को प्रेरणा लेने की जरूरत है।

 

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