Amar Katha– श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा में सदाशिव भगवान-शंकर से भगवती-पार्वती को सुनाई गई यह महादेव की वह प्राचीन अमर कथा है जिसको कहने और सुनने वाले प्राणी अमर हो जाते थे , लेकिन भगवान शंकर ने स्वयं ही अमर कथा को श्राप दे दिया की इसको सुनने वाले प्राणी अब अमर नही होगे l यही वो असली अमर कथा है जो एक तोते ने सुन ली थी और वह अमर हो गया था l
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माता पार्वती महादेव को देख कर हमेश सोचती रहती थी , भगवान शंकर अमर क्यों और इनके गले में मुंडो की माला क्यों है
श्री अमरनाथ की गुफा का रहस्य
युगों पहले माता पार्वती के मन में शंका उठी की भगवान शंकर गले में मुंडमाला क्यों और कब धारण की , शंका दूर करने के लिए माता पार्वती ने भगवान शंकर से इस प्रश्न का उत्तर पूछा ,तब प्रभु शंकर ने बताया जितनी बार तुमने जन्म लिया है उतने मुंडो को धारण किया है तब माता पार्वती ने कहा प्रभु मेरा शरीर नाशवान है , मृत्युं को प्राप्त होता है परन्तु आप अमर है, इसका क्या कारण है l तब भगवान शंकर ने रहस्यमय मुस्कान भरकर कहा यह अमरकथा के कारण है l
तब माता पार्वती के मन में अमरता प्राप्त करने की इच्छा जागी और भगवान शंकर से हट करने लगी , कई वर्षो तक हट करने पर भगवान शंकर को कहानी सुनाने के लिए बाध्य कर दिया , परन्तु , समस्या यह थी की कोई अन्य जीव उस कथा को न सुने , क्योकि यह कथा जो कोई सुन लेगा वह अमर हो जायेगा इसलिए भगवान शंकर एक एकांत जगह की तलास करते हुए सर्वप्रथम पहलग्राम पहुचे जहाँ पर उन्होंने अपने नंदी(बैल) का पारित्याग किया, वास्तव में इस ग्राम का प्राचीन नाम बैल गाँव था , जो कालांतर में बिगड़कर तथा क्षेत्रीय भाषा के उच्चारण प्रभाव से पहलगाम बन गया l
तत्पश्चात चन्दनबाड़ी में भगवान शिव ने अपनी जटा को खोल कर चन्द्रमा को मुक्त किया, शेषनाग नामक झील में अपने सर्पो की माला को उतार दिया, आगे चलकर महागुनस पर्वत पर अपने पुत्र गणेश डबल.का त्याग करने का निश्चय किया, फिर पंचतरनी नमक स्थान पर पहुच कर शिव जी ने अमरनाथ की गुफा में प्रवेश से पहले पांच तत्व (पृथ्वी, जल , वायु, अग्नि , और आकाश ) को परित्याग किया l भगवान शिव इन्ही पांच तत्वों के स्वामी माने जाते है l
इसके पश्चात माता पार्वती और भगवान शिव ने इस पर्वत श्रखला पर ताण्डव नृत्य किया था, ताण्डव नृत्य का मतलब है सृष्टी का त्याग करना | इसके पश्चात भगवान शिव सब कुछ छोड़ कर अमरनाथ की इस गुफा में पार्वती सहित प्रवेश किया और मृगछाला के ऊपर बैठ कर ध्यान मग्न हो गये |
कथा सुनाने से पहले भगवान शिव ने कालाग्नि नामक रूद्र को प्रकट किया , उसको आदेश दिया की चारो तरफ ऐसी आग लगा दो की सारे जिव जंतु जलकर भस्म हो जाये | रूद्र ने एसा ही किया और चारो तरफ आग लगा दी ,परन्तु उनकी मृगछाला के नीचे एक तोते का अंडा रह गया और उसने अंडे से बहार आकार अमर कथा को सुना लिया l

अमर कथा की महिमा –(Amar Katha)
अमरकथा की मान्यता है की इसको सुनने से वह व्यक्ति अमर हो जाता था जो यह कथा को ध्यान पूर्वक सुनता है इस अमर कहानी को सुन कर भगवान शिव के परम धाम की प्राप्ति होती है, यह कथा इतनी पवित्र थी जिसको किसी इंसान जीव जंतु कीड़े आदि प्राणधारी जीव को सुना नही सकते थे क्योकि सुनते ही वह अमर हो जाता, इस अमरनाथ की गुफा में भगवान की शिव लिंग की पूजा होती है इस कहानी को सुन कर प्रभु शिव अपने परम धाम में स्थान प्रदान करते है ,
श्री अमरनाथ की अमरकथा
इस कथा का नाम अमर कथा इसलिए है की इसके श्रवण करने से शिवधाम की प्राप्ति होती है, यह वह पवित्र कथा है जिसके सुनने से सुनने वाला अमर हो जाता है, जब भगवान श्री शंकर जी यह कथा भगवती पार्वती को सुना रहे थे तो वहां एक तोते का बच्चा भी इस परम कथा को सुन रहा था और इसे सुनकर इस तोते ने श्री शुकदेव का रूप लिया l इस कथा को सुनकर शुकदेव जी अमर हो गये थे बाद में शुकदेव जी महान ऋषि बने थे l
यह संवाद भगवती और भगवान शंकर जी के है यह परम पवित्र कथा लोक व परलोक का सुख देने वाली है भगवान शंकर और माता पार्वती का संवाद का वर्णन भृगु-सहिता, नीलमत-पुराण ,तीर्थ संग्रह आदि ग्रंथो में पाया जाता है हम सभी कहानी को अपने माता पिता के जरिये जानते है , आगे हम इन्ही अमर कहानियों के बारे में जानेगे l
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