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आचार्य चाणक्य असाधारण प्रतिभा के धनी थे । वे एक कुशल अर्थशास्त्री, कूटनीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ और योग्य गुरू होने के साथ तमाम विषयों का ज्ञान रखते थे । जीवन की हर परिस्थिति का वो बारीकी से अध्ययन करते थे ।अपने ज्ञान और अनुभव को उन्होंंने अपनी रचनाओं में पिरोया है, ताकि उनसे आम लोगों का भी भला हो सके । उन्हीं रचनाओं में से एक है चाणक्य नीति । चाणक्य नीति में आचार्य ने तमाम ऐसी बातें बताई हैं, जिनका अनुसरण करके व्यक्ति अपने कठिन समय को भी आसान बना सकता है और तमाम मुसीबतों को आने से पहले ही रोक सकता है।
आचार्य चाणक्य के जन्म स्थान के बारे में।
महापंडित चाणक्य के जन्म के बारे में कुछ भी स्पष्ट उल्लेख नहीं है, फिर भी उनका जन्म बौद्ध धर्म के मुताबिक 350 ईसा पूर्व में तक्षशिला के कुटिल नामक एक ब्राह्मण वंश में हुआ था। उन्हें भारत का ‘मैक्यावली‘ भी कहा जाता है। आचार्य चाणक्य के जन्म के बारे में अलग-अलग मतभेद हैं। वहीं कुछ विद्धान उन्हें कुटिल वंश का मानते हैं इसलिए कहा जाता है कि कुटिल वंश में जन्म लेने की वजह से उन्हें कौटिल्य के नाम से जाना गया। जबकि कुछ विद्धानों की माने तो वे अपने उग्र और गूढ़ स्वभाव की वजह सेत ‘कौटिल्य’ के नाम से जाने गए। जन्म स्थान को लेकर ‘मुद्राराक्षस‘ के रचयिता के अनुसार उनके पिता को चमक कहा जाता था इसलिए पिता के नाम के आधार पर उन्हें चाणक्य कहा जाने लगा।
आचार्य चाणक्य के जीवन परिचय ।
चाणक्य का जन्म एक बेहद गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होनें अपने बचपन में काफी गरीबी देखी यहां तक की गरीबी की वजह से कभी-कभी तो चाणक्य को खाना भी नसीब नहीं होता था और उन्हें भूखे पेट ही सोना पड़ता था। चाणक्य बचपन से क्रोधी और जिद्दी स्वभाव के थे उनके उग्र स्वभाग के कारण ही उन्होनें नन्द वंश का विनाश करने का फैसला लिया था। आपको बता दें कि चाणक्य शुरू से ही साधारण जीवन यापन करने में यकीन करते थे। उनके बारे में कहा जाता है कि महामंत्री का पद और राजसी ठाट होते हुए भी इन्होंने मोह माया का फ़ायदा कभी नहीं उठाया। चाणक्य को धन, यश, मोह का लोभ नहीं था। कौटिल्य ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे थे उनके जीवन के संघर्षों और उनकी नेक विचारों ने उन्हें एक महान विद्धान बनाया था।
चाणक्य की शिक्षा।
महान विद्धान चाणक्य की शिक्षा-दीक्षा प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय में हुई थी। वे बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी और एक होनहार छात्र थे उनके पढ़ने में गहन रूचि थी। वहीं कुछ ग्रंथों के मुताबिक चाणक्य ने तक्षशिला में शिक्षा ग्रहण की थी। ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए, चाणक्य को अर्थशास्त्र, राजनीति, युद्ध रणनीतियों, दवा, और ज्योतिष जैसे कई विषयों की अच्छी और गहरी जानकारी थी। वे इन विषयों के विद्धान थे।
इसके अलावा उन्हें वेदों और साहित्य का अच्छा ज्ञान था। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे तक्षशिला में राजनीतिक विज्ञान और अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बन गए उसके बाद वे सम्राट चंद्रगुप्त के भरोसेमंद सहयोगी भी बन गए थे।
चाणक्य सफल कूटनीतिज्ञ।
14 वर्ष के अध्ययन के बाद 26 वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी समाजशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र की शिक्षा पूर्ण की और नालंदा में उन्होंने शिक्षण कार्य भी किया । वे राजतंत्र के प्रबल समर्थक थे, उन्हें ‘भारत का मैकियावेली’ के नाम से भी जाना जाता है । ऐसी किंवदन्ती है कि एक बार मगध के राजदरबार में मगध पति घनानंद के कारण उनका अपमान किया गया था, तभी उन्होंने नंद वंश के विनाश का बीड़ा उठाया था । उन्होंने चन्द्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी पर बैठा कर वास्तव में अपनी प्रतिज्ञा पूरी कर ली तथा नंद वंश को मिटाकर मौर्य वंश की स्थापना की| आचार्य चाणक्य भारतीय इतिहास के सर्वाधिक प्रखर कूटनीतिज्ञ माने जाते है ।उन्होंने ‘अर्थशास्त्र’ नामक पुस्तक में अपने राजनीतिक सिद्धांत का प्रतिपादन किया है, जिनका महत्त्व आज भी स्वीकार किया जाता है।
आचार्य चाणक्य की मृत्यु ।
आचार्य चाणक्य की मृत्युं लगभग 283 ईसा.पूर्व. ही हो चुकी थी, भले ही आचार्य चाणक्य अब हमारे बीच नहीं रहे परन्तु आचार्य चाणक्य के अनमोल विचार आज भी हमारे बीच जीवित है, और हमेशा जीवित रहेंगे क्यूंकी आचार्य चाणक्य विचार, आचार्य चाणक्य नीति अमर है।