Aadhi Dhoop Aadhi Chhaya -एक प्रसिद्ध किस्से का जोड़ है जो भारतीय लोककथाओं और किस्सों में से एक है। यह कहानियां मुग़ल सम्राट अकबर और उनके बहुत चतुर मंत्री वीरबल के बीच हुई हस्तियाँ हैं। इन कहानियों के माध्यम से भारतीय संस्कृति में चतुरता, नैतिकता और समझदारी के मूल्यों का संदेश दिया जाता है। कहानियों में, महाराजा अकबर एक समझदार और न्यायप्रिय सम्राट थे जो अपने राज्य को उत्तमता और समृद्धि की ओर अग्रसर बनाना चाहते थे। उन्हें बीरबल की सलाह और मदद पर बड़ा भरोसा था। वीरबल एक चतुर, समझदार और नैतिक व्यक्ति थे जिनके पास हर समस्या का एक अद्भुत समाधान था।
अकबर और बीरबल से जुडी एक कहानी प्रस्तुत करने जा रहे है यह कहानी हम सभी को एक सीख प्रदान करेगी l

आधी धुप – आधी छाया (Aadhi Dhoop Aadhi Chhaya)
अकबर के राज्य में सब खुशहाल चल रहा था , शारी प्रजा खुसहाली से जिंदगी व्यतीत कर रही थी , एक दिन अकबर और बीरबल के बीच हलकी नोक झोक हो गई बीरबल ने कहा मेरे से चतुर कोई नही है अकबर का कहना था तुम चतुर नही हो , बहस करते करते बात यहाँ तक आ गई की शर्त लग गई बीरबल ने कहा मुझे आप सभी ने खोज लिया तो मान लूगा की मैं चतुर नही हूँ l
जिस बजह से बीरबल, अकबर का राज्य छोड़ कर चला गया, कुछ समय तक तो अकबर अपने राज्य को चलाता रहा लेकिन बीरबल अपनी बुद्धिमानी के लिए प्रसिद्ध था , अकबर कोई काम करने से पहले बीरबल से सलाह लेता था , धीरे धीरे अकबर के राज्य में दिक्कते होने लगी , अकबर भी परेशान होने लगा , कोई भी परेशानी अति तो अकबर के बाकी सलाहकार बीरबल का नाम लेते और कहते बीरबल होता तो इस समस्या का समाधान जरुर होता l
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परन्तु अकबर भी मजबूर था , क्योंकि बीरबल को कोई भी नही खोज नही सकता , बीरबल खुद ही अपने आप को अकबर के सामने पेस कर सकता था , बीरबल इतना समझदार था , बीरबल के न होने से अकबर भी दुखी था और प्रजा भी परेशान थी , किसी की परेशानी का कोई समाधान नही मिल पा रहा था , प्रजा ने परेशान हो कर अकबर से गुहार लगाई , बीरबल को खोजा जाये , अकबर भी यही चाहता था , बीरबल को खोजा जाये लेकिन बीरबल को खोजना नामुमकिन था ,
एक दिन अकबर ने अपने राज्य में एक सभा का आयोजन किया , सभी मंत्री , सेनापति , प्रजा , रानियों , जितने भी सलाहकार थे सभी को बुलाया गया और बीरबल की तलास के लिए सेना का गठन किया गया , और सेना का भेजा गया , पूरी सेना उसी समय प्रस्थान कर गई , पूरे राज्य में बीरबल को खोजा गया , आस पास की जगह पर खोजा गया , लेकिन बीरबल की कोई खबर नही मिली , अकबर ने जंगल गुफाये सब खोजी परन्तु वीरबल की कोई खबर नही मिली , हार परेशान हो कर साडी सेना लौट आई , अब अकबर और परेशान होने लगे , अब क्या किया जाये बीरबल को कहा से खोजा जाये l
कुछ समय युही कट गया लेकिन सभी बीरबल को खोजने की सोचते रहते थे , सोचते सोचते कई दिन बीत गए , पर कोई उपाय नही मिला , अकबर की सेना रोज खोज में निकलती और शाम को वापस लौट आती , एक दिन सभा में सभी मंत्री उपस्थित थे , तभी अकबर को एक मंत्री ने एक उपाय बताया , उपाय सुनकर अकबर भी प्रशन्न हुआ , और अकबर ने सभी को यह उपाय बताया तो सभी ने तुरंत इस उपाय को उपयोग में लेन की मांग करी l
वजीर कौन होगा – समस्या क्या है ?
उपाय – उपाय यह था की पूरे राज्य में खबर फैला दो जो व्यक्ति अपने घर से आधी धुप – आधी छाया में राज्य दरबार में आयेगा उसे सोने चांदी के उपहार दिए जायेगे ,
सेना द्वारा पूरे राज्य में खबर फैला दी गई और सारी प्रजा अपने अपने उपाय करने लगी लेकिन शर्त एसी थी , जिसका कोई उपाय था ही नही , सारी प्रजा लगातार अपने कुछ न कुछ करती रहती थी , पर यह शर्त पूरी नही हो पाई, उधर बीरबल के कानो तक भी यह खबर पहुची , बीरबल एक गरीब व्यक्ति के घर रहता था , वह इतना गरीब था एक समय का खाना भी बहुत मुस्किल से नसीब होता था , बीरबल से यह देखा नही जाता था , तब बीरबल अपने पास से उसको खाने के लिए कुछ ले आता था , उधर अकबर भी परेशान हो चुका था ,यह उपाय भी काम नही कर रहा था l
उधर बीरबल जिसके साथ रह रहा था उसकी गरीबी देख कर परेशान हो गया था , तब उसने अकबर की शर्त का उपाय उस आदमी को बताया , उसे बोला किसी को बताना नही ये शर्त का उपाय किसने दिया है , बीरबल ने उस व्यक्ति को बताया बान बाली चारपाई को अपने सर पर रख कर जाओ , इस तरह चारपाई में आधी धुप – आधी छाया रहेगी , इससे तुम जीत जाओगे और तुमको धन मिलेगा जिससे तुम अपना जीवन यापन कर सकते हो l
वह व्यक्ति अपने सर पर चारपाई रख कर राजा के पास गया , और बोला देखो आपकी शर्त को पूरा किया है अब मेरा पुरुष्कार मुझे दे दिया जाये , शर्त का समाधान देख कर अकबर को तुरंत विश्वास हो गया, यह उपाय बीरबल ने ही दिया है , तुरंत अकबर ने उस व्यक्ति को हिरासत में ले लिए उससे पूछा गया किसने दिया यह उपाय , लेकिन बीरबल ने मना किया हुआ था किसी को बताना नही,
जब उस व्यक्ति ने नही बताया ,तब अकबर ने उसे सजा देने का आदेश दे दिया , तुरंत उसे सूली पर चड़ा दिया जाये , घबराहट के कारण उस व्यक्ति ने बीरबल का पता बात दिया , अकबर के आदेश पर बीरबल को लाया गया और अकबर ने बीरबल से माफ़ी मांगी और अपना स्थान ग्रहण करने के लिए कहा , बीरबल को भी अहसास हुआ की मैंने भी अहंकार में गलत निर्णय लिया है , अंत में राजा ने उस व्यक्ति को उसका पुरुष्कार दिया और बीरबल को उसका पद वापस किया, अकबर और बीरबल का अहंकार भी ख़तम हुआ l
निष्कर्ष – Aadhi Dhoop Aadhi Chhaya
कहानी से हमें यह सिख मिलती है कभी कभी अधिक चालाकी भी हमें परेशानी में डाल सकती है , यही बीरबल के साथ हुआ , बीरबल को लगा की मैं नही खोजा जाउगा परन्तु अकबर ने शर्त ही इस हिसाब से रखी थी की इसका उत्तर सिर्फ बीरबल को ही पता होगा , इसलिए चतुराई हमेश जरुरत के हिसाब से करनी चाहिए , ताकि तुम खुद उसके सिकार न बनो , बीरबल भी अपनी अधिक चतुराई की बजह से राज्य से बहार रहा और अंत में पकड़ा भी गया l