हमारा भारत एक ऐसा देश हैं। जहा युगों–युगों से लोगो के अंदर भगवान को लेकर बहुत सी मान्यता हैं, और ऐसे बहुत से धार्मिक स्थान हैं जहा अलग–अलग रूप में भगवान विराजमान हैं। लेकिन उनमें से बहुत से ऐसे धाम हैं जहा लोगो की लाखो में संख्या वहा दर्शन करने के लिए जाती हैं। जैसे की भारत का प्रसिद्ध चार धाम यात्रा जहा लाखों की कगार में लोगो दर्शन करने जाते हैं। चार धाम यात्रा के साथ भगवान शिव शंकर के 12 ज्योतिर्लिंग भी काफी प्रसिद्ध स्थान हैं जहा दूर–दूर से आए लोग दर्शन करने जाते हैं।
हम सबने चार धाम के बारे में तो सुना हैं इसी तरह आज हम 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में जानेंगे, क्योंकि 12 ज्योतिर्लिंग की मान्यता यह है की इस 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन जो व्यक्ति कर लेता वह अपने सभी दोषों से मुक्त हो कर मोक्ष प्राप्ति करता हैं। क्योंकि हमारे भारत में जब इंसान अपनी सारी इच्छा और बंधन से मुक्त हो जाता हैं तब वह धाम की यात्रा पर भगवान के भक्ति में लीन होने के लिए दर्शन करने निकल पड़ता हैं।
ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) का क्या अर्थ है
“ज्योतिर्लिंग” शब्द दो अक्षरों से मिल कर बना है यह शब्द संस्कृत के दो शब्दों, ‘ज्योति’ और ‘लिंगम्’ से मिलकर बना है। जिसमे ज्योति का अर्थ है, ‘प्रकाश’ और ‘लिंगम्’ का अर्थ है भगवान् शिव की छवि । ऐसा माना जाता हैं की शिव भगवान साक्षात एक दिव्य ज्योति के रूप में प्रकट हुए थे जिसके बाद वह धरती के 12 स्थानों में जाकर विराजमान हो गए थे। तभी धरती पे 12 ज्योतिर्लिंग के रूप में अलग–अलग जगह पर पवित्र स्थान बने।
1.सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Jyotirlinga)

सोमनाथ मंदिर जो पहला ज्योतिर्लिंग और बेहद खास हैं जो गुजरात में स्थित है। इस मंदिर की ऊंचाई 155 फीट है। पवित्र पुस्तकों की जानकारी से यह मंदिर का नाम सोमनाथ होने की एक वजह थी। कहा जाता है की चंद्र भगवान ने राजा दक्ष प्रजापति के श्राप से मुक्त होने के लिए शिव जी को अपना स्वामी मानकर उनकी आराधना में लीन हो कर ज्योतिर्लिंग में विराजमान रहने की तपस्या की थी।
जिसके चलते इस ज्योतिर्लिंग को सोमनाथ का नाम दिया गया। क्योंकि सोम नाम चंद्र देव जी का ही नाम है। और आज लोगो के अंदर सोमनाथ मंदिर की काफी मान्यता है। और आपको बता दे की, इस मंदिर पर कई बार हमला भी हुआ जिस वजह से इसे 17 बार तोड़ा गया हैं, लेकिन हर बार सोमनाथ मंदिर को निपुण तरीके से दुबारा तैयार किया गया हैं।
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Mallikarjun Jyotirlinga)

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग 12 स्थित ज्योतिर्लिंग में से दूसरे नंबर पर हैं जो आन्ध्र प्रदेश में कृष्ण नदी तट पर शैल पर्वत पर स्थित हैं। हर ज्योतिर्लिंग की अपनी मानता और अपनी स्थित होने की कहानी हैं। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को दक्षिण भारत का कैलाश भी कहा गया। इस ज्योतिर्लिंग की मानता यह है। की जो भी व्यक्ति सच्चे दिल से इसके दर्शन करता है और शिव भगवान की आराधना करता है उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं। यह ज्योतिर्लिंग को माता पार्वती और शिव भगवान जी का सयुक्त बताया गया है। जिसमे मल्लिका माता पार्वती को बताता है तो वही अर्जुन भगवान शिव जी को बताता है।
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga)

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर जो मध्य प्रदेश में उज्जैन में घने महाकाल जंगलों में शिप्रा नदी के तट पर स्थित हैं। उज्जैन का राजा केवल एक ही हैं जो है महाकाल। महाकालेश्वर मंदिर के निर्माण की कहानी भी काफी रोचक भरी है। इस मंदिर का निर्माण 5 साल के बच्चे द्वारा किया गया था। पवित्र पुस्तकों की जानकारी के अनुसार राजा चंद्र अपनी जान बचाते हुए महाकाल की आराधना में लीन हो गए। वही एक महिला और उसका 5 साल का बच्चा आया। वो बच्चा भी शिव भक्ति में लीन हो गया ।
जिसके बाद उसे अपनी माता द्वारा दी गई आवाज भी नही सुनाई दी। जिसके बाद उसकी माता ने अपने बच्चे को पीटा और आराधना का सामना इधर उधर बिखेर दिया। जिसके बाद वहा पर महाकाल का मंदिर स्थापित हुआ और एक शिवलिंग भी उत्पन हुई । जिसपे वही बच्चे की आराधना का सामान था। इस मंदिर में सुबह एक भस्म आरती की जाती है जिसमे चिता की भस्म से शिवलिंग को स्नान कराया जाता है।
4. ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirlinga)

12 ज्योतिर्लिंग में से चौथे स्थान पर स्थित ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जो मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी में शिवपुरी नामक एक द्वीप पर स्थित है। कहा जाता हैं की मां नर्मदा नदी ॐ के प्रभाव में यह बहती हैं। साथ ही साथ इसकी सुंदरता को वहा की हरियाली और पर्वत अपने रूप से और सुंदर बनाते हैं। ओमकारेश्वर मंदिर की मानता है की इस मंदिर में दो ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं। एक ममलेश्वर और दूसरा ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है।
इस मंदिर के पुजारी जी कहना यह है की ये ओमकारेश्वर मंदिर में शिव जी और पार्वती माता रात में विश्राम करने आते हैं। उनका कहना है की दिन में माता पार्वती और शंकर जी तीनो लोको के भ्रमण के बाद रात में यह विश्राम करते है, और चौसर पासे खेलते है। पुजारी जी का कहना है की रात में चौसर पासे को सीधा रख कर द्वारा बंद कर दिया जाता है और आश्चर्य चकित बात यह है की गर्भगृह में कोई परिंदा तक नहीं आ सकता । जिसके बाद जब दिन में गर्भगृह का द्वार खोला जाता है तो चौसर पासे टेडे हुए दिखाई देते है।
5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Kedarnath Jyotirlinga)

पांचवे नंबर पर स्थित 12 ज्योतिर्लिंग में से एक केदारनाथ ज्योतिर्लिंग है जो उत्तराखंड में पर्वतराज हिमालय की केदार चोटी पर स्थित है। और समुंदर तट से 3583 मीटर की ऊंचाई पर है। इस केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का निर्माण नर और नारायण दो ऋषियों की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने अपना सरूप वहा स्थापित किया था। कहा जाता हैं की नर और नारायण दो ऋषियों ने शिव जी की कई वर्ष तपस्या एक पैर पर खड़े हो कर की थी। जिससे खुश हो कर शिव जी ने दोनो ऋषियों को दर्शन दिए और वर मांगने को कहा।
जिसके बाद उन दोनो ऋषियों ने भगवान शिव से कहा की आप अपना रूप इस पवित्र स्थान पर स्थापित कर दे। जहा लोग आपके दर्शन कर अपनी मनोकामना पूरी करने आपकी पूजा करने आयेंगे। जिसके बाद शिव जी ने वहा पर ज्योतिर्लिंग के रूप में वहा वास किया। जो आज “केदारनाथ ज्योतिर्लिंग” या केदारनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता हैं। इस मंदिर की मानता यह है की यह जो भी श्रद्धालु भक्ति भाव से अपनी शिव जी की भक्ति करेगा, उसपे सदेव शिव जी का हाथ रहेगा।
6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Bhimashankar Jyotirlinga)

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंग में से छठे स्थान पर है जो पुणे महाराष्ट्र के जिले सह्याद्रि में भीम नदी के तट पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के शिवलिंग का वजन बड़ने के कारण इसे मोटेश्वर नाम से भी जाना जाता हैं।
7. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (Vishwanath Jyotirlinga)

विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर भारत के प्रसिद्ध वाराणसी के उत्तर प्रदेश में मां गंगा नदी के तट पर स्थित है। वाराणसी शहर को हम काशी के रूप में भी जानते हैं जिसकी वजह से इस मंदिर को काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता हैं। पुरानी कथाओं के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण कुछ इस तरह हुआ की जब शंकर जी ने अपना विवाह पार्वती माता से किया !
तो उसके बाद माता पार्वती अपने पिता के घर ही रहती थी और शिव जी कैलाश पर्वत पर रहते थे। जिसके बाद यह माता पार्वती को अच्छा नहीं लगता था और उन्होंने शिव जी से उनको घर ले जाने की प्रार्थना की। जिसके बाद शिव जी उन्हे काशी ले आए। जहाँ उन्होंने अपना रूप में ज्योतिर्लिंग में वास कर उसका नाम विश्वनाथ रखा गया। जिसको विश्वेश्वर नाम से भी जाना जाता हैं।
8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar Jyotirlinga)

12 ज्योतिर्लिंग में से आठवें नंबर पर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग जो नासिक में गोदावरी नदी पर स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग की मान्यता है की यहां पर शिवलिंग खुद से प्रकट हुआ था। यहां शिविलिंग किसी के द्वारा स्थापित नहीं किया गया था। प्राचीन कहानी के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण गौतम बुध के कारण हुआ था। गौतम बुध जो अहिल्या के पति थे , जो भगवान की तपस्या में काफी लीन रहते थे। जिसके चलते कई ऋषि उनसे ईर्ष्या करते थे और उनको नीचा दिखाते थे।
तो एक समय ऋषियों ने मिलकर गौतम बुध पर गौहत्या का आरोप लगा दिया और कहा की अगर गौतम बुध को इस पापा का प्रश्चित करना है तो गंगा मैया को यहाँ लेकर आए। जिसके बाद गौतम बुध भगवान शिव की तपस्या में लीन हो गए और उनकी तपस्या से खुश हो कर महादेव ने उन्हे दर्शन दिए और वर मांगने को कहा। जिसमे उन्होंने कहा की वो गंगा मैया को यहाँ स्थित करना चाहते हैं लेकिन गाना मैया ने भी कहा की में यहाँ तभी आऊंगी। जब महादेव यहाँ रहेंगे। जिसके बाद महादेव ने ज्योतिर्लिंग में वहा वास किया, जिसका नाम त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग रखा गया।
9. वैघनाथ ज्योतिर्लिंग (Vaidyanath Jyotirlinga)

12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन से हर तरह की मनोकामना पूर्ण होती है। जो रावणेश्वर नाम से भी जाना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग झारखंड प्रांत के संथाल परगना में जसीडीह रेलवे स्टेशन के करीब स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के निर्माण के पीछे रावण को माना जाता है । जैसे की हम सब जानते हैं की रावण महादेव का बहुत बड़ा भक्त था। और इसी के चलते उन्होंने महादेव की तपस्या की और तपस्या से खुश महादेव ने रावण को वर मांगने को कहा और वर में रावण ने महादेव को अपने साथ लंका चलाने के लिए कहा।
जिसके बाद महादेव इस बात के लिए तैयार तो हो गए। लेकिन उन्होंने शर्त रखी की अगर रास्ते में तुमने कही भी शिवलिंग को रख दिया। तो उसके बाद तुम उसे वहा से नहीं उठा पाओगे। और ऐसा ही हुआ बाकी भगवान की चिंता के कारण और उनके द्वारा किए गए प्रयास के कारण। रावण ने शिवलिंग को रास्ते में रख दिया और जिसका नाम वैघनाथ ज्योतिर्लिंग स्थापित हो गया।
10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Nageshwar Jyotirlinga)

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग जो गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के करीब स्थित है। जैसे की हम सब जानते है की शंकर भगवान जी के गले में नाग विराजमान रहते है ऐसे ही नागेश्वर का मतलब होता है नागों के ईश्वर। प्राचीन समय के मुताबिक यहाँ श्री द्वारकाधीश भगवान श्री शिव का रुद्राभिषेक करते थे। कहा जाता है जो भक्त नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता वह अपने किए अनेक पापों से मुक्ति पता हैं।
11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram Jyotirlinga)

ग्यारहवां नंबर पर स्थित रामेश्वरम ज्योतिलिंग जो तमिल नाडु के रामनाथन नामक स्थान पर स्थित है। मान्यता यह है की इस मंदिर का निर्माण भगवान श्री राम जी ने खुद किया था। जिसकी वजह से इस ज्योतिर्लिंग का नाम रामेश्वरम रखा गया।
12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Grishneshwar Jyotirlinga)

यह 12 ज्योतिर्लिंग में से आखरी ज्योतिर्लिंग है जो महाराष्ट्र के संभाजीनगर के पास दौलताबाद में स्थित है। ऐसी मानता है की घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के बाद निःसंतान को संतान का सुख प्राप्त होता है और भक्तों के हर प्रकार के रोग, दुख दूर हो जाते है। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग को “शिवालय” भी कहा गया है।
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